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अन्तर्राष्ट्रीय

चीन 2020 तक देशभर में करेगा जैव-ईंधन का इस्तेमाल

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बीजिंग, 13 सितंबर (आईएएनएस)| चीन ने वर्ष 2020 तक देशभर में बायो-इथेनोल गैसोलीन (जैव-ईंधन) का इस्तेमाल शुरू करने की योजना बनाई है।

बुधवार को राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग और राष्ट्रीय ऊर्जा प्रशासन (एनईए) ने यह जानकारी दी। एनईए के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ को बताया, इस योजना का अनावरण किया गया, क्योंकि देश जैव-ईंधन के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है, जो नवीकरणीय, लागू करने योग्य और पर्यावरण-अनुकूल है। यह जीवाश्म ईंधन के लिए एक आदर्श विकल्प है।

हर साल 40 से ज्यादा देश और राज्य 60 करोड़ टन इथेनोल ईंधन का उपयोग कर रहे हैं, जो दुनियाभर के सालाना गैसोलीन का करीब 60 फीसदी है।

चीन विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बायो-इथेनोल उत्पादक देश है और एक साल में करीब 20.4 करोड़ टन जैव-ईंधन का उपयोग करता है।

योजना के मुताबिक, चीन का लक्ष्य एक उन्नत तरल जैव-ईंधन प्रणाली का निर्माण करना है, ताकि 2020 तक एक ऐसी सुविधा तैयार कर ली जाए, जिससे सालाना 50,000 टन तक सेल्यूलोसिक इथेनोल का उत्पादन करने में चीन सक्षम हो सके।

चीन ने उत्सर्जन में कटौती और नई ऊर्जा को उन्नत करने के प्रयासों के भाग के रूप में वर्ष 2004 में कार्न-टू-इथेनोल पायलट कार्यक्रमों की शुरुआत की थी।

यह योजना चीन के उस फैसले को दोहराती है, जिसमें कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिए जीवाश्म ईंधन कारों के उत्पादन और बिक्री को चरणबद्ध तरीके से हटाने, प्रदूषण को घटाने और जीवाश्म ईंधन ऊर्जा को बचाने की समय सारिणी पर विचार किया जाएगा।

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अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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