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अन्तर्राष्ट्रीय

दक्षिण कोरिया में मर्स के मामले बढ़कर 180 हुए

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सियोल| दक्षिण कोरिया में मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (मर्स) के गुरुवार को एक नया मामला सामने आया, जिसके बाद इस बीमारी से पीड़ितों की संख्या बढ़कर 180 हो गई है। इस घातक बीमारी से दो अन्य मरीजों की मौत हो गई है, जिसके बाद इससे मरने वालों की संख्या 29 हो गई है। दक्षिण कोरिया के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी बयान के अनुसार, मर्स संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो चुके सात मरीजों को गुरुवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, जिसके बाद अस्पतालों से छुट्टी पाने वाले मरीजों की संख्या 74 हो गई है।

जिन लोगों को मर्स संक्रमण के संदेह में अलग रखा गया है, उनकी संख्या में भी कमी आई है। बुधवार को जहां ऐसे लोगों की संख्या 3,103 थी, वहीं गुरुवार को यह संख्या 2,642 रही।

मर्स का पहला मामला सऊदी अरब में वर्ष 2012 में सामने आया था, जबकि दक्षिण कोरिया में मर्स का पहला मामला इस साल 20 मई को सामने आया।

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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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