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अधिक प्रशासनिक शक्तियां चाहती है दिल्ली सरकार
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि वे दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मांग रहे, बल्कि अधिक प्रशासनिक शक्तियां चाहते हैं। दिल्ली सरकार ने इसके लिए दलील दी कि ‘कोई चुनी हुई सरकार उप-राज्यपाल से कम महत्व वाली नहीं हो सकती’।
अरविंद केजरीवाल की सरकार ने न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी और न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल की पीठ से कहा, “यह कल्पना से परे है कि किसी सरकार का एक नाममात्र का प्रमुख होता है, जो किसी चीज के लिए जवाबदेह नहीं होता, लेकिन हर फैसले में हस्तक्षेप करता है।”
दिल्ली सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है, जिसमें दिल्ली सरकार में उप-राज्यपाल को सर्वोच्च बताया गया था।
दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रह्मण्यम ने न्यायालय से कहा कि दिल्ली की मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए किसी भी फैसले को उप-राज्यपाल हमेशा पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकते हैं, लेकिन सवाल यह है कि ‘क्या अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करते हुए वह मंत्रिपरिषद के किसी फैसले को रद्द कर सकते हैं’।
सुब्रह्मण्यम ने संवैधानिक प्रावधानों और दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम-1991 का संदर्भ देते हुए सवाल उठाए कि क्या उप-राज्यपाल हर फैसले में हस्तक्षेप कर सकते हैं और क्या लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार की मंत्रिपरिषद सिर्फ उन्हें मदद और सुझाव दे सकती है, वह भी बाध्यकारी न हो।
इस विरोधाभासी स्थिति की तरफ इशारा करते हुए सुब्रह्मण्यम ने कहा कि जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत विधायिका वह होती है, जो सीधे चुनकर आती है और राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त उसका एक मुख्यमंत्री होता है, लेकिन इस सरकार द्वारा लिए गए फैसले उप-राज्यपाल निरस्त कर सकता है, जो किसी के प्रति जवाबदेह भी नहीं है।
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, “क्या ऐसी कोई स्थिति है, जिसमें मुख्यमंत्री विधायिका से यह कहेगा कि उनकी सरकार ने कोई फैसला लिया था, लेकिन उसे उप-राज्यपाल ने रद्द कर दिया है।”
संविधान के उस प्रावधान का उल्लेख करते हुए, जिसके अनुसार राष्ट्रपति या राज्यों में राज्यपाल मंत्रिपरिषद के सुझावों से बंधे होते हैं, सुब्रह्मण्यम ने आश्चर्य व्यक्त किया, “क्या उप-राज्यपाल के पास राज्यपाल से भी अधिक शक्तियां होती हैं?”
उल्लेखनीय है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि मंत्रिपरिषद द्वारा लिया गया कोई फैसला तब तक वैध नहीं है, जब तक उप-राज्यपाल उसे मंजूरी न दे दे। उच्च न्यायालय के इस फैसले की आलोचना करते हुए सुब्रह्मण्यम ने कहा, “दिल्ली के लिए विशेष प्रावधान हो सकते हैं। लेकिन ऐसी कोई सरकार नहीं हो सकती जहां एक मंत्रिपरिषद किसी दूसरे मंत्रिपरिषद के फैसले को दबा दे।”
नेशनल
सामने आई स्वाति मालीवाल की मेडिकल रिपोर्ट, शरीर के इन हिस्सों पर चोट के निशान
नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ हुई मारपीट के बाद उनका एम्स में मेडिकल टेस्ट कराया गया था, जिसकी रिपोर्ट आ गई हैं। रिपोर्ट देखकर पता चलता है कि स्वाति के शरीर पर चार जगह चोट लगी थी। एम्स की रिपोर्ट में सामने आया है कि स्वाति मालीवाल को ‘बाएं पैर के थाइस’ पर 3×2 सेंटीमीटर के आकार की चोट थी और उनके ‘दाहिनी आंख के नीचे दाहिने गाल’ पर 2×2 सेंटीमीटर आकार की एक और चोट थी।
एम्स के डॉक्टर आनंद गंगदेव द्वारा बनाई गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मरीज द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक सीएम के आवास पर 13 मई को उनपर परिचित व्यक्ति ने हमला किया था. उन्हें कई बार थप्पड़ मारे गए और उनके सिर पर कठोर वस्तु से हमला किया गया और वह जमीन पर गिर गईं. उनके पेट, पेल्विस और चेस्ट पर पैर से कई बार मारा गया. मरीज फिलहाल जांघ और पेल्विस एरिया में दर्द की शिकायत कर रहा है।
सीएम केजरीवाल के आवास से विभव कुमार गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस ने सीएम केजरीवाल के आवास से विभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें सिविल लाइन्स थाने लेकर जाया गया है। दिल्ली पुलिस को पहले ही बिभव कुमार के सीएम हाउस में होने का इनपुट मिला था। सूचना के बाद पुलिस टीम में एसएचओ सिविल लाइंस और एडिशनल डीसीपी नॉर्थ सीएम आवास पर पहुंचे थे। सूचना मिलने के बाद एक गाड़ी सीएम हाउस में पहुंची थी। दिल्ली पुलिस की टीम जब सीएम हाउस पर पहुंची तब वहां पर पहले से ही गेट खुले हुए थे। इस गाड़ी को गेट पर नहीं रोका गया और गाड़ी सीधा सीएम हाउस में चली गई। गाड़ी के लिए पहले से सीएम हाउस में मैसेज था। इसके बाद दिल्ली पुलिस की टीम सीधे सीएम हाउस में गई और फिर वहां से बिभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया।
बता दें कि गिरफ्तारी से पहले ही बिभव कुमार ने एक मेल किया था, जिसमें उसने हर जांच के लिए साथ देने की बात कही थी। अपने मेल में बिभव कुमार ने लिखा कि ‘मैं हर जांच में सहयोग को तैयार हूं। मुझे मीडिया के माध्यम से FIR दर्ज होने के बारे में जानकारी हुई। अभी तक मुझे एफआईआर के बाद कोई नोटिस नहीं दिया गया है। मेरी शिकायत पर भी दिल्ली पुलिस संज्ञान ले।’
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