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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश : मौत की सजा के खिलाफ याचिका पर सुनवाई अप्रैल में

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ढाका। बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी (जेआई) नेता और युद्ध अपराधों के दोषी मोहम्मद कमरुज्जमां द्वारा मौत की सजा पर दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर एक अप्रैल से सुनवाई शुरू होगी। याचिका की सुनवाई की तारीख पर सोमवार को चार सदस्यों वाली पीठ ने फैसला लिया। इस पीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश एस.के. सिन्हा कर रहे थे। कमरुज्जमां के वकील ने पांच मार्च को पुनर्विचार याचिका दायर की थी।

कमरुज्जमां 1971 में मयमनसिंह शहर के इस्लामी छात्र संघ के कार्यकारी अध्यक्ष थे। देश के मुक्ति युद्ध के दौरान वह इस क्षेत्र में अल बदर के मुख्य संगठक थे। मई 2013 में अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी)-2 ने अभियोजन पक्ष द्वारा उन पर लगाए गए सात आरोपों में से पांच में उन्हें दोषी पाया था, और मौत की सजा सुनाई थी।

न्यायालय ने माना था कि नागरिक सेना अल बदर का गठन बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई को विफल बनाने में पाकिस्तानी सेना की सहायता करने के लिए किया गया था। कमरुज्जमां को दो आरोपों में दोषी पाते हुए मौत की सजा सुनाई गई थी। पहला आरोप था, पत्रकार गुलाम मुस्तफा और 120 अन्य पुरुषों की हत्या का, वहीं दूसरा मामला 25 जुलाई 1971 को शेरपुर के नालिताबाड़ स्थित सुहागपुर गांव में महिलाओं के दुष्कर्म का था।

नबंवर 2014 में उसकी मौत की सजा को बरकरार रखा गया था। लेकिन अदालत ने गुलाम मुस्तफा की हत्या के मामले में सुनाई गई मौत की सजा को कम कर उम्रकैद में बदल दिया था। आईसीटी-2 के तीन न्यायाधीशों ने 19 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय का पूरा फैसला जारी होने के बाद उसके मौत के वारंट पर हस्ताक्षर किए थे।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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