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हेल्थ

भारतीयों में बढ़ रहे अर्थराइटिस के मामले

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नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (आईएएनएस)| भारत में 18 करोड़ से अधिक लोग अर्थराइटिस से प्रभावित हैं। इन मामलों की संख्या कई अन्य रोगों जैसे मधुमेह, एड्स और कैंसर की तुलना में अधिक है। भारत की तकरीबन 14 फीसदी आबादी जोड़ों के इस रोग के इलाज के लिए हर साल डॉक्टर की मदद लेती है। एक अनुमान के अनुसार 2025 तक भारत में ऑस्टियो अर्थराइटिस के मामलों की संख्या छह करोड़ तक पहुंच जाएगी। इस तरह भारत इस ष्टि से दुनिया की राजधानी के रूप में उभरेगा।

भारतीय डायग्नॉस्टिक श्रृंखला, एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स द्वारा अर्थराइटिस पर किए गए एक विश्लेषण में पाया गया है कि देश में पुरुषों की तुलना में महिलाएं रूमेटोइड अर्थराइटिस से अधिक पीड़ित हैं। विश्लेषण में यह भी पता चला है कि उत्तरी जोन की तुलना में पूर्वी जोन में अर्थराइटिस के मरीजों में ईएसआर और सीआरपी स्तर (जो जोड़ों की सूजन दर्शाते हैं) का उच्च होना तथा जोड़ों में सूजन आम है। वहीं, यूरिक एसिड का स्तर उत्तरी क्षेत्र में पूर्वी जोन की तुलना में अधिक पाया गया है। यूरिक एसिड का असामान्य स्तर गठिया को दर्शाता है।

एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स की आरे से जारी बयान के अनुसार, चालीस की उम्र के बाद मरीजों में ईएसआर (56.71 फीसदी, 61-85 वर्ष), सीआरपी (80.13 फीसदी, 85 से अधिक उम्र), आरएफ (12.77 फीसदी, 61-85 वर्ष) और यूए (34.76 फीसदी, 85 से अधिक उम्र) के स्तर असामान्य पाए गए हैं।

ये आंकड़े जनवरी 2014 से पिछले साढ़े तीन सालों के दौरान अर्थराइटिस की जांच हेतु लिए गए 64 लाख नमूनों पर आधारित हैं।

हड्डी एवं जोड़ों के रोगों के निदान के लिए आमतौर पर एक्स-रे, सीटी-स्कैन, एमआरआई और डेक्सा स्कैन का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं रोग की स्क्रीनिंग एवं मॉनिटरिंग के लिए कई अन्य प्रयोगशाला परीक्षण काम में लिए जाते हैं।

बयान में कहा गया है कि अर्थराइटिस का सबसे प्रचलित रूप ऑस्टियो अर्थराइटिस हर साल भारत में 1.5 करोड़ वयस्कों को प्रभावित करता है। इस तरह इसकी प्रसार दर 22 फीसदी से 39 फीसदी है। इसके अलावा भारतीय आबादी में गठिया और रूमेटोइड अर्थराइटिस भी आमतौर पर पाए जाते हैं। ऑस्टियो अर्थराइटिस ज्यादातर महिलाओं में पाया जाता है और उम्र बढ़ने के साथ इसकी संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में पाया गया है कि 65 साल से अधिक उम्र की तकरीबन 45 फीसदी महिलाओं में इसके लक्षण मौजूद हैं, जबकि 65 साल से अधिक उम्र की 70 फीसदी महिलाओं में इसके रेडियोलोजिकल प्रमाण पाए गए हैं।

अध्ययन के अनुसार, रूमेटोइड अर्थराइटिस आमतौर पर जोड़ों के आस-पास मौजूद उतकों को प्रभावित करता है। आमतौर पर वयस्कों में पाया जाने वाला यह रोग भारत की 0.5 फीसदी-एक फीसदी आबादी को प्रभावित करता है। महिलाओं में इसके मामले तीन-चार गुना अधिक पाए जाते हैं। इसकी शुरुआत अक्सर 35-55 आयुवर्ग में होती है।

बयान में कहा गया है कि इन्फ्लामेटरी अर्थराइटिस के सबसे आम रूप गठिया की सम्भावना पुरुषों में तीन-चार गुना अधिक होती है और यह 50 वर्ष या अधिक उम्र में होती है।

एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स के अध्यक्ष (टेक्नोलॉजी एवं मेंटर, क्लिनिकल पैथोलोजी) डॉ. अविनाश फड़के ने कहा, हालांकि ‘अर्थराइटिस’ शब्द का अर्थ जोड़ों की सूजन से है, लेकिन इस शब्द का इस्तेमाल 100 से अधिक रूमेटोइड रोगों तथा हड्डियों एवं उतकों को प्रभावित करने वाले रोगों के लिए किया जाता है। विडम्बना यह है कि इसका एक मुख्य कारण भारतीय आबादी की बढ़ती उम्र और दूसरा मुख्य कारण मोटापा है। शुरुआत में दिखने वाले लक्षणों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। समय पर निदान एवं उपचार के द्वारा आप अपने जोड़ों को बचा सकते हैं।

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लाइफ स्टाइल

कैल्शियम की कमी को पूरा करती हैं ये चीजें, बनाएं डाइट का हिस्सा  

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These things fulfill the deficiency of calcium

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नई दिल्ली। शरीर में कैल्शियम की कमी हो, तो आप कई बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। आपको स्वस्थ रखने में कैल्शियम अहम भूमिका निभाता है। वैसे तो दूध को कैल्शियम का सबसे रिच सोर्स माना जाता है, लेकिन कई लोग दूध नहीं पीना चाहते। ऐसे में खाने में कुछ अन्य चीजों को शामिल कर आप शरीर में कैल्शियम की पूर्ति कर सकते हैं।

कैल्शियम के लिए दूध की जगह इन चीजों को करें शामिल

1.नट्स को बनाएं डाइट का हिस्सा

कई तरह के नट्स कैल्शियम से भरपूर होते हैं। बादाम में कैल्शियम उच्च मात्रा पाया जाता है। इसमें विटामिन-ई, कॉपर, मैग्नीशियम और अन्य विटामिन्स भी होते हैं।

2.सोयाबीन

शरीर में कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए सोयाबीन का सेवन कर सकते हैं। इसमें आयरन और प्रोटीन भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं।

3.रागी

शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए रागी का सेवन कर सकते हैं। इसके आटे की रोटी खा सकते हैं। यह कैल्शियम की कमी को पूरा करने में मदद करता है। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है।

4.पालक

पालक में आयरन के साथ-साथ कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में होता है। इसे डाइट में शामिल कर कैल्शियम की कमी दूर सकते हैं।

5.चिया सीड्स

शरीर में कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए डाइट में दूध की जगह चिया सीड्स भी शामिल कर सकते हैं। इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और अन्य विटामिन्स भी पाए जाते हैं।

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डिसक्लेमर: उपरोक्त लेख में दी गई जानकारी के पूर्णतया सत्य होने का हमारा दावा नहीं है। अपनाने से पहले सम्बंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य करें।

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