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अन्तर्राष्ट्रीय

नवाज शरीफ ने सैन्य अभियान पर बैठक बुलाई

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इस्लामाबाद | पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने बुधवार को यहां सेना के उत्तरी वजीरिस्तान में चल रहे आतंकवाद-रोधी अभियान ‘जर्ब-ए-अज्ब’ की प्रगति पर चर्चा के लिए उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। वेबसाइट ‘डॉन ऑनलाइन’ के मुताबिक, इस बैठक में सेनाध्यक्ष राहील शरीफ, इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रिजवान अख्तर, इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक मेजर जनरल असीम बजवा, गृह मंत्री चौधरी निसार अली खान, वित्त मंत्री इशाक डार, रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ और अन्य वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारी शामिल हुए।

पाकिस्तानी सेना ने कराची अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर हमले के बाद और सरकार व तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) वार्ताकारों के बीच शांति वार्ता असफल होने के बाद 15 जून को ‘जर्ब-ए-अज्ब’ अभियान शुरू किया था। उत्तरी वजीरिस्तान में हमले के बाद दस लाख से ज्यादा लोग घर-बार छोड़कर भाग गए थे।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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