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नशीद के खिलाफ फैसले का सम्मान हो : मालदीव

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मालदीव के राष्ट्रपति यामीन अब्दुल गयूम, 13 साल कैद की सजा, पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद, मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी

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माले| मालदीव के राष्ट्रपति यामीन अब्दुल गयूम ने देश की फौजदारी अदालत द्वारा पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के खिलाफ सुनाए गए उस फैसले का सम्मान करने का आग्रह किया है, जिसमें नशीद को 13 साल कैद की सजा सुनाई गई है। समाचार एजेंसी ‘सिन्हुआ’ के मुताबिक, राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि मालदीव के कानून के तहत नशीद को इस सजा के खिलाफ अपील करने का संवैधानिक अधिकार है।

यामीन के कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, “सरकार अपने अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों का आह्वान करती है कि वे देश में लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थानों को मजबूती प्रदान करने के लिहाज से आपसी सम्मान और संवाद पर आधारित रचनात्मक आदान-प्रदान जारी रखें।”

शुक्रवार को मालदीव की फौजदारी अदालत ने नशीद को आतंकवाद के आरोपों में 13 साल कारावास की सजा सुनाई थी। नशीद की मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने कहा है कि लगभग तीन सप्ताह चला यह मुकदमा पूरी तरह राजनीति से प्रेरित था, जिसकी व्यापक स्तर पर मालदीव और विदेशों में भी आलोचना हुई है।

एमडीपी के प्रवक्ता हामिद अब्दुल गफूर ने कहा कि नशीद को अपना कानूनी पक्ष रखने और अपील करने के अधिकार से लगातार वंचित रखा गया। प्रक्ता ने कहा कि नशीद के पक्ष में गवाही देने वालों को अपना पक्ष रखने से रोका गया और अभियोजन पक्ष के गवाहों को नियमित रूप से न्यायाधीशों और पुलिस द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।

नशीद की कानूनी टीम ने पिछले सप्ताह इस्तीफा दे दिया था। उनका आरोप था कि अदालत ने उन्हें बचाव की तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया, जिसके कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा है। गौरतलब है कि नशीद मालदीव में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित पहले राष्ट्रपति (2008) रहे। लेकिन फरवरी 2012 में उनका तख्तापलट कर दिया गया था।

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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