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गंभीर स्वास्थ्य समस्या की ओर इशारा है
नई दिल्ली| ओडिशा में हाल में अपनी पत्नी का शव 12 किलोमीटर तक कंधे पर ढोने के लिए मजबूर दाना मांझी की तस्वीरें हों या कानपुर में पिता के कंधे पर दम तोड़ती बीमार बेटे की तस्वीरें लापरवाही के एक-दो मामले भर नहीं हैं, बल्कि देश की गंभीर स्वास्थ्य समस्या के प्रति सचेत करतीं तस्वीरें हैं। ये तस्वीरें उन लाखों लोगों की कहानियां कहती हैं, जिन्हें आज भी बीमारों से भरे पड़े अस्पतालों में जगह नहीं मिल पाती या चिकित्सा सुविधाओं का अभाव झेलना पड़ता है।
इंडियास्पेंड ने सरकारी आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रति 1,000 व्यक्ति पर एक चिकित्सक के मानक को आधार बनाया जाए तो भारत में इस समय पांच लाख चिकित्सकों की कमी है।
आठ मार्च, 2016 को संसद में पेश किए गए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मामले पर एक संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, 2014 में देश में चिकित्सकों की संख्या 740,000 थी, जिसके अनुसार देश में चिकित्सकों और रोगियों के बीच अनुपात 1:1,674 हुआ, जो वितयनाम, अल्जीरिया और पाकिस्तान से भी कमतर है।
समिति ने देश में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता के नियामक ‘मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया’ की जांच करने वाली इस समिति ने निजी मेडिकल कॉलेजों में अवैध शुल्क, देश के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा सेवाओं में अंतर तथा चिकित्सीय शिक्षा प्रणाली और जनस्वास्थ्य के बीच विसंगति जैसे विषयों की भी पड़ताल की।
देश में हर साल पढ़कर निकलने वाले 55,000 चिकित्सकों में 55 फीसदी से अधिक चिकित्सक निजी मेडिकल कॉलेजों से आते हैं और उनमें से अधिकांश निजी मेडिकल कॉलेज विद्यार्थियों से शुल्क के नाम पर अतिरिक्त अवैध राशि वसूलते हैं।
समाचार पत्र ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में 26 अगस्त, 2016 को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु का ही उदाहरण लें, तो वहां निजी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने में एक विद्यार्थी को आम तौर पर दो करोड़ रुपये का शुल्क अदा करना पड़ता है।
असंतुलन की स्थिति मेडिकल कॉलेज की उपलब्धता से ही शुरू हो जाती है। देश की आधी आबादी का भार ढोने वाले राज्यों में देश की कुल एमबीबीएस सीटों का पांचवां हिस्सा आता है।
संसदीय समिति को गवाही देने वाले एक विशेषज्ञ ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया, “भारत की कुल आबादी का 31 फीसदी वहन करने वाले छह राज्यों में एमबीबीएस की 58 फीसदी सीटें हैं। वहीं 46 फीसदी आबादी वहन करने वाले आठ राज्यों में 21 फीसदी सीटें ही उपलब्ध हैं।”
देश के आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति दुनिया के उन देशों से भी बदतर है, जो भारत से आर्थिक मामले में काफी पीछे हैं। ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में भारत स्वास्थ्य सेवाओं पर सबसे कम खर्च करने वाला देश है।
एक अन्य विशेषज्ञ ने भी नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पूरे देश में हर वर्ष 55,000 एमबीबीएस डिग्रीधारी चिकित्सक निकलते हैं, जबकि 25,000 स्नातकोत्तर डिग्रीधारी चिकित्सक।
उन्होंने कहा, “संसदीय समिति को बताया कि चिकित्सक रातों-रात पैदा नहीं किए जा सकते। यहां तक कि यदि अगले पांच वर्षो तक हर साल 100 नए मेडिकल कॉलेज खोले जाएं, तो भी देश में 2029 तक जाकर पर्याप्त चिकित्सक हो पाएंगे।”
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से प्रकाशित ई-पुस्तक के अनुसार, केंद्र सरकार ने पिछले दो वर्ष में 1,765 सीटों वाले 22 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाने को मंजूरी दी है। नीति आयोग ने देश की स्वास्थ्य सेवा एवं चिकित्सकीय शिक्षा अवसंरचना के मूल्यांकन के लिए ‘राष्ट्रीय शिक्षा आयोग विधेयक-2016’ का मसौदा तैयार किया है।
नेशनल
भाजपा का परिवार आरक्षण ख़त्म करना चाहता है: अखिलेश यादव
एटा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एटा में सपा प्रत्याशी देवेश शाक्य के समर्थन में संविधान बचाओ रैली को संबोधित किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान बचेगा तो लोकतंत्र बचेगा और लोकतंत्र बचेगा तो वोट देने का अधिकार बचेगा। अखिलेश यादव ने दावा किया कि ये अग्निवीर व्यवस्था जो लेकर आए हैं इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी तो अग्निवीर व्यवस्था समाप्त कर पहले वाली व्यवस्था लागू करेंगे।
उन्होंने आरक्षण मामले पर आरएसएस पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के साथ एक सबसे खतरनाक परिवार है, जो आरक्षण खत्म करना चाहता है। अब उन्हें वोट चाहिए तो वह कह रहे हैं कि आरक्षण खत्म नहीं होगा।
उन्होंने आगे कहा कि मैं पूछना चाहता हूं अगर सरकार की बड़ी कंपनियां बिक जाएंगी तो क्या उनमें आरक्षण होगा? उनके पास जवाब नहीं है कि नौकरी क्यों नहीं दे रहे हैं? लोकसभा चुनाव संविधान मंथन का चुनाव है। एक तरफ वो लोग हैं जो संविधान को हटाना चाहते हैं। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन और समाजवादी लोग हैं जो संविधान को बचाना चाहते हैं। यह चुनाव आने वाली पीढ़ी के भविष्य का फैसला करेगा। वो लोग संविधान के भक्षक हैं और हम लोग रक्षक हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि एटा के लोगों को भाजपा ने बहुत धोखा दिया है। इनका हर वादा झूठा निकला। दस साल में एक लाख किसानों ने आत्महत्या की है। उनकी आय दोगुनी नहीं हुई। नौजवानों का भविष्य खत्म कर दिया गया है। हर परीक्षा का पेपर लीक हो रहा है।
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