मनोरंजन
अपने म्यूजिक का जादू चलाने में नाकाम रही रॉक ऑन 2
प्रमुख कलाकार- फरहान अख्तरए श्रद्धा कपूर और अर्जुन रामपाल
निर्देशक– सुजात सौदागर
संगीत निर्देशक- शंकर-एहसान-लॉय
स्टार- ढाई स्टार
हिंदी फिल्मों के जब सीक्वल बनते है तो ऐसा कम ही बार होता है कि उनकी कहानी आपस से मिलती-जुलती हुयी हो। लेकिन रॉक ऑन 2 और रॉक ऑन में काफी सारी चीजें मिलती-जुलती है। फिल्म में मुख्य किरदार आदि जो और केडी हैं। जैसा कि पहली फिल्म में दिखाया गया था कि इनके के रास्ते अलग हो चुके हैं। दोनों फिल्मों में आठ सालों का अंतर दिखाया गया है। जिसमें आदि मुंबई छोड़ कर मेघालय में बस गया है और वहां के एक गांव में को ऑपरेटिव सिस्टम से विकास के काम में लगा है। वहां पर उसने अपना एक पॉश क्लब खोल लिया है और रियालिटी शो में जज बनता है। केडी चाहता है कि फिर से वो अपने सारे दोस्तों से मिले और अपने बैंड मैजिक को रिवाइव करें।
रॉक ऑन 2
आदि के जन्मदिन पर सभी दोस्त मेघालय में मिलते हैं। वहां फिर से बैंड को रिवाइव करने की बात उठती है। आदि राजी नहीं होता। बैक स्टोरी सामने आती है कि वह पश्चाताप में जल रहा है। उसे लगता है कि युवा म्यूजिशियन राहुल शर्मा ने उसके नजरअंदाज करने की वजह से ही जान ली। इस बीच एक हादसा और कई संयोग होते हैं। पिछली फिल्म से नई फिल्म को जोड़ने के लिए लेखक-निर्देशक ने यह छूट ली है। स्क्रिप्ट में जिया का आगमन होता है।
पंडित विभूति की बेटी जिया भी संगीत में रुचि रखती है, लेकिन अपने पिता के शास्त्रीय पूर्वाग्रहों की वजह वह कुछ भी नहीं करना चाहती। पंडित विभूति से प्रभावित उदय से हुई मुलाकात और घटनाएं उसे संगीत में खींच ले आती हैं। हादसे की वजह से आदि मुंबई लौट आया है। केडी और जो चाहते हैं कि वह मुंबई में रुके और बैंड के लिए कुछ करे। आदि की बीवी भी यही चाहती है। सभी की चाहत से संयोग बनते हैं और हम देखते हैं कि आदि संगीत में एक्टिव होता है। वह संगीत में जिया की मदद भी करता है। जिया ऐसे ही संयोगों से तीनों दोस्तों के बैंड का हिस्सा बन जाती है। इस बार बैंड के एक्टिव होने का बड़ा कारण जिया बनती है। साथ ही मेघालय के विकास और वहां की समस्याओं पर ध्यान देने का सामाजिक मुद्दा भी बैंड के साथ चिपका दिया जाता है।
फिल्म के साथ मेघालय का मुद्दा ढंग से मेल नहीं करता। और फिर वहां की राजनीति, सरकारी उदासीनता और भ्रष्टाचार का मामला… सब कुछ जबरदस्ती ठूंसा हुआ लगता है। मेघालय के दृश्यों में वहां के कलाकरों को शामिल कर निर्देशक ने विश्वसनीयता लाने की कोशिश की है, लेकिन यह विश्वसनीयता ऊपरी होकर रह जाती है। स्थानीय दुर्दशा का सतही चित्रण फिल्म के लिए उपयोगी और कारगर नहीं बन पाता।
‘रॉक ऑन 2’ की पटकथा ढीली है। ‘मैजिक’ बैंड के तीनों दोस्तों में सिर्फ आदि की व्यथा और पश्चाताप को लेकर आगे बढ़ती कहानी केडी और जो की आठ सालों की यात्रा को चंद वाक्यों में निबटा देती है। वहीं जिया की एंट्री की ठोस वजह नहीं है। फिल्म में पंडित विभूति के शास्त्रीय पूर्वाग्रह के कारण भी जाहिर नहीं होते। सिर्फ फ्यूजन का विरोधी होना पूरा जवाब नहीं है। ‘रॉक ऑन 2’ में तर्क और कार्य-कारण का खयाल नहीं रखा गया है। इस वजह से मुंबई और मेघालय के तार कनेक्ट नहीं हो पाते। ’रॉक ऑन 2’ में पिछली फिल्म की तरह ही संगीत का प्रवाह है। फिल्म की पृष्ठाभूमि में संगीत का पूरा उपयोग हुआ है। एक स्तर पर वह समकालीन फिल्मों से बेहतर है, फिर भी वह आठ साल पहले की ‘रॉक ऑन’ के संगीत की तरह झंकृत नहीं करता। नए गीतों में भावनाओं की ताजगी नहीं है। संक्षेप में सीक्वल का संगीत पिछली फिल्म से कमजोर और साधारण है।
