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प्रादेशिक

अब KFC के खिलाफ शिकायत, आउटलेट बंद कराने की मांग

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KFC

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हैदराबाद। एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने लोकायुक्त से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों राज्यों की सरकारों को केंटकी फ्राइड चिकन (केएफसी) की सभी दुकानें बंद करने के लिए आदेश पारित करने की मांग की है। उनका कहना है कि फास्ट फूड की जानी-मानी कंपनी की दुकान से कुछ नमूने एकत्रित किए गए थे, जिनमें साल्मोनेला और ई. कोलाई वैक्टीरिया मिले हैं। कंपनी ने हालांकि आरोपों को झूठा करार देते हुए खारिज कर दिया है।

आंध्र प्रदेश के लोकायुक्त ने दोनों राज्यों की सरकारों को नोटिस जारी किया है और उनसे पांच अगस्त तक मामले पर एक रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है। आंध्र प्रदेश बलाला हक्कुला संगम के अच्युता राव ने आईएएनएस से कहा, “चूंकि नमूनों का परीक्षण सरकारी प्रयोगशाला में किया गया है जिसमें हानिकारक रोगाणुओं के मिले होने की बात सामने आई है, इलीलिए हम केएफसी को बंद करने के आदेश देने की मांग करते हैं।”

बच्चों के अधिकारों के लिए काम कर रहे एनजीओ ने हैदराबाद स्थित केएफसी की दुकानों से पांच नमूने इकट्ठे किए थे और उनका परीक्षण तेलंगाना की राज्य खाद्य प्रयोगशाला में किया गया था। इस रपट में खाद्य विश्लेषक ए.वी. कृष्ण कुमारी के हस्ताक्षर हैं। उन्होंने कहा कि इन नमूनों में साल्मोनेला और ई. कोलाई वैक्टीरिया मिले हैं, जो सेवन करने के लिहाज से सुरक्षित नही हैं। उन्होंने कहा, “मेरी राय के मुताबिक नमूनों में साल्मोनेला और ई. कोलाई वैक्टीरिया मिले हैं, जो कि रोगजनक हैं और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। इसीलिए यह असुरक्षित है।”

अच्युता राव ने कहा कि उन्होंने नमूने इसलिए एकत्रित किए और उनका परीक्षण कराया क्योंकि ज्यादातर बच्चे केएफसी के खाने को पसंद करते हैं। केएफसी ने हालांकि आरोपों को खारिज किया है।

केएफसी के एक प्रवक्ता ने कहा, “इस कथित रिपोर्ट के माध्यम से झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि हमारी दुकानों से नमूने एकत्रित किए जा रहे हैं, और इस कथित परीक्षण के लिए इन्हें किन परिस्थितियों में ले जाया गया। यह खराब होने वाली खाद्य सामग्री है, जो तत्काल सेवन के लिए तैयार किए जाते हैं। हमें इस संबंध में किसी भी अधिकारी से कोई सूचना नहीं मिली है।”
अच्युता राव ने हालांकि कहा कि नमूनों को आधा घंटे के भीतर परीक्षण के लिए प्रयोगशाला भेज दिया गया था। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट की सत्यता पर सवाल नहीं उठाए जा सकते क्योंकि इनका परीक्षण सरकार द्वारा संचालित प्रतिष्ठित प्रयोगशाला में किया गया है। वहीं केएफसी ने कहा कि उसके खाद्य पदार्थो में सूक्ष्म जीवाणुओं के विकसित होने की कोई संभावना ही नहीं है क्योंकि उन्हें 170 डिग्री सेल्सियस पर पकाया जाता है।

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उत्तर प्रदेश

योगी कैबिनेट ने दी नई स्थानांतरण नीति 2024-25 को मंजूरी

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लखनऊ। योगी सरकार ने मंगलवार को 2024-25 के लिए नई स्थानांतरण नीति को मंजूरी दे दी है। इस नीति के तहत समूह क और ख के उन अधिकारियों का स्थानांतरण किया जा सकेगा, जिन्होंने जनपद में 3 वर्ष और मंडल में 7 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। वहीं समूह ग और घ में सबसे पुराने अधिकारियों का स्थानांतरण किया जाएगा। समूह क और ख के अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए अधिकतम 20 प्रतिशत तो वहीं समूह ग और घ के लिए अधिकतम 10 प्रतिशत की सीमा रखी गई है। इस स्थानांतरण नीति के तहत सभी स्थानांतरण आगामी 30 जून तक किए जाने हैं। मंगलवार को सीएम योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक कुल 42 प्रस्ताव रखे गए, जिनमें 41 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

