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तेलंगाना के गठन की तीसरी वर्षगांठ पर जश्न
हैदराबाद, 2 जून (आईएएनएस)| तेलंगाना शुक्रवार को अपने स्थापना दिवस की तीसरी वर्षगांठ का जश्न मना रहा है। इस मौके पर मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव और उनका मंत्रिमंडल की अगुवाई में राज्यभर में जश्न मनाया जा रहा है।
साल 2014 में आज के ही दिन आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना देश का 29वां राज्य बना था।
सिकंदराबाद परेड मैदान में आयोजित मुख्य आधिकारिक समारोह में चंद्रशेखर राव ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इस दौरान रंग-बिरंगी परेड का भी आयोजन किया गया।
चंद्रशेखर राव विधानसभा भवन के निकट गन पार्क में तेलंगाना के शहीदों के स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे।
मुख्यमंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि तीन साल की छोटी अवधि में तेलंगाना ने सभी क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की है और यह ‘स्वर्ण तेलंगाना’ बनने की दिशा में अग्रसर है।
उन्होंने भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि देश के राजस्व में तेलंगाना का सर्वाधिक 17.82 प्रतिशत का योगदान रहा है।
केसीआर नाम से प्रसिद्ध मुख्यमंत्री ने कहा कि तेलंगाना, गरीब और कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में देश का शीर्ष राज्य बन गया है।
उन्होंने कहा कि राज्य 36 कल्याणकारी योजनाओं पर सालाना 40,000 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है।
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) प्रमुख ने पिछले तीन वर्षों में राज्य की उपलब्धियों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाओं के लिए 50 से अधिक व्यक्तित्वों को पुरस्कार प्रदान किया।
राज्य पुलिस की विभिन्न इकाइयों ने परेड में भाग लिया।
राज्य के 30 अन्य जिलों में भी इसी तरह के समारोहों में मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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