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असहिष्णुता मुद्दे पर बोले अमिताभ, समुदायों के बीच बेहतर संवाद की जरूरत

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कोलकाता। महानायक अमिताभ बच्चन ने देश में बढ़ती कथित असहिष्णुता एवं हालिया पेरिस आतंकवादी हमले के बाद शनिवार को विभिन्न समुदायों के बीच बेहतर संवाद पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने बहुलतावादी स्वरूप को दिखाने और सांप्रदायिक पूर्वाग्रहों को खत्म करने में सिनेमा की ताकत का भी जिक्र किया।

अमिताभ ने भारतीय सिनेमा में पश्चिम बंगाल के योगदान से जुड़ी बातें साझा करने के दौरान कहा कि सिनेमा मनोरंजन जगत में संवाद का सर्वाधिक व्यापक माध्यम है। महानायक ने यहां शनिवार को 21वें कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव के उद्घाटन पर कहा, “आज की दुनिया में मनोरंजन जगत में फिल्में संवाद का सर्वाधिक व्यापक रूप हैं। आज दुनिया के संदर्भ में हमें एक-दूसरे से अधिक बातचीत करने, एक-दूसरे की सुनने तथा एक-दूसरे को समझने की जरूरत है और सिनेमा इसके लिए सर्वश्रेष्ठ माध्यम है।”

उन्होंने राष्ट्रगान के रचयिता व नोबेल पुरस्कार विजेता रबिंद्रनाथ टैगोर के छंद का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रगान के बोल ‘भारत की विविधता एवं समानता’ पर रोशनी डालते हैं। अमिताभ ने कहा, “ऐसे में जबकि दुनिया में संस्कृति पर जिरह हो रही है और समुदायों के खिलाफ पूर्वाग्रह उमड़-घुमड़ रहे हैं, हम सबके बीच एक बेहतर संवाद की जरूरत है।”

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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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