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तमिनाडु में पन्नीरसेल्वम का इस्तीफा, जयललिता बनेंगी मुख्यमंत्री
चेन्नई|तमिलनाडु में एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के तहत शुक्रवार को ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के विधायकों ने पार्टी महासचिव जे. जयललिता को पार्टी के विधायक दल का नेता चुन लिया, जिसके बाद ओ. पन्नीरसेल्वम ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। राज्यपाल के. रोसैया ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए जयललिता को सरकार बनाने का आमंत्रण दिया है। राजभवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, “राज्यपाल ने ओ. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम और उनके मंत्रिपरिषद का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। लेकिन राज्य में वैकल्पिक व्यवस्था बनने तक उन्हें अपने पद पर बने रहने के लिए कहा गया है।”
राजभवन की ओर से जारी एक अन्य बयान में कहा गया है, “रोसैया ने राज्य विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी एआईएडीएमके की नवनिर्वाचित नेता जयललिता को राज्य में सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है और मंत्रिपरिषद में शामिल किए जाने वालों के नामों की सूची मांगी है। उनसे राज्य में जल्द से जल्द सरकार बनाने के लिए कहा गया है।”
तमिलनाडु में शुक्रवार की सुबह राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदला। सुबह सात बजे एआईएडीएम के कार्यालय में विधायकों की बैठक बुलाई गई, जिसमें जयललिता को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता निर्वाचित कर लिया गया। उनके नाम का प्रस्ताव पन्नीरसेल्वम ने किया था, जिसे पार्टी के अन्य विधायकों ने एकमत से स्वीकार कर लिया।
एआईएडीएमके के एक नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, “यह एक छोटी सी बैठक थी, जो अम्मा (जयललिता) को एआईएडीएमके विधायक दल की नेता निर्वाचित करने के लिए बुलाई गई थी।”
जयललिता के एआईएडीएमके विधायक दल की नेता चुने जाने के बाद पन्नीरसेल्वम ने तमिलनाडु के मुख्यममंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। बताया जाता है कि जयललिता शनिवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी।
बैठक से पहले ही जयललिलता और एआईएडीएमके के समर्थक बड़ी संख्या में पार्टी मुख्यालय पहुंच गए थे।
जयललिता दिन में पार्टी के संस्थापक दिवंगत एम.जी. रामचंद्रन, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के संस्थापक दिवंगत सी.एन. अन्नादुरै तथा द्रविड़ कड़गम के संस्थापना ई.वी. रामास्वामी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि देंगी।
जयललिता को आय से अधिक संपत्ति के मामले में बेंगलुरू की एक अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद मुख्यमंत्री पद और श्रीरंगम विधानसभा सीट से इस्तीफा देना पड़ा था। अदालत ने उन्हें चार साल कैद और 100 करोड़ रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।
हालांकि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के खिलाफ उनकी अपील को स्वीकार करते हुए हाल ही में उन्हें मामले से बरी कर दिया, जिसके बाद इस तरह का अनुमान लगाया जा रहा था कि पन्नीरसेल्वम मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे और एआईएडीएमके की विधायक दल की नेता चुने जाने की औपचारिकता के बाद जयललिता एकबार फिर राज्य में मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालेंगी।
जयललिता चूंकि विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे चुकी हैं, इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के छह माह के भीतर फिर से विधायक निर्वाचित होना होगा, जिसके लिए पार्टी के एक विधायक पी. वेट्रीवेल ने राधाकृष्णन नगर विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने 17 मई को इस्तीफा दिया, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया। बताया जाता है कि जयललिता इसी सीट से निर्वाचन के लिए दावेदारी पेश करेंगी।
वेट्रीवेल के इस्तीफे के बाद कर्नाटक की 234 सदस्यीय विधानसभा में एआईएडीएमके के विधायकों की संख्या विधासभा अध्यक्ष को छोड़कर 150 रह गई है।
नेशनल
जेल से बाहर आएंगे अरविंद केजरीवाल, 1 जून तक के लिए मिली अंतरिम जमानत
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी है। 2 जून को केजरीवाल को सरेंडर करना होगा। केजरीवाल आज ही तिहाड़ से बाहर आएंगे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केजरीवाल पर चुनाव प्रचार को लेकर कोई पाबंदी नहीं है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद ये आदेश पारित किया है। केजरीवाल को जमानत लोकसभा चुनाव के चलते दी गई है। हालांकि कोर्ट में ईडी ने इसका विरोध किया और कहा कि ये संवैधानिक अधिकार नहीं है।
अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से 5 जून तक की जमानत की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने कहा- “हमें कोई समान लाइन नहीं खींचनी चाहिए। केजरीवाल को मार्च में गिरफ़्तार किया गया था और गिरफ़्तारी पहले या बाद में भी हो सकती थी। अब 21 दिन इधर-उधर से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। 2 जून को अरविंद केजरीवाल सरेंडर करेंगे।”
बीते गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने केजरीवाल की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था। ईडी ने हलफनामे में कहा था कि चुनाव प्रचार करना कोई मौलिक अधिकार नहीं है। वहीं, दूसरी ओर ईडी के हलफनामे पर केजरीवाल की लीगल टीम ने कड़ी आपत्ति जताई थी। हालांकि, ईडी की सभी दलीलों को दरकिनार करते हुए अदालत ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी है।
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