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मुख्य समाचार

बिहार : महागठबंधन के निशाने पर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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पटना। बिहार में दो महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ दल सहित तीन दलों के महागठबंधन ने रविवार को राजधानी के ऐतिहासिक गांधी मैदान में संयुक्त रैली कर अपनी एकता व ताकत का प्रदर्शन पूरे जोश के साथ किया। ‘स्वाभिमान रैली’ में तीनों दलों के प्रमुखों व अन्य वक्ताओं के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे।

रैली को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष शरद यादव, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद व राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता शिवपाल सिंह यादव व अन्य नेताओं ने संबोधित किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 45 मिनट के अपने संबोधन में कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक पर देशभर में विरोध के कारण केंद्र सरकार को झुकना पड़ा, यह देश के लोगों की जीत है।

उन्होंने कहा, “यह जन सैलाब बता रहा है कि यदि कोई बिहारवासियों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाएगा तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” नीतीश ने कहा कि केंद्र में सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री को 14 महीने तक बिहार की याद नहीं आई, लेकिन चुनाव करीब आते ही उन्हें बार-बार बिहार की याद आने लगी है। पहले वाले प्रधानमंत्री कम बालेते थे। कम बोलना उनकी आदत थी और मौजूदा प्रधानमंत्री सिर्फ बोलते हैं, किसी की सुनते नहीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री को बिहार में ‘जंगलराज’ नजर आता है, लेकिन कोई बता दे कि बिहार में जंगलराज कहां है, यहां कानून का राज है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि अपराध के मामले में बिहार देश में 26वें स्थान पर है। उन्होंने कहा, “दिल्ली में पुलिस केंद्र सरकार के अधीन है। नरेंद्र मोदी की नाक के नीचे सबसे ज्यादा अपराध हो रहा है। भाजपा शासित हरियाणा, व्यापम वाले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व गुजरात में बिहार से ज्यादा अपराध हो रहा है। उन राज्यों में क्या जंगलराज नहीं, मंगलराज है?”

प्रधानमंत्री मोदी के ‘डीएनए’ वाले बयान की चर्चा करते हुए नीतीश ने कहा, “प्रधानमंत्री ने मेरे डीएनए को गड़बड़ कहा, मैं बिहार का हूं। मेरा डीएनए वही है, जो हर बिहारवासी का है। कल (सोमवार) से बिहार के लोग अपना डीएनए सैंपल प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजेंगे। उन्होंने बिहार के स्वाभिमान को ललकारा है।” मुख्यमंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री मुझे अहंकारी कहते हैं, लेकिन हमारे रग-रग में स्वाभिमान है, जिससे हम समझौता नहीं कर सकते। मैं स्वतंत्रता सेनानी का बेटा हूं, जिन लोगों के पुरखों का देश की आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं, वे हमारे डीएनए की बात करते हैं।” बिहार के लिए विशेष पैकेज की घोषणा को उन्होंने ‘रीपैकेजिंग’ करार देते हुए कहा कि इसमें से 110 करोड़ रुपये तो पहले से मंजूर थे प्रधानमंत्री ने इसकी घोषणा जिस अंदाज में किया, वह बेहद आपत्तिजनक था। लग रहा था जैसे वह बिहार की बोली लगा रहे हों।

