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‘जफर खान की मौत हृदय गति रुकने से हुई’
जयपुर, 19 जून (आईएएनएस)| राजस्थान में सफाईकर्मियों द्वारा कथित रूप से पीटकर मारे गए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के एक स्थानीय कार्यकर्ता जफर खान की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि ‘उनकी मौत का संभावित कारण हृदय गति रुकना है।’ आरोप है कि जफर खान की उस समय हत्या कर दी गई थी, जब उन्होंने राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में कुछ सफाईकर्मियों द्वारा खुले में शौच कर रही महिलाओं की तस्वीरें खींचे जाने का विरोध किया था।
प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक शिवराज मीणा ने आईएएनएस को बताया, रविवार देर शाम आई रिपोर्ट में कहा गया है कि जफर की मौत का संभावित (टेंटेटिव) कारण हृदय गति रुकना है।
उन्होंने बताया कि फोरेंसिक रिपोर्ट और विसरा रिपोर्ट के बाद ही मौत की असल वजह का पता चल सकेगा।
मीणा ने बताया कि रिपोर्ट में उनके शरीर पर किसी तरह की चोट के निशान नहीं मिले हैं।
पुलिस अफसर ने कहा, हम जांच में आगे बढ़ रहे हैं। मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि जांच उचित और निष्पक्ष होगी।
जफर खान पर उस समय हमला किया गया था, जब वह कुछ सफाईकर्मियों द्वारा खुले में शौच कर रही महिलाओं की तस्वीर खींचने का विरोध कर रहे थे।
इस दौरान खान और सफाईकर्मियो के बीच झगड़ा हुआ। यह आरोप है कि सफाईकर्मियों ने जफर की बुरी तरह पिटाई की। इसके बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
जफर के भाई ने आईपीसी की धारा 302 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई है।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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