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मुख्य समाचार

नोटिस मामले में अमिताभ ठाकुर ने लोकायुक्त से जताई आपत्ति

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लखनऊ। निलंबित आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने संजय शर्मा द्वारा लोकायुक्त एनके महरोत्रा को दी गई शिकायत में उन्हें कार्यालय कर नोटिस भेजने के लोकायुक्त के बयान पर आपत्ति दर्ज कराई है।

उन्होंने कहा कि सात अगस्त को उनके मोबाइल पर लोकायुक्त कार्यालय के एके सिंघल का फोन आया था। इस दौरान उन्होंने सिंघल को बताया कि वे सोमवार तक वापस आ जाएंगे और तब यह नोटिस तामील कराई जा सकती है।

ठाकुर ने अपने पत्र में इस जानकारी के बाद भी उनके कार्यालय के माध्यम से नोटिस देने के बयान को प्रकरण को अकारण सनसनीखेज बनाना बताया। साथ ही उन्होंने लोकायुक्त से पुनः शिकायतकर्ता को आरोपों के सम्बन्ध में साक्ष्य प्रस्तुत करने के निर्देश देने और लोकायुक्त द्वारा की गयी प्राथमिक जांच के सम्बन्ध में जानकारी देने का अनुरोध किया।

ये है पत्र

सेवा में,
श्री एन के महरोत्रा,
मा० लोकायुक्त,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ

विषय- मेरे विरुद्ध परिवाद विषयक
महोदय,
कृपया श्री संजय शर्मा द्वारा मेरे विरुद्ध प्रस्तुत परिवाद का सन्दर्भ ग्रहण करें. मुझे आज इस सम्बन्ध में कतिपय समाचारपत्रों में आपके सन्दर्भ से प्रकाशित एक समाचार के विषय में अवगत कराया गया जिसमे यह लिखा है कि आपके द्वारा मुझे भेजा गया नोटिस तीसरी बार बैरंग लौट गया है और अब मेरे कार्यालय को नोटिस भेजने की तैयारी है. इन समाचारों में आपके हवाले से यह कहा गया है कि तीन बार सिपाही से नोटिस भेजा गया और किसी के न मिलने की जानकारी होने पर अब मेरे कार्यालय के माध्यम से मुझे नोटिस तामिल कराया जाएगा.
निवेदन करूँगा कि मैं इस पत्र के माध्यम से इस पूरी स्थिति पर खुले तौर पर अपनी आपत्ति प्रस्तुत कर रहा हूँ. इसका प्रमुख कारण यह है कि कल दिनांक 07/08/2015को समय 12.53 बजे मेरे मोबाइल नंबर 094155-34526 पर मोबाइल नंबर 094155-00038 से आपके कार्यालय में कार्यरत श्री ए के सिंघल का फोन आया था जिनसे मेरी41 सेकंड बात हुई थी. श्री सिंघल ने मुझसे बताया था कि उन्होंने तीन बार नोटिस भेजा था पर मेरे आवास पर कोई नहीं मिला. मैंने उन्हें स्पष्ट रूप से बताया था कि मैं वर्तमान में लखनऊ से बाहर हूँ और मेरे घर पर कोई नहीं है. उनके पूछने पर मैंने यह भी बताया था कि मैं सोमवार दिनांक 10/08/2015 तक वापस आ जाऊँगा और तब मुझे यह नोटिस तामिल कराई जा सकती है. इस बातचीत से स्पष्ट है कि श्री सिंघल को यह बात अच्छी तरह ज्ञात हो गया था कि मैं सोमवार को लखनऊ रहूँगा और मुझे उस तिथि को नोटिस दी जा सकती है.
आपके कार्यालय से परिचित हर एक व्यक्ति यह बात भली-भाँती जानता है कि श्री सिंघल की ख्याति मा० लोकायुक्त कार्यालय में आपके सबसे विश्वस्त कर्मी के रूप में हैं. मुझे अच्छी तरह याद है कि जब मैं आपसे इस शिकायत के सम्बन्ध में पहली बार मिलने गया था तो उस समय भी आपने श्री सिंघल और उसी कक्ष में एक महोदय के सामने मुझे अपनी बात कहने को आदेशित किया था और मेरे निवेदन के बाद ही आपने श्री सिंघल और उन महोदय को उस कक्ष से बाहर जाने को आदेशित किया था.
अतः ऐसे में जब दिन के 12.53 बजे श्री सिंघल को यह तथ्य जानकारी में आ गयी कि मैं शहर से बाहर हूँ और सोमवार तक लौटूंगा तो इस प्रकार के अभिकथन उचित नहीं प्रतीत होते हैं.
मेरे विरुद्ध महोदय के समक्ष शिकायत दर्ज है और यदि मैं गलत होऊंगा तो मुझे निश्चित दण्डित किया जाए लेकिन मेरा यह करबद्ध निवेदन है कि इस पूरे प्रकरण को विशेषकर आपके अभिकथनों का प्रयोग कर अकारण सनसनीखेज बनाए जाने के उपक्रम से रुकवाने की कृपा करें.
मैं यह भी निवेदन करूँगा कि मैं इस प्रकरण में निरंतर जांच में सहोयोग करता रहूँगा क्योंकि यह मेरा दायित्व है.
साथ ही एक बार पुनः मेरे समसंख्यक पत्र दिनांक 30/07/2015 के बिंदु संख्या 15 पर प्रस्तुत मेरे दोनों निवेदनों के सम्बन्ध में आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहूँगा. मेरा पहला निवेदन यह था कि इस मामले में शिकायतकर्ता ने अपनी मर्जी से आरोप तो तमाम लगा दिए हैं पर उनमे से ज्यादातर के सम्बन्ध में उन्होंने कोई साक्ष्य नहीं दिए हैं. ऐसे में बिना साक्ष्य के प्रस्तुत किये गए किसी व्यापक (Generalized) आरोपों का उत्तर देना निश्चित रूप से दुष्कर है. अतः मैंने शिकायतकर्ता से इस प्रकार के साक्ष्यविहीन व्यापक (Generalized) आरोपों के सम्बन्ध में साक्ष्य प्रस्तुत करने के आदेश देने का निवेदन किया था. पुनः सादर निवेदन है कि कृपया इस सम्बन्ध में शिकायतकर्ता को आदेशित करने की कृपा करें. साथ ही यह भी पुनः अनुरोध है कि आपके द्वारा इस प्रकरण में प्राथमिक स्तर पर कृत कार्यवाही, जिनके आधार पर आपने यह निश्चित मंतव्य बनाया कि “शिकायतें गंभीर हैं” में प्राप्त तथ्यों से मुझे भी अवगत कराने की कृपा करें ताकि मैं बेहतर ढंग से पूरे सन्दर्भ को समझते हुए अपना पक्ष प्रस्तुत कर सकूँ.
पत्र संख्या-AT/Complaint/160/2015 भवदीय,
दिनांक- 08/08/2015
(अमिताभ ठाकुर)
आईपीएस (नि०)
5/426, विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
# 94155-34526