परफार्मेंस की बात करें तो फरहान अख्तर और पूरी ईमानदारी और संजीदगी से आदि के किरदार को समकालीन रंग देते हैं। वे आदि के द्वंद्व, अपराध बोध और पश्चाताप के साथ जीते हैं। जिया उनकी जिंदगी में फिर से संगीत भरती है और उन्हें एक मकसद भी मिल जाता है। गौर करें कि वे सामाजिक कार्य के फ्रंट पर विफल रहते हैं। सांगीतिक अभियान के बाद ही उन्हें वहां सफलता मिलती है।
अर्जुन रामपाल का किरदार आध-अधूरा रह गया है, इसलिए पिछली फिल्म की तरह वे असरदार नहीं दिखते। केडी के रूप में पूरब कोहली साधारण हैं। छोटी भूमिका में शशांक अरोड़ा पर नजर टिकती है। श्रद्धा कपूर ने ‘आशिकी 2’ में कुछ ऐसा ही किरदार निभाया था। बतौर अभिनेत्री उनमें ग्रोथ दिखती है। नाटकीय दृश्यों में वह होल्ड करती हैं। कुमुद मिश्रा समर्थ अभिनेता हैं। उन्होंने एक बार फिर दिखाया है कि अभिनय के लिए भाव और अभिव्यक्ति पर नियंत्रण कितना जरूरी है।
अवधि- 139 मिनट
मनोरंजन
फिर बढ़ी एल्विश यादव की मुश्किलें, ईडी ने दर्ज किया मनी लॉन्ड्रिंग का केस
नई दिल्ली। बिग बॉस ओटीटी 2 विनर और यूट्यूबर एल्विश यादव की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। अब ईडी ने एल्विश के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सांपों के जहर सप्लाई से ही जुड़ा हुआ है। केंद्रीय एजेंसी ने पिछले महीने उत्तर प्रदेश में नोएडा पुलिस द्वारा एल्विश और अन्य लोगों के खिलाफ दायर एक एफआईआर और आरोप पत्र का संज्ञान लेने के बाद प्रिवेंशन मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है।
इसके अलावा खबर ये भी है कि ईडी एल्विश यादव के साथ-साथ बड़े होटल रिसॉर्ट्स और फार्म हाउस के मालिकों से भी पूछताछ करेगी। बता दें कि नोएडा पुलिस द्वारा एल्विश यादव को गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल वह जमानत पर बाहर हैं। ईडी ने एल्विश पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है।
एल्विश यादव को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत एक मामले में 17 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। सांप के जहर तस्करी मामले में एल्विश यादव गौतमबुद्ध नगर की बक्सर जेल में बंद थे। 17 मार्च को एल्विश को पांच अन्य लोगों के साथ पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इस मामले में पुलिस ने एक बैंकेट हॉल में छापा मारकर 4 सपेरों समेत 5 लोगों को गिरफ्तार किया था और 9 सांप और उनका जहर बरामद किया गया था। एल्विश यादव पर आरोप है कि वह रेव पार्टी के लिए सांपों के जहर का इंतजाम करते थे और सांपों का इस्तेमाल अपने वीडियो शूट के लिए भी करते थे।
दरअसल साल 2023 के अंत में पीपुल्स फॉर एनिमल संस्था के पदाधिकारी ने एल्विश यादव और उनके साथियों पर सांपों के जहर का इस्तेमाल और खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए सेक्टर-49 थाने में केस दर्ज कराया था। इसके बाद पुलिस ने पार्टी वाली जगह पर रेड की थी, जहां पांच सेपेरों के पास से कोबरा समेत नौ सांप और 20 एमएल जहर मिला था। इसके बाद कार्रवाई करते हुए पुलिस ने सभी को जेल भेज दिया था।
इसके बाद संस्था के पदाधिकारी का एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें मुख्य आरोपी राहुल संस्था के पदाधिकारी से बात करता सुनाई देता है। इसमें राहुल कह रहा है कि वह एल्विश की ओर से आयोजित होने वाली पार्टियों में शामिल हो चुका है। राहुल पार्टियों में अपने अन्य सपेरे दोस्तों के साथ गया था। हालांकि, बाद में सभी को जमानत मिल गई थी। पुलिस टीम ने एल्विश यादव के कॉल डिटेल और सोशल मीडिया अकाउंट को खंगाला, जब उसके खिलाफ नोएडा पुलिस को पर्याप्त सबूत मिल गए तो पुलिस ने उसे नोटिस देकर पूछताछ के लिए दोबारा बुलाया। पूछताछ के बाद उसे नोएडा से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। पांच दिन तक जेल में रहने के बाद एल्विश जमानत पर छूट गया।
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