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नेशनल

कानपुर ट्रेन हादसा : सीएम अखिलेश ने किया पांच लाख मुआवजे का ऐलान

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अखिलेश यादव, पुलिस, मुख्यमंत्री, दुर्घटना, कानपुर, रेल मंत्री सुरेश प्रभु, मुआवजे, इंदौर पटना एक्सप्रेस

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अखिलेश यादव, पुलिस, मुख्यमंत्री, दुर्घटना, कानपुर, रेल मंत्री सुरेश प्रभु, मुआवजे, इंदौर पटना एक्सप्रेस

रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने किया 3.5 लाख मुआवजे का ऐलान

अखिलेश यादव पुलिस महानिदेशक को कानपुर में राहत अभियान पर खुद नजर रखने को कहा , उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कानपुर देहात में आज हुए इंदौर पटना एक्सप्रेस ट्रेन हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद का ऐलान किया|

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा की, जबकि गंभीर रूप से घायल लोगों को पचास-पचास हजार रुपये देने का ऐलान किया , उन्होंने बताया कि मामूली रूप से घायल लोगों को मुख्यमंत्री ने पच्चीस पच्चीस हजार रुपये की मदद का ऐलान किया है|

कानपुर रेंज के पुलिस महानिदेशक जकी अहमद ने बताया कि 150 से अधिक घायल लोगों को आसपास के अस्पतालों में पहुंचाया गया है ,  सभी अस्पतालों को अलर्ट कर दिया गया है , तीस से अधिक एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुंच चुकी हैं , राहत और बचाव कार्य में 250 से अधिक पुलिस अधिकारियों को लगाया गया है|

दूसरी तरफ, रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने दुर्घटना की जांच के आदेश दिए हैं , प्रभु ने टवीट किया, ‘इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद राहत कार्य संचालित किए जा रहे हैं, चिकित्सकीय एवं अन्य मदद पहुंचायी गई है,

रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को किया 3.5 लाख मुआवजे का ऐलान , गंभीर रूप से घायल लोगों को  50,000 रुपये  का  मुआवजे का ऐलान, मामूली रूप से घायल लोगों को  25,000 रुपये  का  मुआवजे का ऐलान|

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लोकसभा के शोले और रहीम चाचा की खामोशी

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

हिन्दी सिनेमा की कालजई फिल्म शोले के रहीम चाचा का किरदार आपको जरूर याद होगा। उनका एक डायलॉग था जिसमें वो कहते है “इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई” उस वक्त पूरे रामगढ़ में किसी के पास इसका जवाब नहीं था, कमोवेश ठीक वैसे ही हालात इस वक्त लोकसभा चुनाव में नजर आ रहे हैं। लोकसभा के चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं पर पूरे देश में कहीं भी ऐसा नजर नहीं आता कि हम अगले पाँच साल के लिए अपने नुमाइंदे चुनने जा रहे हैं। एक अजीब खामोशी नुमायाँ है। गांव, कस्बों और शहरों तक में होर्डिंग और पोस्टर नजर नहीं आ रहे हैं और न ही कानफोडू लाऊडस्पीकर पर वोट मांगने वालों का शोर सुनाई दे रहा है, चाय की टपरी और पान के खोखों पर जमा होने वाली भीड़ अपने होंठों को सिले हुए है।

एक वक्त था जब हम लोग चाय की टपरी, पान की दुकान और रास्तों के ढाबों से देश का मूड भांप लेते थे। मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है इसका अंदाज लगाना आसान था। लेकिन आज स्थिति उलट है इन जगहों पर खड़ा आम आदमी आपसे ही उल्टा पूछ लेता है ‘और क्या चल रहा है’ इंसान-इंसान के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी हो गई है कि वो पब्लिक प्लेस पर अब राजनीतिक बात करने से गुरेज करने लगा है। वोटर अपने मन की बात जुबान पर नहीं लाना चाहता हैं क्यूंकी अब वो रेडियो पर ‘मोदी जी’ के मन की बात सुन रहा है और अपने मन की बात अपने मन में रखे हुए है। उसे डर है और ये डर मिश्रित चुप्पी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है।

लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी वोटिंग 2019 के मुकाबले कम हुई है। पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। ऐसे ही इस बार दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर करीब 63 फीसदी वोट पड़े। यह 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.09% मतदान के मुकाबले काफी कम था। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में वोटिंग उम्मीद से काफी कम रही। यूपी में 54.85%, बिहार में 55.08% , महाराष्ट्र में 57.83% , एमपी में 57.88 % वोटिंग हुई। सबसे अधिक वोट त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में पड़े। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में सात मई को वोटिंग है। इसमें 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 95 सीट पर मतदान होगा, जिसके लिए 1351 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

जब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को तीसरे, चौथे, पांचवे, छठे और सातवें चरण का मतदान होगा तो इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में गर्मी के साथ लू का असर दिखाई देगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान लगभग 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे अधिक हो सकता है। विशेष रूप से, 59 सीटों पर 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान का सामना करना पड़ सकता है। जबकि 194 सीटों पर 37.5-से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान देखा जा सकता है। लेकिन इस गर्मी के बीच क्षेत्रीय दलों के नेता काफी तेजी से अपने इलाके के मतदाताओं पर पकड़ बना रहे हैं और उन सवालों को उठा रहे हैं जिनसे देश का किसान, मजदूर और नौजवान चिंतित है। इसलिए उनके प्रति आम जनता की अपेक्षाएं बढ़ी हैं इसलिए विपक्षी गठबंधन के नेताओं की रैलियों में भारी भीड़ आ रही है। जबकि भाजपा की रैलियों का रंग उसके मुकाबले फीका नजर या रहा है।

हालांकि रैली में आने वाली भीड़ जीत का पैमाना नहीं होती इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता। हर दल का अपना एक समर्पित काडर होता है। जबकि आज काडर के नाम पर ज्यादातर दलों के पास सत्ता के छत्ते से चिपकी रहने वाली मधुमक्खी ही ज्यादा नजर या रहीं है ये वो लोग हैं जिन्हें सत्ता की दलाली करने के अवसरों की तलाश होती है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ जिसके पास काडर है कार्यकर्ता हैं वो भी खामोश नजर आ रहा है। बहरहाल लगातार कम होते मतदान ने नेताओं की धुकधुकी बढ़ा रखी है। सत्ता पक्ष मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए परेशान है तो विपक्ष कम प्रतिशत को अपने पक्ष में मानकर मुंगेरीलाल के सपने बुनने में मगन है।

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