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बिजनेस

अब इतिहास बनकर रह जाएगी मनीऑर्डर सेवा

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नई दिल्ली/मुंबई/कोलकाता| भारतीय डाक विभाग टेलीग्राम की ही तरह पिछले 135 वर्षो से चली आ रही मनीऑर्डर सेवा को भी चुप-चाप बंद करने जा रहा है और इसके साथ ही मनीऑर्डर इतिहास बनकर रह जाएगा। भारतीय डाक विभाग 1880 से मनीऑर्डर सेवा प्रदान करता आ रहा था, जिसके जरिए डाक विभाग देशभर में स्थित 155,000 डाकखानों के माध्यम से देश के कोने-कोने तक लोगों के पास घर बैठे उनके सगे-संबंधियों द्वारा भेजा गया नकदी रुपया पहुंचाता था। इंटरनेट और मोबाइल के जरिए त्वरित सूचना प्रवाह वाले युग में पारंपरिक मनीऑर्डर सेवा की जगह अब इसके इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप को शुरू किया जाएगा। राष्ट्रीय राजधानी स्थित भारतीय डाक विभाग में उप महानिदेशक (वित्त) शिखा माथुर कुमार ने  कहा, “जी हां, पारंपरिक मनीऑर्डर सेवा बंद कर दी गई है। अब हमने इसकी जगह एक नई इलेक्ट्रॉनिक मनीऑर्डर (ईएमओ) एवं इंस्टैंट मनीऑर्डर (आईएमओ) सेवाएं शुरू की हैं।”

कुमार ने कहा, “यह दोनों सेवाएं काफी तेज हैं और रुपया स्थानांतरित करने में बेहद सहज हैं।” भारतीय डाक विभाग के अनुसार इंस्टैंट मनीऑर्डर सेवा 1,000 रुपये से 50,000 रुपये स्थानांतरित करने की सुविधा देगा। इंटरनेट पर आधारित इंस्टैंट सेवा के जरिए निर्दिष्ट आईएमओ सुविधा युक्त डाकखाने से किसी एक पहचान पत्र के साथ एक इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म भरकर रुपया भेजा जा सकता है। रुपया भेजने वाले द्वारा 33 मानक संदेशों में से किसी एक संदेश प्रणाली के साथ इलेक्ट्रॉनिक तरीके से रुपया भेजने के बाद प्राप्त करने वाला व्यक्ति डाक विभाग जाकर अपना पहचान दिखाकर रुपया प्राप्त कर सकता है। प्राप्तकर्ता यह रुपया अपने किसी बचत खाते में स्थानांतरित भी करवा सकता है।

दूसरी ओर इलेक्ट्रॉनिक मनीऑर्डर सेवा के तहत एक रुपया से लेकर 5,000 रुपये तक की राशि प्राप्तकर्ता घर बैठे प्राप्त कर सकता है। इसके अंतर्गत निर्दिष्ट डाकखानों से ही रुपया भेजा जा सकता है, लेकिन पूरे देश में किसी भी डाकखाने द्वारा यह राशि प्राप्त की जा सकती है। इस तरह स्थानांतरित राशि को भारतीय डाक विभाग की वेबसाइट पर ट्रैक भी किया जा सकता है। कई लोगों खासकर वरिष्ठ नागरिकों के लिए पारंपरिक मनीऑर्डर सेवा का बंद होना पुरानी यादों को उकेरने वाला और उदास करने वाला होगा।

प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हो चुके मुंबई में जा बसे के. अब्दुलहुसैन ने कहा, “मैं मनीऑर्डर के जरिए मध्य प्रदेश के गांव में अपने परिवार को रुपये भेजा करता था। वहां मेरे मात-पिता उसका इंतजार करते रहते थे। वास्तव में तब गांव का डाकिया अहम सदस्य हुआ करता था। लेकिन अब क्या होगा।” नई मनीऑर्डर सेवा के बारे में बताने पर अब्दुलहुसैन ने  कहा कि इसकी उम्मीद पहले से थी। उन्होंने कहा, “अब लोगों के पास दो-दो बैंक खाते होते हैं, एक वेतन वाला खात और एक निजी खाता। और अब मोबाइल भी हो गए हैं और सभी के पास हैं। इसलिए पुरानी व्यवस्था को तो जाना ही था।”

मुंबई में ही बैंक सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके 80 वर्षीय आर. आर. पांड्या के भी ऐसे ही विचार हैं। पांड्या ने भी पारंपरिक मनीऑर्डर सेवा के जरिए गुजरात में अपने परिवार वालों को लगातार रूपये भेजने की यादें ताजा कीं। पांड्या ने कहा, “डाकिया से दोस्ताना संबंध हो जाते थे और उससे रुपया पाना कहीं सहज था। अब आपके पास संदेश के साथ रुपया भेजने का नया विकल्प है। तो अब शादी-ब्याह के समय हम बधाई संदेश के साथ 11, 21 या 51 रुपये भेजा करेंगे।” कोलकाता के सेवानिवृत्त शिक्षक कनाई लाल घोष के लिए पुराने दिनों की यादें और वर्तमान भारत की सच्चाई एक-दूसरे से विपरीत हैं। घोष कहते हैं, “मैं अपने माता-पिता को मनीऑर्डर के जरिए ही पैसे भेज पाता था। अब मेरा बेटा अपने मोबाइल से तुरंत भेज दिया करेगा। मुझे लगता है कि पुरानी व्यवस्था अब बेकार हो चुकी है।”

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Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो

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नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।

व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।

तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।

व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।

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