प्रादेशिक
एम्स में कमाल, 100 की टीम ने बचा ली युवक की जान
नई दिल्ली। 100 से अधिक डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्टाफ की टीम ने बेहद जटिल सर्जरी कर पटना के एक युवक की जिंदगी को बाल-बाल बचा लिया। ये जबरदस्त उपलब्धि एम्स में हासिल की गई। डॉक्टरों ने साढ़े पांच घंटे में इस सर्जरी को पूरा किया।
दरअसल बिहार के पटना का रहने वाला एक युवक नीति कुमार ट्रैक्टर ट्रॉली के नीचे आने से गंभीर रूप से घायल हो गया। 5 नवंबर 2014 को हुए इस हादसे में युवक की छाती पर गंभीर चोट आई। बेहद गंभीर हालत में उसे पटना के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। चार दिनों बाद उसे मुंह से खाना दिया जाने लगा, लेकिन उसे बार-बार बलगम आ जाता और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। इंडोस्कोपी करने पर पता चला कि युवक की खाने और श्वसन नली आपस में मिल गई थी। इससे उसकी जिंदगी पर तलवार लटक गई। पटना के डॉक्टरों ने उसे इलाज के लिए एम्स ट्रॉमा सेंटर रेफर किया। दो सप्ताह बाद 19 नवंबर को युवक को एम्स लाया गया। लंबी प्रक्रिया और चर्चा के बाद 24 नवंबर को ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों ने युवक की ये जटिल सर्जरी कर नई जिंदगी दी। नीति कुमार अब स्वस्थ हो चुके हैं और 6 जनवरी को उसे अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई।
एम्स के निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा ने बताया कि देश में यह अपनी तरह का पहला मामला है। उन्होंने कहा कि इस सर्जरी को अथक कोशिशों के बावजूद सफल बनाया जा सका। सर्जरी के दौरान 100 से अधिक डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल की टीम लगी थी। इस तरह का ऑपरेशन एक बड़ी टीम के बिना संभव नहीं था। इसमें सर्जरी, ट्रॉमा सर्जरी, ईएनटी, कार्डियक सर्जरी, ट्रॉमा एनेस्थीसिया और कार्डियक एनेस्थीसिया के डॉक्टर शामिल हुए।
सर्जरी में शामिल डॉ. अमित गुप्ता ने बताया कि मरीज को साढ़े तीन घंटे से अधिक समय तक कार्डियो पल्मोनरी बाईपास (सीपीबी) पर रखकर कृत्रिम तरीके से ऑक्सीजन दी गई। सांस लेने वाली नली इस तरह से खराब हुई थी कि उसे ट्यूब और वेंटिलेटर पर भी रखना मुश्किल था। इस प्रक्रिया में शामिल एक अन्य डॉक्टर सुबोध गुप्ता ने बताया कि पटना के डॉक्टरों ने बीमारी का सही तरीके से पता लगाया और समय पर मरीज को रेफर कर दिया।
प्रादेशिक
गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक
अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।
इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।
हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।
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