मनोरंजन
जोखिम उठाने से नहीं घबराते रणबीर
आने वाली फिल्म ‘रॉय’ के निर्देशक विक्रमाजीत सिंह का कहना है कि उनकी फिल्म के मुख्य पात्र रॉय के लिए ऐसे कलाकार की जरूरत थी, जो रॉय को फिल्म का एक किरदार समझे न कि मुख्य भूमिका। उनका मानना है कि रणबीर जोखिम लेने वाले अभिनेता हैं और इसी खूबी की वजह से वह रॉय की भूमिका के लिए उपयुक्त थे।
विक्रमाजीत ने आईएएनएस को बताया, “जब आप एक फिल्म की कहानी लिख रहे होते हैं, तो आपके दिमाग में अभिनेताओं की सूची होती है, जिन्हें आप अपनी फिल्म में लेना चाहते हैं। फिल्म ‘रॉय’ का मुख्य पात्र पारंपरिक मुख्य भूमिका जैसा नहीं है, यह फिल्म का एक किरदार है। मैंने रणबीर का काम देखा है, वह जोखिम उठाने से घबराते नहीं हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “हमने उन्हें ‘बर्फी’ जैसी फिल्म में देखा है, जिसमें उनके पास संवाद नहीं थे। एक बात यह भी है कि उनका दृष्टिकोण अलग है। उनको फिल्म की कहानी में विश्वास था, इसलिए उन्होंने इसके लिए हां की।”
फिल्म ‘रॉय’ में अभिनेता अर्जुन रामपाल और अभिनेत्री जैकलीन फर्नाडीज ने भी काम किया है। 13 फरवरी को प्रदर्शित हो रही फिल्म के प्रचार में जहां अर्जुन और जैकलीन जोर शोर से जुटे हैं, वही रणबीर प्रचार कार्यक्रमों से गायब हैं।
इस बारे में विक्रमजीत का कहना है कि यह एक रणनीति है। ‘रॉय’ पूरी तरह रणबीर की फिल्म नहीं है।
प्रादेशिक
13 साल बाद एक्ट्रेस को मिला इंसाफ, कोर्ट ने हत्यारे बाप को सुनाई फांसी की सजा
मुंबई। एक्ट्रेस लैला खान और उसके पूरे परिवार के हत्यारे सौतेले पिता को मुंबई की सेशन कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में परवेज टाक को लैला, उनकी मां और चार भाई-बहन की हत्या और सबूतों को नष्ट करने का दोषी ठहराया था। यह मामला 13 वर्ष पुराना है। सौतेले पिता ने लैला, उसकी मां व चार भाई-बहनों की हत्या की थी, इसके बाद शवों को फार्म हाउस में गड्ढा खोदकर दफन कर दिया था।
बता दें कि बीते सप्ताह सरकारी वकील पंकज चव्हाण ने दोषी परवेज टाक के लिए मौत की सजा की मांग की थी। उनका कहना था कि इस हत्या को पूरी तरह से प्लान करके किया गया था, जिसमें एक ही परिवार के छह लोगों को बड़ी ही बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया और शवों को ठिकाने लगा दिया गया।
लैला खान हत्याकांड में मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान आरोपी के वकील वहाब खान ने दलील पेश की, जिसमें उन्होंने कम से कम आजीवन कारावास की सजा की मांग की। वकील ने कहा कि कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है और शव उनके कहने पर बरामद किए गए थे। इतना ही नहीं बल्कि दोषी के वकील ने जेल में टाक के अच्छे व्यवहार की ओर इशारा करते हुए कहा कि उसमें सुधार हुआ है और इसलिए उन्होंने इसे भी सजा को कम करने का आधार बताया है। हालांकि कोर्ट ने उनकी एक न सुनी और परवेज टाक को फांसी की सजा सुना दी।
बता दें कि परवेज टाक, लैला का सौतेला पिता है। परवेज ने लैला की मां संग तीसरी शादी की थे। साल 2011 में फरवरी में लैला खान, उनकी मां और चार भाई-बहनों की महाराष्ट्र के नासिक जिले के इगतपुरी स्थित उनके बंगले में हत्या कर दी गई थी। रिपोर्ट्स की मानें तो कहा गया कि संपत्तियों पर बहस के बाद परवेज ने इस घटना को अंजाम दिया था।
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