प्रादेशिक
कबीर शांति मिशन ने मनाया अपना 27वॉं स्थापना दिवस
मिशन ने पॉच वरिष्ठ सदस्यों को किया ‘कबीर-दीप‘ सम्मान से अलंकृत
लखनऊ। कबीर शांति मिशन का 27वॉं स्थापना दिवस 23 अप्रैल को सिटी माण्टेसरी स्कूल गोमतीनगर के सभागृह में संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यपाल राम नाईक थे जबकि मुख्य वक्ता के रूप में प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव शंभुनाथ मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व लोकायुक्त न्यायमूर्ति एस.सी. वर्मा ने की।
इस अवसर पर एक चर्चा का आयोजन किया गया जिसका विषय था ‘अंधकार से प्रकाश की ओर-एक सतत यात्रा‘ । मिशन के अध्यक्ष कृष्ण बिहारी अग्रवाल, जगदीश गांधी, राकेश मित्तल एवं लेखक डा.आईपीएस बिसनिक भी मंच पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मिशन के सदस्यों एवं शुभचिंतको ने भाग लिया।
दो पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया
कार्यक्रम में मिशन की दो पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। पहली पुस्तक ‘सार्थक जीवन-तमसो मा ज्योर्तिगमय‘, के लेखक डा. आईपीएस बिसनिक हैं जो मिशन के एक वरिष्ठ सदस्य है। पूर्व में भी वे अनेक पुस्तकें लिख चुके हैं।
इस पुस्तक में जीवन के मूल सिद्धांतों की विस्तृत व्याख्या है जो इसे अर्थपूर्ण बना देती है। इन सिद्वान्तों की व्याख्या अत्यन्त वैज्ञानिक है।
दूसरी पुस्तक के लेखक राकेश कुमार मित्तल की आध्यात्मिक आत्म कथा है जिसका शीर्षक है ‘The Story of My Spiritual Journey’। पुस्तक में लेखक ने अपने आध्यात्मिक गुरू स्वामी भूमानन्द तीर्थ के सानिध्य और जीवन में उससे होने वाले परिवर्तन का विस्तृत वर्णन किया है। यह पुस्तक आध्यात्मिक पथ के जिज्ञासुओं के लिये अत्यन्त उपयोगी है।
स्थापना दिवस के अवसर पर मिशन ने अपने पॉच वरिष्ठ सदस्यों को ‘कबीर-दीप‘ सम्मान से अलंकृत किया। यह सदस्य है लखनऊ के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ पद्म श्री डा. मंसूर हसन, रिजेन्सी अस्पताल कानपुर के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. राजेश अग्रवाल, फरूखाबाद के पूर्व सांसद एवं प्रगतिशील कृषक चन्द्र भूषण सिंह, इंदौर की पूर्व प्राचार्य एवं शिक्षाविद् डा. हेमलता दिखित तथा मेरठ के विश्व विख्यात होम्योपैथ डा. ईश्वर सिंह इन सभी ने अपने अपने क्षेत्र में समाज की निस्वार्थ सेवा की है और अभी भी कर रहे हैं।
कार्यक्रम का प्रारम्भ मिशन के मुख्य संयोजक राकेश मित्तल के स्वागत सम्बोधन से प्रारम्भ हुआ जिसमें चर्चा के विषय पर भी प्रकाश डाला गया। उन्होनें मिशन की स्थापना से प्रारम्भ होकर इसकी प्रगति भी प्रस्तुत की।
उन्होंने कहा कि सामूहिक आशावाद अत्यन्त महत्वपूर्ण है और जब बड़ी संख्या में लोगों की सोच सकारात्मक होती है तो इसका सामूहिक प्रभाव सकारात्मक ही होता है। इस प्रक्रिया में पहला लाभ उस व्यक्ति को ही मिलता है।
मुख्य वक्ता शंभुनाथ ने मानव जीवन की यात्रा पर गहन प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जीवन में सदैव आगे बढ़ना ही जीवन की सार्थकता है। उन्होनें ‘चरैवेति-चरैवेति‘ शब्दों की विस्तृत व्याख्या की, जिनका उल्लेख हमारे प्राचीन शास्त्रों में किया गया है। उनके अनुसार एक सकारात्मक चिंतक अपनी कठिनाइयों को अवसर में परिवर्तित कर देता है और कोई भी कठिनाई उसके जीवन की सतत यात्रा को बाधित नहीं कर सकती।