नेशनल

भाजपा का परिवार आरक्षण ख़त्म करना चाहता है: अखिलेश यादव

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एटा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एटा में सपा प्रत्याशी देवेश शाक्य के समर्थन में संविधान बचाओ रैली को संबोधित किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान बचेगा तो लोकतंत्र बचेगा और लोकतंत्र बचेगा तो वोट देने का अधिकार बचेगा। अखिलेश यादव ने दावा किया कि ये अग्निवीर व्यवस्था जो लेकर आए हैं इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी तो अग्निवीर व्यवस्था समाप्त कर पहले वाली व्यवस्था लागू करेंगे।

उन्होंने आरक्षण मामले पर आरएसएस पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के साथ एक सबसे खतरनाक परिवार है, जो आरक्षण खत्म करना चाहता है। अब उन्हें वोट चाहिए तो वह कह रहे हैं कि आरक्षण खत्म नहीं होगा।

उन्होंने आगे कहा कि मैं पूछना चाहता हूं अगर सरकार की बड़ी कंपनियां बिक जाएंगी तो क्या उनमें आरक्षण होगा? उनके पास जवाब नहीं है कि नौकरी क्यों नहीं दे रहे हैं? लोकसभा चुनाव संविधान मंथन का चुनाव है। एक तरफ वो लोग हैं जो संविधान को हटाना चाहते हैं। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन और समाजवादी लोग हैं जो संविधान को बचाना चाहते हैं। यह चुनाव आने वाली पीढ़ी के भविष्य का फैसला करेगा। वो लोग संविधान के भक्षक हैं और हम लोग रक्षक हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि एटा के लोगों को भाजपा ने बहुत धोखा दिया है। इनका हर वादा झूठा निकला। दस साल में एक लाख किसानों ने आत्महत्या की है। उनकी आय दोगुनी नहीं हुई। नौजवानों का भविष्य खत्म कर दिया गया है। हर परीक्षा का पेपर लीक हो रहा है।

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