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अन्तर्राष्ट्रीय

अफगान सरकार, तालिबान के बीच सीधी बातचीत की सराहना 

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संयुक्त राष्ट्र| संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के प्रतिनिधियों के बीच सीधी बातचीत का स्वागत किया और कहा कि यह कदम देश में शांति और सुलह की दिशा में उठाया गया कदम है। यहां यूएनएससी द्वारा जारी बयान के मुताबिक, सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने पाकिस्तान, चीन, अमेरिका की सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा उठाए गए निर्णायक भूमिकाओं की सराहना की।

बयान के मुताबिक, सुरक्षा परिषद ने दोहराया कि शांति प्रक्रिया में महिलाओं की भूमिका व्यापक है, जैसा कि सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1325 (2000) और अन्य संबंधित प्रस्तावों में बताया गया है। परिषद ने हर स्तर पर महिलाओं की पूर्ण, समान और प्रभावकारी भूमिका की जरूरत बताई है।

परिषद के सदस्य देशों ने अफगानिस्तानको शांति, सुलह, लोकतंत्र और विकास के मामले में सहयोग देने की प्रतिबद्धता दोहराई।

अफगानिस्तान सरकार की शांति संस्था, उच्च शांति परिषद (एचपीसी) और पाकिस्तान में तालिबान के प्रतिनिधिमंडल के बीच पहली वार्ता का देश और विदेशों में व्यापक तौर पर स्वागत किया गया।

अफगानिस्तान सरकार के उप विदेशमंत्री हकमत खलील करजई के नेतृत्व में चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने तालिबान के साथ वार्ता की।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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