सीमा से अधिक स्थानांतरण के लिए लेनी होगी मंजूरी

कैबिनेट बैठक में पारित प्रस्तावों के विषय में जानकारी देते हुए वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि कैबिनेट ने स्थानांतरण नीति 2024-25 को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस नीति में पिछले वर्ष की नीति के प्राविधानों का अनुसरण किया गया है। इसके तहत समूह क और ख के वो अधिकारी जिन्होंने अपने सेवाकाल में मंडल में 7 वर्ष और जनपद में 3 वर्ष पूरे कर लिए हों वो स्थानांतरण नीति के अंतर्गत आएंगे। इसके साथ ही समूह क और ख में स्थानांतरण संवर्ग वार अधिकारियों की संख्या अधिकतम 20 प्रतिशत होगी और समूह ग और घ के लिए अधिकतम सीमा 10 प्रतिशत रखी गई है। उन्होंने बताया कि समूह ग और घ के लिए जो व्यवस्था की गई है उसके अनुसार सबसे पुराने अधिकारियों का पहले स्थानांतरण किया जाएगा। यदि 10 प्रतिशत से ऊपर स्थानांतरण करना होगा तो इसके लिए मंत्री जी की अनुमति आवश्यक होगी। वहीं, यदि समूह क और ख में 20 प्रतिशत से अधिक स्थानांतरण करने की आवश्यकता होगी तो उसकी अनुमति मुख्यमंत्री जी से लेना आवश्यक होगा।

मानव संपदा के माध्यम से डिजिटाइज होगा स्थानांतरण

उन्होंने बताया कि समूह ग और घ में स्थानांतरण को पूरी तरह मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से पूर्ण किया जाएगा। मानव संपदा की जो व्यवस्था शुरू की गई है उसके अंतर्गत स्थानांतरण के बाद कार्यभार मुक्ति और ग्रहण करने की व्यवस्था ऑनलाइन ही की जा सकेगी। इससे अधिकारियों की सर्विस बुक और सैलरी को डिजिटाइज किया जा सकेगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि प्रदेश के 8 आकांक्षी जिलों और 34 जिलों के 100 आकांक्षी विकासखंडों के लिए पहले से जो व्यवस्था चली आ रही है, उसके अंतर्गत वहां रिक्त पड़े पदों को भरने की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।

एक दिन पूर्व रिटायर होने वाले कर्मचारियों को मिलेगा वेतन वृद्धि का लाभ

कैबिनेट ने प्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारियों को बड़ी सौगात दी है। इसके अनुसार अब 30 जून और 31 दिसंबर को रिटायर होने वाले सरकारी कर्मचारियों को एक जुलाई और एक जनवरी से प्रस्तावित वेतन वृद्धि का लाभ मिल सकेगा। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि अभी तक जो व्यवस्था थी उसके अनुसार 30 जून और 31 दिसंबर को रिटायर होने वाले कर्मचारियों को एक जुलाई या एक जनवरी को प्रस्तावित वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिल पाता था। हालांकि अब कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी है। इससे कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का लाभ उनकी पेंशन और ग्रेचुयुटी में मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के बाद ज्यूडिशियल कर्मचारियों को पहले ही इसका लाभ दिया जा चुका है और अब सरकारी कर्मचारी भी इससे लाभान्वित हो सकेंगे।

विश्वविद्यालयों के नामों में संशोधन, 2 निजी विश्वविद्यायलों को एलओआई

योगी सरकार ने प्रदेश के 5 विश्वविद्यालयों के नामों में भी मामूली संशोधन किया गया है। स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसार इन विश्वविद्यालयों के नाम से राज्य शब्द को हटाया गया है। महाराज सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय आजमगढ़ का नाम अब महाराज सुहेलदेव विश्वविद्यालय आजमगढ़ होगा। इसी तरह मां शाकुम्भरी देवी राज्य विश्वविद्यालय सहारनपुर, मां विंध्यवासिनी राज्य विश्वविद्यालय मीरजापुर, मां पाटेश्वरी देवी राज्य विश्वविद्यालय बलरामपुर से भी राज्य शब्द को हटाने को मंजूरी दी गई है। वहीं, उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय मुरादाबाद का नाम गुरु जंबेश्वर विश्वविद्यालय मुरादाबाद करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि प्रदेश सरकार उच्च शिक्षा का विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि प्रदेश के छात्र अपने ही प्रदेश में उच्च शिक्षा गृहण कर सकें। इसके लिए सरकारी विश्वविद्यालयों के साथ ही प्राइवेट विश्वविद्यालय को भी प्रमोट किया जा रहा है। इसी क्रम में दो नए निजी विश्वविद्यालयों को लेटर ऑफ इंटेंट देने का प्रस्ताव पारित हुआ है। इसमें एचआरआईटी गाजियाबाद और दूसरा फ्यूचर विश्वविद्यालय बरेली है। इन दोनों ने अपने सभी मानक पूरे कर लिए हैं।

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