प्रादेशिक
प्यार का खौफनाक अंजाम, भाभी की बहन की हत्या कर खुद को उड़ाया
कानपुर। मोहब्बत को खुदा की इबादत, ईश्वर की पूजा जैसे पवित्र शब्दों की संज्ञा दी जाती है लेकिन जब इश्क का नशा पागलपन में बदलता है तो वो भयावह घटना के रूप में सामने आता है। इसकी बानगी शनिवार को घाटमपुर कोतवाली क्षेत्र में देखने को मिली। इस खौफनाक दोहरे हत्याकांड के बाद पूरे इलाके में दहशत फैल गयी है ।
प्यार से मर्डर तक की खौफनाक कहानी
घाटमपुर कोतवाली क्षेत्र में शनिवार तीन बजे एक घर से गोलियां चलने की आवाज सुनायी दी। जब पड़ोसी उस घर मे पहुंचे तो वहां ओर दो लाशें फर्श पर खून से लथपथ पड़ी थीं।
सजेती थाना क्षेत्र के अज्योरी गांव निवासी किसान श्रीपाल की बड़ी बेटी गुड्डी की शादी पांच साल पहले मछरिया निवासी राजेश पुत्र विशम्भर से हुई थी। शादी के कुछ दिनों बाद ही राजेश के भाई पीयूष उर्फ छोटू के श्रीपाल की छोटी बेटी रीता से प्रेम सम्बन्ध हो गए। दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमों और वादों के साथ कई साल बिता दिए। पीयूष, रीता से शादी करना चाहता था और उसने यह बात रीता के परिवारीजनों से कही लेकिन उन्होंने शादी से इन्कार कर दिया। यही नहीं उन्होंने पीयूष के अज्योरी आने पर भी रोक लगा दी।
गांव में फैली सनसनी
पीयूष शनिवार तीन बजे अज्योरी गांव पहुंचा और उस समय रीता घर पर अकेली थी। पीयूष प्यार में पागल हो चुका था। उसने रीता का हाथ पकडक़र शादी के लिए दबाव बनाया लेकिन उसने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाने से इन्कार कर दिया। इससे भडक़े पीयूष ने जेब से तमंचा निकाला और रीता के सीने से सटाकर फायर झोंक दिया और जब रीता तड़प-तड़प कर मौत की नींद सो गयी तो पीयूष ने खुद को गोली मार ली और इसी के साथ दोनों की प्रेम कहानी का खौफनाक अंत हो गया ।
गोली चलने की आवाज सुनकर पड़ोसी रीता के घर की तरफ भागे। वह जैसे ही घर के आंगन में पहुंचे तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। आनन -फानन में खेत पर काम कर रहे रीता के माता पिता को घटना की जानकारी देते हुए पुलिस को इसकी सूचना दी गई।
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गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक
अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।
इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।
हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।
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