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जीएसटी पर राज्यों में सहमति बनी

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नई दिल्ली| प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) की सोमवार शाम को यहां हुई एक बैठक में समिति और वित्त मंत्री अरुण जेटली के बीच सहमति बन गई। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ सूत्र ने मंगलवार को कहा कि समझौते के ब्यौरे को सही रूप दिया जा रहा है, ताकि वित्त मंत्री संसद के चालू सत्र में इस पर संविधान संशोधन विधेयक पेश कर सकें।

समिति के अध्यक्ष और जम्मू एवं कश्मीर के वित्त मंत्री अब्दुल रहीम राठेर ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, “चर्चा सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है।”

बैठक में पंजाब, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक के वित्त मंत्री मौजूद थे।

जेटली ने यहां शुक्रवार को एजेंडा आज तक कार्यक्रम में कहा था, “इस सप्ताह मैं राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ सहमति बनाने की पुरजोर कोशिश करूंगा, ताकि संशोधन विधेयक को संसद के चालू सत्र में पेश किया जा सके।”

इससे पहले गुरवार को सात राज्यों के वित्त मंत्रियों ने बैठक में जीएसटी विधेयक को यह कहकर खारिज कर दिया था कि यह मुआवजा, प्रवेश कर और पेट्रोलियम उत्पादों पर कर संबंधी उनकी चिंता को दूर नहीं करता है।

जेटली ने बुधवार को संसद में कहा था कि केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) घटाए जाने से राज्यों को हुए नुकसान की आंशिक भरपाई के तौर पर मौजूदा कारोबारी साल में राज्यों को 11 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे।

इससे पहले उन्होंने संसद में कहा था कि उन्होंने पहले ही राज्यों को आश्वस्त किया है कि करीब 34 हजार करोड़ रुपये के मुआवजे का पूरा भुगतान तीन साल में कर दिया जाएगा।

सीएसटी राज्यों के बीच माल की आवाजाही पर केंद्र द्वारा लगाया जाता है और इसका एक बड़ा हिस्सा राज्यों को जाता है। मुआवजे का मुद्दा इसलिए उठा, क्योंकि एक अप्रैल, 2005 को राज्य स्तर पर वैट लगाए जाने के बाद चरणबद्ध तरीके से सीएसटी को चार फीसदी से घटाकर दो फीसदी कर दिया गया है।

जीएसटी को कानून बनने से पहले संसद के दोनों सदनों में विधेयक को दो-तिहाई मतों से पारित कराना होगा और देश के 29 राज्यों में से आधे की विधायिका द्वारा भी इसे पारित कराया जाना जरूरी है।

जीएसटी के लागू होने से देश की अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी, इससे पूरा देश एक विशाल बाजार बन जाएगा, जिसके कारण कारोबारियों को कारोबार फैलाने में सहायता मिलेगी और बेहतर आपूर्ति श्रंखला के कारण इससे महंगाई भी घटेगी।

नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकॉनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के एक अध्ययन के मुताबिक जीएसटी के पूरी तरह से लागू होने से विकास दर में 0.9 फीसदी से 1.7 फीसदी तक की अतिरिक्त तेजी भी आएगी।

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भाजपा का परिवार आरक्षण ख़त्म करना चाहता है: अखिलेश यादव

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एटा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एटा में सपा प्रत्याशी देवेश शाक्य के समर्थन में संविधान बचाओ रैली को संबोधित किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान बचेगा तो लोकतंत्र बचेगा और लोकतंत्र बचेगा तो वोट देने का अधिकार बचेगा। अखिलेश यादव ने दावा किया कि ये अग्निवीर व्यवस्था जो लेकर आए हैं इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी तो अग्निवीर व्यवस्था समाप्त कर पहले वाली व्यवस्था लागू करेंगे।

उन्होंने आरक्षण मामले पर आरएसएस पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के साथ एक सबसे खतरनाक परिवार है, जो आरक्षण खत्म करना चाहता है। अब उन्हें वोट चाहिए तो वह कह रहे हैं कि आरक्षण खत्म नहीं होगा।

उन्होंने आगे कहा कि मैं पूछना चाहता हूं अगर सरकार की बड़ी कंपनियां बिक जाएंगी तो क्या उनमें आरक्षण होगा? उनके पास जवाब नहीं है कि नौकरी क्यों नहीं दे रहे हैं? लोकसभा चुनाव संविधान मंथन का चुनाव है। एक तरफ वो लोग हैं जो संविधान को हटाना चाहते हैं। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन और समाजवादी लोग हैं जो संविधान को बचाना चाहते हैं। यह चुनाव आने वाली पीढ़ी के भविष्य का फैसला करेगा। वो लोग संविधान के भक्षक हैं और हम लोग रक्षक हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि एटा के लोगों को भाजपा ने बहुत धोखा दिया है। इनका हर वादा झूठा निकला। दस साल में एक लाख किसानों ने आत्महत्या की है। उनकी आय दोगुनी नहीं हुई। नौजवानों का भविष्य खत्म कर दिया गया है। हर परीक्षा का पेपर लीक हो रहा है।

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