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अन्तर्राष्ट्रीय

चीन की सैन्य अकादमी ने अर्जुन टैंक को सराहा

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बीजिंग। चीन की शीर्ष सैन्य अनुसंधान अकादमी ने घरेलू तकनीक से निर्मित भारत के मुख्य युद्ध टैंक (एमबीटी) अर्जुन की यहां सराहना की। उन्होंने कहा कि सशस्त्रबलों की इंजीनियरिंग जरूरतों पर ध्यान दिया गया है।

बीजिंग स्थित अकादमी के उपकमांडर वरिष्ठ कर्नल लिउ देजांग ने कहा कि एमबीटी भारतीय परिस्थितियों के लिए काफी अच्छा है। लिउ ने कहा कि भारत ने अपने एमबीटी के निर्माण के लिए अच्छा काम किया है। अर्जुन टैंक ने पहले प्रोटोटाइप के जारी होने के बाद भारतीय सेना में शामिल होने और उन्नत संस्करण अर्जुन एमके-द्वितीय के लिए दो दशक का समय लगाया।

चीन में इस तरह के सैन्य अनुसंधान केंद्र का दौरा काफी मुश्किल से होता है। यहां तक कि यहां के स्थानीय भारतीय पत्रकारों को भी यहां आमंत्रित नहीं किया जाता। भारतीय सेना में ब्रिगेडियर के समान ही लिउ चीन की सेना में वरिष्ठ कमाडंर हैं। यह पूछने पर कि क्या इस तरह के दौरे से विश्वास जगा है, लिउ ने कहा कि चीन राजनीतिक और सैन्य रूप से अधिक विस्तृत हो रहा है। उन्होंने अनुवादक के जरिए अपनी बात रखी।

चीन के एमबीटी में बदलावों के बारे में लिउ ने कहा कि इसमें इलेक्ट्रॉनिक और गोला-बारूद तकनीक में हालिया बदलाव शामिल किए गए हैं। चीन के एमबीटी से अमेरिका के आधुनिक टैंक की तुलना करने की बात पर उन्होंने कहा कि दोनों के काम करने के क्षेत्र अलग हैं। उन्होंने कहा कि अकादमी और अनुसंधान केंद्र ने विभिन्न देशों के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बदलाव किया है। इस दिशा में भारतीय सैन्य अधिकारियों को चीन का दौरा करने के लिए भी कहा गया था। उन्होंने कहा कि लगभग 70 देशों से कुछ 300 प्रतिनिधि यहां आए और उन्होंने लगभग 40 देशों के 2,700 सैन्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया। उन्होंने भारत के बारे में कहा कि अच्छे पड़ोसियों में अच्छी समझ भी होनी चाहिए। दोनों देशों के बीच आदान-प्रदान बढ़ना चाहिए।

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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