प्रादेशिक
छग : कहीं ‘देवारी’ तो कहीं ‘दियारी’!
रायपुर। छत्तीसगढ़ पूरे भारतवर्ष में अपनी विशिष्ट परंपराओं और सभ्यता-संस्कृति के लिए पहचाना जाता है। यहां मनाए जाने वाले पर्व और त्योहारों की भी अपनी विशिष्टताएं हैं। छत्तीसगढ़ में दिवाली को देवारी पर्व के रूप में जाना जाता है, तो बस्तर के आदिवासी क्षेत्रों में लोग इसे दियारी के रूप में मनाते हैं। दियारी का अर्थ फसल व पशुधन की रक्षा और अभिवृद्धि है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. हेमू यदु ने बताया कि प्राय: दिवाली या दीपावली हिंदी के शब्द हैं, वहीं छत्तीसगढ़ में देवारी के रूप में दिवाली मनाई जाती है। देवारी पूर्णरूप से छत्तीसगढ़ी भाषा का शब्द है। वरिष्ठ पुरातत्वविद् लक्ष्मीशंकर निगम ने बताया कि दिवाली और देवारी में सिर्फ उच्चारण का फर्क है, दोनों एक ही हैं। निगम ने बताया कि लक्ष्मी पूजा के दूसरे दिन मनाए जाने वाला गौरा-गौरी पर्व शक्तिपूजा से संबंधित है।
गरियाबंद के दुर्गा मंदिर के पंडित खड़ानन दुबे ने बताया कि ग्रामीण अंचलों में बरसों से दिवाली पर्व पर आकाशदीप जलाने की परंपरा थी, लेकिन अब लाइट व झालरों के चलते यदा-कदा ही यह दिखने को मिलता है। वहीं, मगरलोड के रहने वाले फगुवाराम साहू ने बताया कि छग में देवारी का त्योहार दशहरा के बाद घरों की साफ-सफाई से ही शुरू हो जाता है।
बस्तर के सामान्यजन जहां कार्तिक मास की अमावस्या को रामकथा के अनुरूप लक्ष्मीजी की पूजा के बाद पटाखे फोड़कर रोशनी के साथ दीपावली पर्व मनाते हैं, वहीं बस्तर का आदिवासी इन सभी परंपराओं से सर्वथा अछूता रहकर क्वार-कार्तिक मास में लक्ष्मी पूजा के स्थान पर लक्ष्मी फसल, विवाह, लक्ष्मी जगार का आयोजन कर अन्न व पशुधन पर केंद्रित दियारी मनाता है, जिसका केंद्र होता है बस्तर का धोरई तथा चरवाह। बस्तर के आदिवासी भी प्राय: तीन दिन तक दियारी मनाते हंै।
सामान्य दीपावली के पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन गोर्वधन पूजा और तीसरे दिन लक्ष्मी पूजा का अनुष्ठान किया जाता है। बस्तर के आदिवासी भी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, लेकिन उनके लिए खेतों में खड़ी फसल ही लक्ष्मी का स्वरूप होती है और आदिवासी जनजीवन में माटी पूजा का महत्व होता है। गांव के पुजारी की अनुमति से ही ग्राम प्रमुखों की बैठक बुलाई जाती है और इसमें दियारी बनाने का दिन सुनिश्चत किया जाता है।
मूल रूप से बस्तर की दियारी पर्व का अर्थ फसल व पशुधन की रक्षा और अभिवृद्धि से होता है और यह संपूर्ण दियारी पर्व का केंद्रबिन्दु होता है। धोरई चरवाह जो प्राय: महार जाति का होता है, इस धोरइयों के द्वारा गाय चराई के रूप में पैसे नहीं लिए जाते हैं। बस्तर में पशुधन स्वामियों द्वारा धोरई परिवार को भरण-पोषण के रूप में भांड देने की भी प्रथा है। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के एक गांव सेमरा (सी) में कल 5 नवंबर को दिवाली मनाई गई। पूरे देश में यह पहला ऐसा गांव होगा, जहां हर त्योहार हफ्ते भर पहले ही मना लिए जाते हैं। ग्राम देवता की प्रसन्नता के लिए गांववासी ऐसा करते हैं। एक तरफ गांव के सभी लोग दीपावली का उत्सव मनाने एकजुट हैं। यहां आस-पास के गांव और काफी संख्या में लोगों के रिश्ते-नातेदार सेमरा (सी) में त्योहार मनाने पहुंचे हैं।
