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मुख्य समाचार

अयोग्य अधिकारियों का बीसीसीआई में कार्यकाल खत्म : लोढ़ा समिति

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lodha SCनई दिल्ली। देश में क्रिकेट प्रशासन में सुधार के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित लोढ़ा समिति ने गुरुवार को स्पष्ट कर दिया कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अयोग्य करार दिए गए अधिकारी बोर्ड की बैठक में राज्य क्रिकेट संघ के प्रतिनिधि के तौर पर या अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की बैठक में बीसीसीआई के प्रतिनिधि के तौर पर हिस्सा नहीं ले सकते। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बीसीसीआई के सचिव पद से बर्खास्त कर दिए गए अजय शिर्के के महाराष्ट्र क्रिकेट संघ (एमसीए) के प्रतिनिधि के तौर पर बीसीसीआई की बैठक में हिस्सा लेने की खबर आने के बाद लोढ़ा समिति ने एक बयान जारी कर ‘सामान्य प्रश्नोत्तरी’ की दूसरी किश्त जारी की।

लोढ़ा समिति ने कहा है, “सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की भावना के अनुरूप अयोग्य करार दिया गया अधिकारी क्रिकेट प्रशासन नहीं संभाल सकता। वह बीसीसीआई या संबद्ध राज्य संघों का प्रतिनिधित्व करने या नामित होने के योग्य भी नहीं होगा और बीसीसीआई में या बीसीसीआई की ओर से वह कोई भूमिका नहीं निभा सकता।”

समिति के बयान में आगे कहा गया है, “अयोग्य करार दिया गया व्यक्ति बीसीसीआई में संरक्षक या सलाहकार के तौर पर भी नहीं जुड़ सकता और न ही किसी समिति या परिषद की सदस्यता के योग्य रह जाता है।” समिति स्पष्ट कर देना चाहती है कि क्रिकेट प्रशासन में किसी अधिकारी का कुल कार्यकाल नौ वर्ष होगा, ना कि 18 वर्ष जैसा कि पहले कहा गया था।

समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद किसी अधिकारी को तीन वर्ष के ‘विराम’ पर जाना ही पड़ेगा। इस नियम के मुताबिक बीसीसीआई अध्यक्ष पद के सबसे प्रबल उम्मीदवार माने जा रहे बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) के अध्यक्ष और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को बीसीसीआई अध्यक्ष बनने पहले ‘विराम’ अवधि बिताना होगा।

नेशनल

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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