मुख्य अतिथि राज्यपाल राम नाईक ने भी इस अवसर पर विस्तार में अपने विचार रखे। कबीर शांति मिशन के कार्यो की सराहना करते उन्होनें अपने स्वयं के जीवन से कई ऐसे उदाहरण दिये, जब सतत आगे बढ़ने की प्रेरणा से उन्होनें अनेक कठिनाइयों का सफलतापूर्वक सामना किया।
वास्तव में कुछ समय पूर्व प्रकाशित उनकी आत्म कथा का शीर्षक ही ‘चरैवेति-चरैवेति‘ अर्थात ‘Marching Ahead’। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अधिक से अधिक लोग स्वार्थहीन जीवन का प्रदर्शन करते हुए नई पीढ़ी के लिये उदाहरण बनेगें। इस अवसर पर उन्होनें ‘कबीर-दीप‘ से अलंकृत महानुभावों को बधाई देते हुए उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की।
कबीर शांति मिशन के बारे में
कबीर शांति मिशन अप्रैल 1990 में समाज में स्वस्थ विचारधारा को प्रोत्साहित करने हेतु स्थापित किया गया था। इस अवधि में मिशन ने गौरवमयी प्रगति की है और आज मिशन को समाज के सभी वर्गो का सहयोग प्राप्त है।
इस समय मिशन के आजीवन सदस्यों की संख्या 2720 है और देश -विदेश में इसके 40 केन्द्र स्थापित है। मिशन द्वारा समान विचारधारा की अनेक संस्थाओ के साथ मिलकर भी कार्य किया जाता है।
कार्यक्रम का समापन न्यायमूर्ति एस. सी वर्मा के अध्यक्षीय सम्बोधन से हुआ। उन्होनें मुख्य अतिथि, मुख्य अतिथि वक्ता एवं सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद भी व्यक्त किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।
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गोयल इंस्टीट्यूट के छात्रों ने स्ट्रिंग पोर्ट्रेट थ्रेड आर्ट कला विधि से बनाया पीएम मोदी का पोर्ट्रेट
लखनऊ। गोयल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हाईयर स्टडीज महाविद्यालय लखनऊ के ललित कला विभाग के छात्रों ने 30 फीट के आकार में स्ट्रिंग पोर्ट्रेट थ्रेड आर्ट की कला से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पोर्ट्रेट बनाया।
यह दृश्य कला की नई विधा में धागे से बना पोर्ट्रेट अपने आप में खास है। इसे बनाने में कुल 30 घंटे का समय लगा। जिसमें धागे का वजन लगभग 15 किलो तथा उस धागे की कुल लंबाई लगभग 45 किलोमीटर है। छात्रों ने बताया कि चित्र के आकार में इस प्रकार की कला में यह अब तक का सबसे बड़ा आर्टवर्क है जो इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, लिम्का बुक ऑफ द रिकॉर्ड, इंटरनेशनल बुक ऑफ द रिकॉर्ड तथा गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए प्रस्तावित है।
आठ छात्रों की टीम (ब्रेकअप टीम) का नेतृत्व बाराबंकी स्थित अमोली कला, रामनगर निवासी देवाशीष मिश्रा द्वारा किया गया। टीम के अन्य महत्वपूर्ण सदस्यों में अभिषेक महाराणा, आदर्श शांडिल्य, लारैब कमाल खान, अभय यादव, सानिध्य गुप्ता, आरुषि अग्रवाल व कृतिका जैन का नाम शामिल है। इसका संचालन डॉक्टर संतोष पांडेय, प्राचार्य गोयल इंस्टीट्यूट आफ हायर स्टडीज महाविद्यालय ने किया। निरीक्षण श्रीमती शिखा पांडेय वह राकेश प्रभाकर द्वारा किया गया। इसमें ललित कला विभाग के प्राध्यापकों व समस्त छात्रों के सहयोग रहा।
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