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बिलकिस बानो मामला : भगोरा की याचिका पर जल्द सुनवाई नहीं

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नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात के बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले में मंगलवार को गुजरात के पुलिस अधिकारी रामाभाई भगोरा की याचिका पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इस याचिका में बंबई उच्च न्यायालय द्वारा भगोरा को दोषी ठहराए जाने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई है।

न्यायालय की अवकाशकालीन पीठ के न्यायमूर्ति ए.के.सीकरी और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने कहा कि इस मामले में जल्दबाजी की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि यह मामला 2002 के गुजरात दंगों के कई मामलों में से एक है।

भगोरा के वकील ने पीठ से आग्रह किया था कि उनके मुवक्किल पहले ही सजा पूरी कर चुके हैं और यदि उनकी सजा पर रोक नहीं लगाई गई, तो वह अपनी नौकरी से हाथ धो बैठेंगे।

पीठ ने न सिर्फ दोषी करार दिए जाने के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, बल्कि उसने मामले की जांच करने वाले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी करने के वकील के अनुरोध को भी अनसुना कर दिया।

बंबई उच्च न्यायालय ने इस मामले में भगोरा व चार अन्य पुलिसकर्मियों तथा दो चिकित्साकर्मियों को कारावास की सजा सुनाई थी और उन पर अलग-अलग 15,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था। भगोरा अपनी सजा पूरी कर चुके हैं।

दोषी करार दिए गए 11 में से तीन लोगों को मौत की सजा देने की मांग वाली सीबीआई की याचिका को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने पांच पुलिसकर्मियों तथा दो चिकित्साकर्मियों को बरी करने के फैसले को खारिज कर दिया था। जांच एजेंसी ने इन्हें बरी करने के फैसले को चुनौती दी थी।

उन्हें जनवरी 2008 में बरी किया गया था।

पुलिसकर्मियों पर दस्तावेजों से हेरफेर तथा पंचनामा की कानूनी जांच से समझौता कर सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया था।

पीड़ित के साथ जब वह खौफनाक घटना घटी थी, तब वह मात्र 19 साल की थी और गर्भवती थी। घटना तीन मार्च, 2002 को दाहोद के निकट रांधिकपुर में तब घटी थी, जब एक भीड़ ने उसपर तथा उसके परिवार के दर्जन भर सदस्यों पर हमला कर अधिकांश को मार डाला गया था।

इस घटना में केवल बिलकिस तथा दो अन्य रिश्तेदार सद्दाम तथा हुसैन जिंदा बचे थे, जबकि उसकी मां, बहन, नाबालिग बेटी तथा अन्य रिश्तेदार मारे गए थे।

निचली अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को मामले में दिए अपने फैसले में हत्या, सामूहिक दुष्कर्म तथा गर्भवती महिला से दुष्कर्म करने का दोषी ठहराते हुए 11 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

आजीवन कारावास की सजा पाने वालों में जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेष भट्ट, राधेश्याम भगवान दास शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोरढ़िया, बाकाभाई बोहानिया, राजूभाई सोनी, मीतेश भट्ट तथा रमेश चंदन शामिल थे।

सीबीआई ने जसवंत नाई, गोविंद नाई तथा शैलेष भट्ट को मौत की सजा की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। तीनों पर बिलकिस बानो की तीन साल की बेटी के सिर को पत्थर से कुचलकर मारने का आरोप था।

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सीएम योगी का सपा पर निशाना, कहा- इनके शासनकाल में आतंकवादियों के मुकदमे वापस लिए जाते थे

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उन्नाव। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को उन्नाव में एक सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस और सपा पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सपा-कांग्रेस का इतिहास प्रभु श्रीराम का विरोध करने वाला रहा है। कांग्रेस कहती थी कि प्रभु राम का अस्तित्व ही नहीं है। वहीं, दूसरी तरफ सपा कहती थी कि अयोध्या में एक भी परिंदा पर नहीं मार सकता है, यह इनका दोहरा चरित्र है। सपा के शासनकाल में आतंकवादियों के मुकदमे वापस लिए जाते थे।

सीम योगी ने कहा कि इन लोगों ने अयोध्या, रामपुर में सीआरपीएफ कैंप, काशी में संकटमोचन मंदिर, लखनऊ, अयोध्या और वाराणसी की कचहरी पर हमला करने वाले आतंकियों के मुकदमे वापस लेने का प्रयास किया था। जिस पर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि आप इनके मुकदमे वापस लेने की बात कह रहे हैं और कल इन्हें पद्म पुरस्कार से नवाजेंगे।”

उन्होंने कहा कि अयोध्या में जहां एक ओर रामलला विराजमान हो गए हैं। वहीं, दूसरी ओर बड़े-बड़े माफिया की ‘राम नाम सत्य’ हो रही है। इंडिया गठबंधन पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि इनके मेनिफेस्टो में अल्पसंख्यकों को खाने-पीने की पूरी स्वतंत्रता देने की बात कही गई है। यह जनता को नहीं बता रहे हैं कि ऐसा कौन सा खान-पान है जो बहुसंख्यक समाज नापसंद करता है। बहुसंख्यक समाज गोमाता की पूजा करता है और वह गोकशी को बर्दाश्त नहीं कर सकता है।

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