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अन्तर्राष्ट्रीय

जब सलमान का नाम सुन शाहरुख को आया गुस्सा

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नई दिल्ली। वैसे तो शाहरुख और सलमान एक दूसरे के दोस्त बन गए हैं लेकिन हाल ही में एक प्रेस कांफ्रेस में सलमान का नाम सुन शाहरुख गुस्से से लाल पीले हो गए। हालांकि उन्होंने किसी तरह अपने गुस्से को संभाला और मजाकिया लहजे में इस बात को वहीं दबा दिया।

दरअसल एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान शाहरुख से एक पत्रकार कुछ सवाल करना चाह रही थीं, लेकिन वह बार-बार शाहरुख को सलमान के नाम से पुकार रही थीं। जब बार-बार शाहरुख को सलमान के नाम से पुकारा जा रहा था तब उनके चेहरे का हावभाव देख कर ऐसा महसूस हो रहा था कि वह काफी गुस्से में हैं, लेकिन उन्होंने अपने गुस्से को बाहर निकलने नहीं दिया।

शाहरुख ने कहा कि ये कौन पत्रकार हैं और मुझे सलमान के नाम से क्यों बुला रही है। पत्रकार ने अपना नाम लीपिका बताया और शाहरुख से इस बात के लिए माफी भी मांगी, लेकिन शाहरुख ने तुरंत जवाब दिया। कोई बात नहीं दीपिका। फिर पत्रकार ने कहा दीपिका नहीं लीपिका। उसके बाद भी शाहरुख ने उन्हें दीपिका ही कहा। इसके बाद वहां उपस्थित सारे लोग हंसने लगे।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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