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अन्तर्राष्ट्रीय

अफगानिस्तान में 18 आतंकवादी ढेर

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काबुल| अफगानिस्तान में बीते 24 घंटों के दौरान आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में कम से कम 18 तालिबान आतंकवादी मारे गए। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “बीते 24 घंटों के दौरान, अफगानिस्तान राष्ट्रीय सुरक्षा बल ने कई प्रांतों में आतंकवाद विरोधी अभियानों को अंजाम दिया। अभियान के दौरान 18 आतंकवादी मारे गए, पांच घायल हो गए, जबकि एक को गिरफ्तार किया गया है।”

रक्षा मंत्रालय ने शनिवार सुबह पुष्टि करते हुए कहा कि देश में शुक्रवार तड़के शुरू हुए अलग-अलग आतंकवादी हमलों में सात सैन्यकर्मियों की भी जान चली गई।

तालिबान समूह ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है।

उल्लेखनीय है कि अफगान सुरक्षा बलों ने अशांत प्रांतों में आतंकवादियों के खात्मे के लिए कमर कस ली है और अभियान तेज कर दिया है।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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