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बिजनेस

डिफीट सॉफ्टवेयर कंपनी का फैसला नहीं : फोक्सवैगन

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वाशिंगटन| फोक्सवैगन ग्रुप ऑफ अमेरिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने डीजल कारों में उत्सर्जन जांच को धोखा देने वाले सॉफ्टवेयर लगाए जाने के लिए माफी मांगी है, लेकिन कहा है कि इस धोखाधड़ी के लिए कुछ लोग ही जिम्मेदार हैं। यूएस हाउस एनर्जी एंड कॉमर्श सब कमेटी ऑन आवरसाइट एंड इनवेस्टिगेशन की एक सुनवाई में माइकल होर्न ने गुरुवार को कहा कि अधिकांश प्रभावित कारें कुछ और वर्षो तक अधिक उत्सर्जन करती रहेंगी।

अधिकारी ने हालांकि इस सॉफ्टवेयर के लगाए जाने के बारे में पहले से जानकारी होने से इंकार किया।

सॉफ्टवेयर के कारण जब प्रयोगशाला में वाहनों की उत्सर्जन जांच की जाती है, तो सीमा के अंदर उत्सर्जन स्तर रहने का पता चलता है।

ये वाहन ही जब साधारण तौर पर सड़क पर चलाए जाते हैं तो निर्धारित सीमा से 40 गुना अधिक नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं, जिसके कारण धुंध और अम्लीय बारिश की समस्या पैदा होती है।

इससे हालांकि कार का प्रदर्शन बेहतर हो जाता है।

होर्न को इस धोखाधड़ी की जानकारी इस साल एक सितंबर को मिली, जिसके दो दिन बाद कंपनी ने अमेरिकी पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी के सामने स्वीकार किया कि अमेरिका में बिके फोक्सवैगन और ऑडी की करीब पांच लाख वाहनों में अवैध सॉफ्टवेयर लगे हैं।

ये वाहन 2009-2015 मॉडल वर्ष के हैं।

धोखाधड़ी का पता चलने के बाद एजेंसी ने 18 सितंबर को कंपनी को स्वच्छ वायु कानून के उल्लंघन का नोटिस भेजा।

होर्न ने यह भी कहा कि जर्मन कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों की इसमें कोई गलती नहीं है। उन्होंने कहा कि यह धोखाधड़ी कंपनी का फैसला नहीं था, बल्कि कुछ सॉफ्टवेयर इंजीनियरों ने इसे अंजाम दिया है और वे ही जानते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया है।

उन्होंने साथ ही कहा कि प्रभावित कारों को 2017 तक ठीक किया जा सकेगा, क्योंकि इसके लिए नए उपकरण कारों में लगाने होंगे।

फोक्सवैगन के पूर्व समूसह मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्टिन विंटरकोर्न ने इस प्रकरण में 23 सितंबर को त्यागपत्र दे दिया, हालांकि उन्होंने भी यही कहा था कि उनकी कोई गलती नहीं है।

कंपनी ने कहा है कि अवैध सॉफ्टवेयर दुनियाभर में 1.1 करोड़ कारों में लगाए गए हैं।

 

बिजनेस

Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो

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नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।

व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।

तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।

व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।

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