वहीं, शरद यादव ने कहा कि भाजपा झूठ की खेती में माहिर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रत्येक वर्ष दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन यह वादा भी जुमला साबित हो गया। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव एक राज्य का नहीं, पूरे देश का है। इस चुनाव में बिहार के लोगों को देश के 125 करोड़ लोगों के लिए वोट डालना है। शरद ने भाजपा द्वारा बिहार में चल रहे शासन को ‘जंगलराज’ कहे जाने पर कहा कि बाबरी मस्जिद जब तोड़ी गई और उसके बाद जो कत्लेआम हुआ, वास्तव में वही ‘जंगलराज’ था।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, “लोकसभा चुनाव के दौरान 56 इंच का सीना दिखाकर जो वादे किए गए, वे सब खोखले साबित हो गए।.. मैं बिहार के स्वाभिमान की लड़ाई को और धार देने के लिए बिहार आई हूं।” उन्होंने कहा, “नरेंद्र मोदी सत्ता में आने से पहले पाकिस्तान को चुनौती देते थे, लेकिन उनके सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान लगातार आंख दिखा रहा है और वह कुछ नहीं कर पा रहे हैं।” सोनिया ने कहा, “आपको सोचना पड़ेगा कि जिन्होंने अपना 56 इंच का सीना दिखाकर देश की जनता से झूठा वादा किया, क्या आप उस पर विश्वास करेंगे?” उन्होंने महागठबंधन की चर्चा करते हुए कहा, “भाजपा के झूठे वादे और उनकी सांप्रदायिक सोच के खिलाफ हम इकट्ठा हुए हैं। एक जैसी सामाजिक सोच के कारण हम एक हैं। हम मिलकर भाजपा व अन्य सांप्रदायिक ताकतों का डटकर मुकाबला करेंगे।”

सोनिया ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी किसानों की जमीन छीनकर अपने चंद दोस्तों को देना चाहते हैं। केंद्र की गलत आर्थिक नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था डगमगा रही है, महंगाई बढ़ रही है, रुपये की कीमत गिर रही है। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने केंद्र सरकार की ‘स्मार्ट सिटी’ योजना पर तंज कसते कहा कि देश को स्मार्ट सिटी नहीं, स्मार्ट गांव चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी ने जो सभी लोगों को 15-15 लाख रुपये देने का वादा किया था, आज उस रकम का सभी लोग इंतजार कर रहे हैं।

लालू ने जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट जारी नहीं जारी कर धर्म आधारित रिपोर्ट जारी किए जाने को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा। अपने खास अंदाज में उन्होंने कहा, “बिहार गरीब है, परंतु बेवकूफ नहीं है। बिहार उड़त चिड़िया के हल्दी लगावे ला।” पूर्व रेलमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री यदुवंशियों को लालू से अलग करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें मालूम नहीं है कि लालू को यादव नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा, “यादवों को जब कोई भैंस नहीं पटक सकी तो ये नरेंद्र मोदी क्या पटक देगा?”

भाजपा नेताओं द्वारा ‘जंगलराज पार्ट-टू’ कहे जाने पर लालू ने कहा कि दो पिछड़े वर्ग के बेटे एक हो गए तो इन्हें अब जंगलराज पार्ट दो नजर आने लगा, मगर ये ‘जंगलराज’ नहीं ‘मंडलराज’ होगा। महंगाई को लेकर केंद्र सरकार पर राजनीतिक हमला बोलते हुए लालू ने कहा कि सोना और चांदी सस्ती हो गई, लेकिन प्याज और दाल महंगी हो गई। गरीब के थाली से अनाज गायब हो गया। क्या यही है अच्छे दिन?
रैली को संबोधित करने से पूर्व लालू ने एक ट्वीट में कहा, “गांधी मैदान में जुटे लोगों का उत्साह देखकर भाजपा को दिल का दौरा पड़ गया है।

इस चुनाव में दिल्ली से भी बुरी गत होगी भाजपा की। इनका अहंकार चूर कर देंगे।” उन्होंने आगे कहा, “भाजपा की वादाखिलाफी, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई से जनता आक्रोश में है। बिहारी जनमानस भाजपा को खदेड़ने और पटकने का मन बना चुका है।” गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मोदी ने जम्मू एवं कश्मीर के लिए भी विशेष पैकेज की घोषणा की थी, मगर वहां अभी तक पैकेज नहीं पहुंचा है। उनके पैकेज को भी जुमला ही समझिए। रैली में राबड़ी देवी, शिवपाल सिंह यादव व अन्य वक्ताओं के निशाने पर भी प्रधानमंत्री ही रहे।

