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भारत ने सुरक्षा परिषद की कार्यशैली पर सवाल उठाए

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संयुक्त राष्ट्र| भारत ने सुरक्षा परिषद के निर्णय लेने की प्रक्रिया की आलोचना करते हुए कहा है कि यह गैर सदस्य राष्ट्रों के महत्वपूर्ण विषयों पर फैसला करते वक्त उनके विचारों का सम्मान नहीं करता।

शांति अभियानों में संयुक्त राष्ट्र और अफ्रीकी संघ के बीच साझेदारी के संबंध में मंगलवार को सुरक्षा परिषद में भारत के कार्यवाहक स्थायी प्रतिनिधि भगवंत एस.बिश्नोई ने कहा, “यदि परिषद गैर-सदस्य राष्ट्रों को चर्चा के लिए अवसर मुहैया कराने से पहले ही निर्णय ले लेता है तो हमारे लिए अपना विचार व्यक्त करने का कोई अर्थ नहीं है।”

वह अफ्रीका में शांति रक्षक अभियान में शामिल देशों से चर्चा किए जाने से पहले ही सुरक्षा परिषद द्वारा संयुक्त राष्ट्र व अफ्रीकी संघ के बीच बनी साझेदारी पर एक बयान अंगीकार किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे।

बिश्नोई ने कहा, “हम खुली चर्चा आयोजित करने की परंपरा का तहेदिल से स्वागत करते हैं। लेकिन यदि इसी तरह जल्दबाजी में निर्णय लिए जाते रहे और उन्हें अंगीकार किया जाता रहा तो हम इस प्रक्रिया की उपयोगिता पर सवाल जरूर खड़े करेंगे।”

उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सबसे अधिक योगदान करने वाला देश है। इसने अब तक संयुक्त राष्ट्र के 69 शांति अभियानों में से 43 में अपने 1,70,000 से अधिक सैनिकों को भेजा है।

नवंबर तक भारत ने संयुक्त राष्ट्र के ब्लू फ्लैग के अंतर्गत 8,141 कर्मचारी भेजे हैं, जिनमें से 7,077 सैनिक, 62 सैन्य विशेषज्ञ और 1,002 पुलिसकर्मी हैं। इनमें से अधिकतर अफ्रीकी देशों में कार्यरत हैं।

बिश्नोई ने संयुक्त राष्ट्र-अफ्रीकी संघ के बीच साझेदारी पर इटली के पूर्व प्रधानमंत्री रोमानो पार्डी की अध्यक्षता में बनी समिति की ओर से प्रस्तावित अनुशंसा का जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि अफ्रीकी संघ के शांति रक्षक अभियान को संयुक्त राष्ट्र छह माह के लिए अनुदान देगा और सुरक्षा परिषद तथा महासभा की मंजूरी से अगले छह माह के भीतर अफ्रीकी संघ मिशन, संयुक्त राष्ट्र प्रबंधन के तहत आ जाएगा।

बिश्नोई ने कहा कि भारत, संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून से पार्डी पैनल की अनुशंसा लागू करने की रूपरेखा तैयार करने की अनुशंसा करेगा।

इसके अतिरिक्त भारत ने शांति अभियानों सहित अन्य अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर फैसला लेते वक्त पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को लेकर सुरक्षा परिषद की कार्यशैली की आलोचना की।

नेशनल

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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