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अन्तर्राष्ट्रीय

अंतरिक्ष के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियों का वर्ष 

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चेन्नई| भारत के लिए बीत रहा यह वर्ष 2014 अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई विशिष्ट उपलब्धियों वाला रहा। भारत ने न सिर्फ इस वर्ष सर्वाधिक संख्या में रॉकेटों और उपग्रहों का प्रक्षेपण किया बल्कि प्रौद्योगिकी के लिहाज से भी भारत ने दुनिया के सामने अपना लोहा मनवाया।

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में अपने विकास और अनुभव को साबित करते हुए अंतर-ग्रहीय उड़ानें कीं, बेहद महत्वपूर्ण क्रायोजेनिक इंजन का परीक्षण किया, अपने सर्वाधिक क्षमता वाले और सबसे भारी रॉकेट का परीक्षण किया और मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की दिशा में छोटा ही सही पर बेहद अहम कदम बढ़ा दिया।

अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत द्वारा इस वर्ष हासिल की गई उपलब्धियों पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने आईएएनएस से कहा, “प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों के लिहाज से भी यह बहुत ही शानदार वर्ष रहा। वर्ष की शुरुआत ही पूर्णत: स्वदेश निर्मित क्रायोजेनिक इंजन वाले भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) रॉकेट के सफल प्रक्षेपण के साथ हुआ।”

राधाकृष्णन ने कहा, “इसके अलावा हमने दो नौवहन उपग्रहों का भी प्रक्षेपण किया। हमारा मंगलयान भी बेहद सफल रहा। हम अपना अब तक का सबसे भारी जीएसएलवी रॉकेट मार्क-3 के परीक्षण में भी सफल रहे, साथ ही मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की ओर भी हमने कदम बढ़ा दिए हैं।”

इसी महीने परीक्षण किए गए मार्क-3 रॉकेट में क्रायोजेनिक इंजन नहीं लगाया गया था, जो इसे अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने के लिए जरूरी है। मार्क-3 रॉकेट के अन्य इंजन तैयार हो चुके हैं, इसलिए इसरो ने इसके साथ चार टन वाले मानवयुक्त अंतरिक्षयान के मॉड्यूल का परीक्षण करने का निर्णय किया।

155 करोड़ रुपये की लागत वाले इस अंतरिक्ष कार्यक्रम का दोहरा उद्देश्य था। पहला तो रॉकेट की पर्यावरणीय क्षमताओं का परीक्षण और दूसरा चार टन वाले मानव अंतरिक्षयान के प्रक्षेपण का परीक्षण।

इस मानव अंतरिक्षयान मॉड्यूल में किसी जीवित प्राणी को नहीं भेजा गया था, हालांकि यह भविष्य में मानव को अंतरिक्ष में भेजने की भारत की योजना का हिस्सा था।

भारी संचार उपगBFए क्रायोजेनिक इंजन को विकसित किया जा रहा है और उड़ान भरने के लिए तैयार होने में इसे दो वर्ष और लगेंगे।”

भारत ने इस वर्ष कुल आठ उपग्रहों को प्रक्षेपित किया, जिसमें तीन भारतीय उपग्रह थे जबकि पांच विदेशों के। सारे उपग्रह इसरो के श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण स्थल से प्रक्षेपित किए गए। भारतीय उपग्रहों में दो नौवहन और एक संचार उपग्रह है।

भारत का सबसे भारी संचार उपग्रह जीसैट-16 यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी आरियानस्पेस के आरियान-5 रॉकेट के जरिए सात दिसंबर को छोड़ा गया।

राधाकृष्णन ने बताया कि इसी वर्ष एक और नौवहन उपग्रह भी छोड़ा जाना था, लेकिन उसे प्रक्षेपित नहीं किया जा सका।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षमता को दक्षेस देशों के साथ साझा करने की इच्छा जताते हुए दक्षेस देशों के लिए एक उपग्रह लांच करने की घोषणा की।

राधाकृष्णन ने बताया कि इसरो अगले वर्ष पांच विदेशी उपग्रह प्रक्षेपित करने पर काम कर रहा है, जिसमें तीन उपग्रह इंग्लैंड के हैं।

प्रमुख क्षण :

– पहली बार पूर्णत: स्वदेश निर्मित क्रायोजेनिक इंजन वाले जीएसएलवी रॉकेट का सफल प्रक्षेपण

– दो नौवहन उपग्रह कक्षा में स्थापित किए गए

– मंगलयान मंगल की कक्षा में पहुंचा

– देश के सबसे भारी जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट के प्रक्षेपण का सफल परीक्षण

– मानव अंतरिक्षयान मॉड्यूल के प्रक्षेपण का सफल परीक्षण

– फ्रांस के भू पर्यवेक्षण उपग्रह एसपीओटी-7 के साथ चार अन्य छोटे उपग्रहों, जर्मनी के एआईएसएटी, कनाडा के एनएलएस-7.1, कनाडा के एनएलएस-7.2 और सिंगापुर के वीईएलओएक्स-1 का सफल वाणिज्यिक प्रक्षेपण।

– अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ पृथ्वी के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) अभियान के लिए समझौता हुआ।

अन्तर्राष्ट्रीय

जेपी मॉर्गन के CEO बोले- अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेता की जरुरत

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नई दिल्ली। अमेरिकी बैंकिंग फर्म जेपी मॉर्गन चेज के सीईओ जेमी डिमन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेताओं की आवश्यकता है। जेमी डिमन ने कहा कि पीएम मोदी ने भारत में जबदरस्त और अविश्वसनीय काम किया है। अमेरिका में भी भारत नरेंद्र मोदी की तरह का प्रधानमंत्री होना चाहिए।

इकोनॉमिक क्लब ऑफ न्यूयॉर्क की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेमी डिमन ने कहा कि मैं अमेरिका के लिबरल प्रेस को जानता हूं, जो लगातार नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हैं। उन्होंने 40 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है.। इस दौरान डिमन ने भारत में गरीबी उन्मूलन, बुनियादी ढ़ांचे आर्थिक विकास समेत कई अन्य विषयों पर खुलकर बात रखीं।

उन्होंने कहा, “अमेरिका के कई अधिकारी भारत को लेकर कई बातें कहते हैं, लेकिन अपना देश कैसे चलाना है इस बारे में सोचने की जरूरत है। भारत में नरेंद्र मोदी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ देशों की सरकारें जलवायु परिवर्तन और श्रम अधिकारों को लेकर भारत की आलोचना करती हैं, जबकि उनके पास शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं है। फिर भी वो डटकर चुनौतियों का समाना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत ने एक नई चलन शुरू की है, जिसमें लोगों को फिंगर प्रिंट और आंख से पहचान की जाती है। यह भी भारत के लिए एक उल्लेखनीय है।

डिमन ने आगे कहा कि भारत मूलभूत सुविधाओं पर काम करते हुए आगे की दिशा में काम कर रहा है। विकासशील देश से विकसित देश की ओर बढ़ने के लिए वहां की सरकार लगातार प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

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