आध्यात्म
तमिलनाडु में ‘जल्लीकट्टू’ के दौरान 3 लोगों की मौत
चेन्नई, 16 जनवरी (आईएएनएस)| तमिलनाडु के विभिन्न स्थानों पर जल्लीकट्टू या सांड को काबू करने के पारंपरिक खेल के दौरान तीन लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
यहां से 500 किलोमीटर दूर शिवगंगा जिले के एक गांव में एक सांड के हमले में दो लोगों की मौत हो गई। हमले में लगभग 50 लोग घायल हुए हैं।
इसी क्रम में यहां से 350 किलोमीटर दूर त्रिची जिले में जल्लीकट्ट के दौरान एक सांड़ के हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
इस बीच, मदुरै जिले के अलंगनल्लूर में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलनीस्वामी और उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने संयुक्त रूप से जल्लीकट्टू को हरी झंडी दिखाई।
इस आयोजन में लगभग 1000 सांडों और साड़ों को काबू करने के लिए 1,200 लोगों ने भाग लिया।
जल्लीकट्टू तमिलनाडु का पारंपरिक खेल है, जो पोंगल उत्सव का हिस्सा है।
खेल जीतने वाले को और बेतरतीब बैल के मालिकों को नकद पुरस्कार, उपभोक्ता टिकाऊं वस्तुएं, दोपहिया वाहन और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है।
इस वर्ष अलंगनल्लूर के आयोजन में पुरस्कारों की सूची में दो कारें भी रखी गई हैं।
इस बार का पहला ‘जल्लीकट्टू’ कार्यक्रम 14 जनवरी को मदुरै में आयोजित किया गया।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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