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बिजनेस

बैकरों को फंसे कर्जो के समाधान के लिए दिवालिया कार्रवाई पर भरोसा

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कोलकाता, 16 सितम्बर (आईएएनएस)| बैंकरों ने शनिवार को कहा कि वे अपने फंसे हुए कर्जो के समाधान के लिए दिवालिया और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) और नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल पर भरोसा कर रहे हैं।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के प्रबंध निदेशक (नेशनल बैंकिंग समूह) रजनीश कुमार ने बताया, दिवालियापन और दिवालियापन संहिता, 2016 बहुत उपयोगी है। उन्होंने कहा कि यह तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के समाधान की गति को तेज करेगा।

बैंकर ने कहा एनसीएलटी की प्रक्रिया नई है और परिपक्व नहीं है, लेकिन यह तनावग्रस्त परिसंपत्तियों (फंसे हुए कर्जे) के तुरंत समाधान मुहैया कराने की प्रक्रिया है। पहले के मॉडल में फंसे हुए कर्जो के पुर्नगठन की प्रक्रिया (कर्ज में छूट दे देना) थी, लेकिन इस प्रक्रिया से कई समस्याएं हल नहीं हुई थी।

बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीनबंधु मोहापात्रा ने सीआईआई द्वारा यहां आयोजित एक समारोह में कहा, पहले के पुनर्गठन मॉडल में फंसे कर्ज को निकालने के लिए ऋणदाता सबसे उसमें कर्जदाता के साथ मिलकर छूट देकर जितना ज्यादा से ज्यादा कर्ज चुकता हो सकता था, उतना निकलवाने की कोशिश करता था। कुछ मामलों में इसका फायदा हुआ, लेकिन भारीभरकम कर्ज के मामले में इससे कोई लाभ नहीं हुआ। अब एनसीएलटी और आईबीसी में सुधार कर नई प्रक्रिया लागू की गई है। अभी तक इस प्रक्रिया का फायदा देखने को मिल रहा है।

उनके समकक्ष यूसीओ बैंक के रवि किशन ने भी कहा कि बैंक एनसीएलटी प्रक्रिया को लेकर उत्साहित है।

उन्होंने कहा, एनसीएलटी का प्राथमिक उद्देश्य कर्ज की रकम वसूलना नहीं, बल्कि समस्या का समाधान करना है। पहले के मॉडल में बैंक कर्जदारों को ज्यादा हेयरकट (ऋण में छूट दे देना) नहीं दे पाते थे, लेकिन एनसीएलटी के तहत वे ज्यादा से ज्यादा ऋणछूट दे सकेंगे।

भारतीय रिजर्व बैंक ने देश के 12 सबसे बड़े खातों (कर्जदारों) की पहचान की है, जिनमें से हरेक पर 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है और यह कुल फंसे हुए कर्जो का 60 फीसदी से अधिक है।

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बिजनेस

Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो

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नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।

व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।

तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।

व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।

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