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अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान में 45 अरब डॉलर निवेश करेगा चीन, 51 करार हुए

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान और चीन ने सोमवार को विभिन्न क्षेत्रों में 51 समझौते तथा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। पाकिस्तान दौरे पर आए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ऊर्जा की गंभीर कमी को खत्म करने के लिए 45 अरब डॉलर की एक निवेश योजना का अनावरण करेंगे। शी जिनपिंग तथा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ इस्लामाबाद में समझौतों पर हस्ताक्षर के दौरान उपस्थित थे। दोनों नेताओं ने आठ परियोजनाओं के फलक का भी अनावरण किया, जिन्हें चीन के सहयोग से पूरा किया जाएगा। परियोजनाएं व समझौते चीन-पाकिस्तान के आर्थिक गलियारे, ऊर्जा, विनिर्माण, कृषि, शोध व प्रौद्योगिकी, शिक्षा तथा अन्य क्षेत्रों से संबंधित हैं।

उन्होंने इस बात की दोबारा पुष्टि की कि चीन के साथ मित्रता पाकिस्तान की विदेश नीति की आधारशिला है। उन्होंने कहा कि हमारे संबंध लोगों की भावनाओं से जुड़े हैं, जिससे यह मजबूत होता है। शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान-चीन के रिश्तों की प्रमुख बानगी राजनीतिक विकास, दोनों देशों में बदलाव तथा कई क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं के बावजूद स्थिरता व लचीलापन है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान चीन के संबंध हमेशा से मजबूत रहे हैं। दोनों देशों के बीच संबंध साझा आदर्शो, आपसी विश्वास के सिद्धांतों, आपसी लाभ तथा आदर पर टिके हैं।

राष्ट्रपति शी ने कहा कि पाकिस्तान दौरे का प्रमुख उद्देश्य संबंधों को और मजबूत करना तथा रणनीक साझेदारी को बढ़ावा देना तथा संबंध को और मित्रवत बनाना है। उन्होंने शरीफ को आश्वस्त किया कि वह पाकिस्तान खासकर बलूचिस्तान प्रांत के विकास में सतत सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए सहयोग जारी रखेगा। चीन के राष्ट्रपति ने कहा कि अगले 10 वर्षो में पाकिस्तान के साथ आर्थिक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए विशेष ध्यान दिया जाएगा।

शी जिनपिंग पाकिस्तान में ऊर्जा की गंभीर कमी को खत्म करने के लिए 45 अरब डॉलर की एक निवेश योजना का अनावरण करेंगे, जो इसे क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र के रूप में परिवर्तित करेंगे। बीजिंग क्षेत्र में अमेरिका तथा भारतीय प्रभाव का मुकाबला करते हुए मध्य व दक्षिण एशिया में व्यापार व परिवहन विस्तार के लिए अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के उद्देश्यों से पाकिस्तान में निवेश बढ़ने की उम्मीद जताई है। दोनों देश आपस में कूटनीतिक व सैन्य संबंधों का कई दशक से फायदा उठा रहे हैं, हालांकि आर्थिक संबंधों में हाल में बढ़ोतरी देखी गई है। एक दशक पहले द्विपक्षीय व्यापार दो अरब डॉलर था, जो अब 12 अरब डॉलर को पार कर गया है। पाकिस्तान के योजना एवं विकास मंत्री अहसान इकबाल ने कहा कि 16,400 मेगावाट बिजली प्राप्त करने के लिए दोनों देश गैस, कोयला तथा सौर ऊर्जा परियोजनाओं में सहयोग बढ़ाएंगे।

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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