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अन्तर्राष्ट्रीय

ट्रंप के शपथ कार्यक्रम में प्रस्तुति न देने वालों की आलोचना

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न्यूयॉर्क | नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में प्रस्तुति देने से इनकार करने वाले संगीतकारों को रियलिटी टीवी कलाकार ब्रिस्टल पालिन ने ‘कायर’ कहा है। फॉक्स न्यूज के मुताबिक, पालिन ने बुधवार को अपने निजी ब्लॉग पर एक पोस्ट में 11 बड़े कलाकारों की सूची दी जिनके बारे में उन्होंने कहा कि यह लोग नकारात्मक प्रतिक्रया के डर से या ट्रंप के खिलाफ राजनीतिक रूप से खड़े होने के कारण शपथ कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर रहे हैं।

पालिन ने अपने ब्लॉग पर लिखा, “अगर डोनाल्ड ट्रंप अभी भी सिर्फ एक अरबपति बिजनेसमैन होते और पार्टी देते तो हस्तियां उनके घर के दरवाजे के बाहर लाइन लगा कर खड़ी हुई नजर आतीं और सबसे मशहूर कलाकार प्रस्तुति देने का एक मौका पाने के लिए व्याकुल हो रहा होता।” उन्होंने कहा कि चूंकि ट्रंप अगले रिपब्लिकन राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने जा रहे हैं, इसलिए आम तौर पर ऐसे समारोहों में शामिल होने के लिए लालायित रहने वाली ये बड़ी हस्तियां इसमें शामिल नहीं हो रही हैं।

पालिन ने शपथ ग्रहण कार्यक्रम में नहीं शामिल होने वाली हस्तियों में एल्टन जॉन, सेलिन डियोन, एंड्रिया बोकेली, द चेनस्मोकर्स, गार्थ ब्रुक्स, जस्टिन टिम्बरलेक, ब्रूनो मार्स, केटी पेरी, अरेथा फ्रैंकलिन, डेविड फोस्टर और रॉक बैंड किस को सूचीबद्ध किया है।  वहीं शपथ कार्यक्रम में जैकी इवानचो, मोरमोन टेबरनेकल कोआएर और न्यूयॉर्क सिटी रॉकेट्स द्वारा प्रस्तुति देने की उम्मीद जताई जा रही है।

 

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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