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अन्तर्राष्ट्रीय

पोम्पी में ज्वालामुखी से ध्वस्त घर का 3डी तकनीक से पुनर्निर्माण

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पोम्पी

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पोम्पी लंदन| परंपरागत पुरातत्व के साथ थ्रीडी तकनीक का प्रयोग कर स्वीडन के लुंड विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने पोम्पी में एक घर का पुनर्निर्माण किया है। यह घर देखने में ठीक उसी तरह का लग रहा है, जैसा कि वह सदियों पहले माउंट विसुवियस ज्वालामुखी फटने से पहले था। यूनिक वीडियो मैटेरियल अब लोगों के सामने आ चुका है, जिसके प्रयोग से घरों के सारे ब्लॉक थ्रीडी मॉडल के रूप में दिखते हैं।

लुंड विश्वविद्यालय के डिजिटल पुरातत्वविद् निकोलो डेलउंटो ने कहा कि नई तकनीक का प्रयोग अधिक परंपरागत तरीकों के साथ कर हम पोम्पी को अधिक विस्तृत रूप में और पहले से भी ज्यादा सुंदर रूप में सामने ला सकते हैं। 79 ईस्वी में विसुवियस ज्वालामुखी के फटने के बाद संपन्न रोमन शहर-पोम्पी राख के ढेर में तब्दील हो गया था।

इटली में 1980 में भयंकर ज्वालामुखी के फटने के बाद पोम्पी शहर के क्यूरेटर ने अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान समुदाय को जर्जर शहर के कागजों के रखरखाव के लिए आमंत्रित किया। साल 2000 में रोम के स्वीडिश इंस्टीट्यूट में स्वीडिश पोम्पी प्रोजेक्ट शुरू हुआ था। इस प्रोजेक्ट में अत्याधुनिक डिजिटल पुरातत्व नाम की एक नई शाखा को थ्रीडी मॉडल्स के साथ शामिल किया गया, जो तैयार तस्वीरों के दस्तावेजीकरण को दिखा रहा है।

इन सब के बीच, अनुसंधानकर्ताओं ने 79 ईस्वी में निर्मित मंजिलों के सतह पर से पर्दा उठाया। उन्होंने इतिहास द्वारा इमारतों के विकास की विस्तृत झलक, साफ-सुथरे तीन बड़े और संपन्न संपदाओं, जिसमें एक मधुशाला, एक लाउंड्री और एक बेकरी के अलावा ढेर सारे बगीचों की झलक को प्रस्तुत किया है।

एक बगीचे में उन्होंने ज्वालामुखी के फटने के दौरान सुंदर फव्वारों के नलों की मौजूदगी के बारे में भी बताया है। उन्होंने बताया कि जब ज्वालामुखी फटा, उस समय राखों के पोम्पी पर गिरने के कारण फव्वारों का पानी बंद हो गया।

जल और नाला पद्धतियों के अध्ययन द्वारा वे उस समय के सामाजिक पदानुक्रम की व्याख्या करने में सक्षम थे। उन्होंने अपने अध्ययन के द्वारा यह जाना कि किस तरह से खुदरा विक्रेताओं और भोजनालय पानी के लिए बड़े और संपन्न परिवारों पर निर्भर थे और किस तरह से अंत में ज्वालामुखी फटने से पहले इन स्थितियों में सुधार हुआ।

एक नहर का निर्माण पोम्पी में किया गया था, ताकि वहां के निवासियों को पानी के लिए ज्यादा समय तक गहरे कुओं पर या बड़े सम्पन्न घरों को बारिश के पानी वाले टैंकों पर निर्भर न रहना पड़े।

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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