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गिनी में इबोला टीकाकरण का परीक्षण शुरू करेगा डब्ल्यूएचओ
संयुक्त राष्ट्र | विश्व स्वास्थ्य संगठन ने घोषणा की है कि वह इसी हफ्ते से गिनी में इबोला के टीकाकरण का परीक्षण शुरू कर देगा। इन परीक्षणों से वह जांचेगा कि यह टीका इबोला रोकने में प्रभावी है अथवा नहीं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ ने गुरुवार को बताया कि इबोला से विश्व के सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक गिनी में वीएसवी-ईबीओवी टीके के तीसरे चरण की परीक्षण प्रक्रिया सात मार्च से शुरू होगी।
डब्लूएचओ के महानिदेशक मार्गरेट चान ने जेनेवा में कहा, “अगर टीका प्रभावी पाया जाता है, तो इतिहास में इबोला के खिलाफ यह पहला निवारक उपकरण होगा।” डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी ताजा जानकारी के मुताबिक पश्चिमी अफ्रीका में एक मार्च वाले सप्ताह में इबोला के 132 नए मामले सामने आए हैं, वहीं पिछले सप्ताह इबोला के 99 नए मामले दर्ज किए गए थे। गिनी में हाल के दिनों में दर्ज होने वाले इबोला के नए मामलों की संख्या में इजाफा हुआ है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि टीकाकरण ‘बेस गिनी’ क्षेत्रों में किए जाएंगे, जहां पर गिनी में फिलहाल सबसे ज्यादा इबोला पीड़ित हैं।
डब्ल्यूएचओ ने कहा, “वीएसवी-ईबीओवी टीका का परीक्षण इबोला प्रायोगिक हस्तक्षेपों पर डब्ल्यूएचओ की वैज्ञानिक और तकनीकी सलाहकार समिति द्वारा विकसित किए गए मानकों की रूपरेखा के मुताबिक बनाई गई योजना के आधार पर किया जाएगा।” वीएसवी-ईबीओवी टीका कनाडा की पब्लिक हेल्थ एजेंसी द्वारा तैयार किया गया है। इस टीके का लाइसेंस न्यूलिंक जेनेटिक्स को दिया गया है। यह कंपनी इम्युनोथेरेपी विकसित कर रही है।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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