अन्तर्राष्ट्रीय
अमेरिका : आरएसएस के खिलाफ याचिका रद्द करने की मांग
न्यूयार्क| अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने सिखों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले एक संगठन की ओर से दायर उस याचिका को खारिज करने की मांग की है, जिसमें भारत के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) को आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग की गई है। मंत्रालय की दलील है कि यह याचिका निराधार है। वकील प्रीत भरारा ने न्यूयार्क के दक्षिणी जिला न्यायाधीश लौरा टेलर स्वेन के समक्ष दायर 18 पृष्ठों के प्रतिवेदन में कहा है कि सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) के दावे का कोई आधार नहीं है। भरारा ने अपने प्रतिवेदन में कहा, “न तो एसएफजे के पास यह अधिकार है कि वह विदेश मंत्री पर किसी विदेशी संस्था को आतंकवादी संगठन घोषित करने का दबाव डाले और न न्यायालय के पास ही ऐसा करने का अधिकार है।”
एसएफजे ने अमेरिकी अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें आरएसएस को विदेश आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग की गई थी। एसएफजे ने आरएसएस पर फासीवादी विचारधार में विश्वास रखने, इसका पालन करने तथा भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए हिंसक और जुनूनी अभियान चलाने का आरोप लगाया है। एसएफजे के वकील गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा, “अमेरिकी संविधान के तहत जीवन की सुरक्षा और आजादी के जो मौलिक मानवाधिकार दिए गए हैं, उसे राजनीतिक मामले प्रभावित नहीं कर सकते।”
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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