नेशनल

लोकसभा के शोले और रहीम चाचा की खामोशी

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

हिन्दी सिनेमा की कालजई फिल्म शोले के रहीम चाचा का किरदार आपको जरूर याद होगा। उनका एक डायलॉग था जिसमें वो कहते है “इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई” उस वक्त पूरे रामगढ़ में किसी के पास इसका जवाब नहीं था, कमोवेश ठीक वैसे ही हालात इस वक्त लोकसभा चुनाव में नजर आ रहे हैं। लोकसभा के चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं पर पूरे देश में कहीं भी ऐसा नजर नहीं आता कि हम अगले पाँच साल के लिए अपने नुमाइंदे चुनने जा रहे हैं। एक अजीब खामोशी नुमायाँ है। गांव, कस्बों और शहरों तक में होर्डिंग और पोस्टर नजर नहीं आ रहे हैं और न ही कानफोडू लाऊडस्पीकर पर वोट मांगने वालों का शोर सुनाई दे रहा है, चाय की टपरी और पान के खोखों पर जमा होने वाली भीड़ अपने होंठों को सिले हुए है।

एक वक्त था जब हम लोग चाय की टपरी, पान की दुकान और रास्तों के ढाबों से देश का मूड भांप लेते थे। मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है इसका अंदाज लगाना आसान था। लेकिन आज स्थिति उलट है इन जगहों पर खड़ा आम आदमी आपसे ही उल्टा पूछ लेता है ‘और क्या चल रहा है’ इंसान-इंसान के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी हो गई है कि वो पब्लिक प्लेस पर अब राजनीतिक बात करने से गुरेज करने लगा है। वोटर अपने मन की बात जुबान पर नहीं लाना चाहता हैं क्यूंकी अब वो रेडियो पर ‘मोदी जी’ के मन की बात सुन रहा है और अपने मन की बात अपने मन में रखे हुए है। उसे डर है और ये डर मिश्रित चुप्पी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है।

लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी वोटिंग 2019 के मुकाबले कम हुई है। पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। ऐसे ही इस बार दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर करीब 63 फीसदी वोट पड़े। यह 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.09% मतदान के मुकाबले काफी कम था। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में वोटिंग उम्मीद से काफी कम रही। यूपी में 54.85%, बिहार में 55.08% , महाराष्ट्र में 57.83% , एमपी में 57.88 % वोटिंग हुई। सबसे अधिक वोट त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में पड़े। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में सात मई को वोटिंग है। इसमें 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 95 सीट पर मतदान होगा, जिसके लिए 1351 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

जब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को तीसरे, चौथे, पांचवे, छठे और सातवें चरण का मतदान होगा तो इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में गर्मी के साथ लू का असर दिखाई देगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान लगभग 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे अधिक हो सकता है। विशेष रूप से, 59 सीटों पर 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान का सामना करना पड़ सकता है। जबकि 194 सीटों पर 37.5-से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान देखा जा सकता है। लेकिन इस गर्मी के बीच क्षेत्रीय दलों के नेता काफी तेजी से अपने इलाके के मतदाताओं पर पकड़ बना रहे हैं और उन सवालों को उठा रहे हैं जिनसे देश का किसान, मजदूर और नौजवान चिंतित है। इसलिए उनके प्रति आम जनता की अपेक्षाएं बढ़ी हैं इसलिए विपक्षी गठबंधन के नेताओं की रैलियों में भारी भीड़ आ रही है। जबकि भाजपा की रैलियों का रंग उसके मुकाबले फीका नजर या रहा है।

हालांकि रैली में आने वाली भीड़ जीत का पैमाना नहीं होती इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता। हर दल का अपना एक समर्पित काडर होता है। जबकि आज काडर के नाम पर ज्यादातर दलों के पास सत्ता के छत्ते से चिपकी रहने वाली मधुमक्खी ही ज्यादा नजर या रहीं है ये वो लोग हैं जिन्हें सत्ता की दलाली करने के अवसरों की तलाश होती है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ जिसके पास काडर है कार्यकर्ता हैं वो भी खामोश नजर आ रहा है। बहरहाल लगातार कम होते मतदान ने नेताओं की धुकधुकी बढ़ा रखी है। सत्ता पक्ष मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए परेशान है तो विपक्ष कम प्रतिशत को अपने पक्ष में मानकर मुंगेरीलाल के सपने बुनने में मगन है।

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