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बिहार की बेटी को अपने ही राज्य में हार का मुंह देखना पड़ा
पटना। राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए की प्रत्याशी पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को सबसे तगड़ा झटका उनके अपने राज्य बिहार से ही लगा।
यूपीए की सत्तारूढ़ वाले इस राज्य से मीरा कुमार की सुनिश्चित मानी जा रही थी, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलग रुख की कीमत जगजीवन राम की इस बेटी को हारकर चुकानी पड़ी। अन्य राज्यों की तरह यहां भी एनडीए प्रत्याशी रामनाथ कोविंद ही भारी पड़े।
बिहार से मीरा कुमार को वोट तो अच्छे खासे मिले, लेकिन वो कोविंद को नहीं पछाड़ सकीं। कोविंद को बिहार से कुल 22 हजार 490 वोट मिले, जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी मीरा कुमार महज 18 हजार 867 वोट ही हासिल कर सकीं।
मीरा कुमार के खिलाफ आए इस नतीजे की सबसे बड़ी वजह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू का रामनाथ कोविंद को समर्थन करना रहा।
दलित जाति के कोविंद के नाम का ऐलान होने के बाद यूपीए ने मीरा कुमार को उनके मुकाबले अपना उम्मीदवार घोषित किया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसे विचारधारा की लड़ाई बताया। तभी से इस बात की ओर सबकी निगाह थीं कि क्या नीतीश कुमार अपने फैसले पर पुनर्विचार करते हुए कोविंद की जगह मीरा कुमार को समर्थन देंगे। मीरा कुमार को बिहार की बेटी कहा गया, लेकिन नीतीश ने अपना फैसला नहीं बदला।
नीतीश का कहना था कि बिहार की बेटी मीरा कुमार को हारने के लिए मैदान में उतारा गया है। यदि कांग्रेस वाकई उन्हें कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देना चाहती थी तो उस समय उन्हें उम्मीदवार बनाती जब आंकड़े यूपीए के पक्ष में थे। कांग्रेस को चाहिए कि 2019 में जीत की रणनीति बनाए और 2022 में बिहार की बेटी को राष्ट्रपति बनाए।
नीतीश के इस रुख से तय हो गया कि मीरा कुमार को बिहार में कोविंद के मुकाबले हार का सामना करना पड़ेगा क्योंकि नीतीश के कोविंद के खेमे में जाने से आंकड़े एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में हो गए।
नेशनल
अमित शाह के फर्जी वीडियो मामले ने पकड़ा तूल, महाराष्ट्र युवा कांग्रेस और 16 अन्य के खिलाफ केस दर्ज
मुंबई। गृह मंत्री अमित शाह के फर्जी वीडियो मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले में महाराष्ट्र युवा कांग्रेस और 16 अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज हो गई है। एक अधिकारी ने बताया कि इस मामले में मुंबई बीजेपी के पदाधिकारी प्रतीक करपे ने बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है।
शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि शाह का फर्जी वीडियो आरोपी व्यक्तियों द्वारा उन्हें बदनाम करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से व्यापक रूप से साझा किया गया था। शिकायत के अनुसार, फर्जी वीडियो में शाह को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को दिए जाने वाले आरक्षण अधिकारों में कटौती की घोषणा करते हुए दिखाया गया है। हालांकि, करपे ने कहा कि मूल वीडियो, जहां से यह फर्जी वीडियो बनाया गया है, उसमें पूरी तरह से अलग शब्द और अर्थ हैं।
आरोपी व्यक्तियों ने भाषण का डीप फेक वीडियो बनाया और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से प्रसारित किया। उन्होंने कहा कि पुलिस को तुरंत डीप फेक वीडियो को हटाना चाहिए और आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए, जिन्होंने इसे विभिन्न जातियों में व्यवधान, दुश्मनी और नफरत पैदा करने के इरादे से साझा किया।
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