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बिहार में ‘जंगलराज’ नहीं, कानून का राज : नीतीश
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि बिहार में ‘जंगलराज’ नहीं, बल्कि कानून का राज है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘जंगलराज’ का हव्वा बनाकर लोगों को डराने की कोशिश की जा रही है। पटना में एक निजी चैनल के कार्यक्रम में नीतीश ने कहा, “विकास की मुख्य धारा में जो वंचित तबके हाशिये पर हैं, उन्हें आगे लाने की विशेष पहल होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि न्याय के साथ विकास का दूसरा मतलब है कि राज्य के सभी हिस्सों का विकास होना चाहिए। विकास के लिए माहौल बनाया जाना चाहिए और इस तरह का माहौल बनाए जाने की बिहार में कोशिश हुई।
नीतीश ने विकास कार्यो की चर्चा करते हुए कहा कि न्याय के साथ विकास और कानून का राज स्थापित करने के लिए काम किए गए।बिहार में बुनियादी ढांचे के अभाव से जुड़े एक सवाल के जवाब में नीतीश ने बिहार के पिछड़ेपन के लिए नीतियों को दोषी बताते हुए कहा कि यह अच्छी बात है कि बुनियादी ढांचे के साथ विकास की बात हो रही है।
बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन करने और फिर से ‘जंगलराज’ आने के विपक्षियों के सवाल के जवाब में नीतीश ने कहा, “बिहार में अब कानून का राज है। महिलाएं भी शाम को अकेले घर से निकलती हैं। राज्य में ‘जंगलराज’ नहीं है, उसका हव्वा बनाया गया है। ‘जंगलराज’ जैसी कोई स्थिति बिहार में न है, न कभी होगी।”
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गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक
अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।
इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।
हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।
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