ऑफ़बीट
ज्वैलर बाप-बेटे ने अमेरिकी महिला से की ठगी, 300 रु वाली ज्वैलरी 6 करोड़ में बेची
जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में धोखाधड़ी का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक ज्वैलर बाप-बेटे की जोड़ी ने एक अमेरिकी महिला को चूना लगाते हुए 300 रु वाली ज्वेलरी 6 करोड़ में बेच दी। ज्वैलरी खरीदकर महिला वापस अमेरका लौट गई। दो साल बीत गए लेकिन महिला को ज्वेलरी के नकली होने का पता नहीं चला। इस बीच महिला ने अमेरिका में ही एक एग्जीबिशन में स्टॉल लगाई। इस दौरान उसे पता चला कि उसके जेवर नकली हैं। यह सुनते ही उसके होश उड़ गए। वो शिकायत करने के लिए एक महीने पहले वापस जयपुर पहुंची। महिला ने अपने साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत पुलिस से दर्ज कराई है।
पुलिस ने बताया कि जयपुर के एक ज्वैलर पिता-पुत्र ने अमेरिकी नागरिक महिला को 6 करोड़ रुपये के नकली आभूषण बेचे। ये दोनों आरोपी गौरव सोनी और उसके पिता राजेंद्र सोनी फरार हैं। गौरव की पत्नी और बच्चे भी फरार हैं। गौरव सोनी के लिए लुकआउट नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि महिला ने फरवरी-मार्च में अमेरिका में प्रदर्शनी लगाई। वहां आभूषणों की जांच की जा रही थी, तो उसने कुछ आभूषणों की जांच कराई। उसे पता चला कि सोना 9 कैरेट का है, जबकि हॉलमार्क पेपर में 14 कैरेट का लिखा था। हीरा मोइसैनाइट निकला।
अधिकारी के अनुसार, इसके बाद महिला जयपुर आई और उसने गौरव सोनी से आभूषण बदलने का अनुरोध किया, लेकिन कोई फायदा नहींहुआ। उसने उन्हें पुलिस केस करने की चेतावनी दी, लेकिन उन्होंने उसे रोकने की कोशिश की। गौरव सोनी और उसके पिता ने उसे रोकने का वीडियो पुलिस को भेज दिया और आरोप लगाया कि विदेशी महिला ने उनकी दुकान में लूटपाट की है लेकिन जब जांच हुई तो उसके पास सारे बिल और सबूत थे। इसलिए मामला नहीं बना।
महिला ने अमेरिकी दूतावास में भी शिकायत की। महिला की शिकायत पर मामला दर्ज हुआ और जांच हुई। इसी दौरान महिला की दोनों बाप-बेटों के साथ एक मीटिंग हुई जिसमें वो चेरिस को करीब 3 करोड़ रुपये मुआवजा देने पर सहमत हुए। उन्होंने 2 दिन का समय मांगा लेकिन आखिरी दिन पिता-पुत्र ने अपने मोबाइल फोन बंद कर लिए और फरार हो गए।
पुलिस ने बताया कि इसके बाद हमने उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जिसने ज्वैलरी के झूठे प्रमाण पत्र जारी किए। हमने गौरव सोनी के लिए लुकआउट नोटिस जारी किया है। हम पिता के लिए भी लुकआउट नोटिस जारी करने की कोशिश कर रहे हैं। यह भी पता चला कि गौरव सोनी की पत्नी के नाम पर एक फर्म है और उसे उसी खाते में ज़्यादातर पैसे मिले हैं।
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