प्रादेशिक
स्टेमसेल प्रत्यारोपण से मिली नई जिंदगी
गोंडा। इसे स्टेमसेल प्रत्यारोपण विधि का कमाल कहें या चिकित्सक के अनुभव का नतीजा कि जीवन जीने के सारे अरमान खो चुके व वर्षो से बिस्तर थामे 21 वर्षीय एक युवक न केवल अब वॉकर के सहारे चलने लगा है, बल्कि उसकी जीवन जीने की तमन्ना भी परवान चढ़ने लगी है। यह चमत्कार जिला अस्पताल में तैनात जिले के प्रख्यात हड्डी सर्जन डॉ. डी.के. राव के हाथों हुआ है।
बताया जाता है कि स्टेशन रोड छेदीपुरवा निवासी नितिन को लगभग दस वर्षो पूर्व बोन टीबी के चलते कमर के नीचे के समस्त अंगों में लकवा मार गया था। वह बिस्तर पर ही पड़े-पड़े नित्यक्रिया को मजबूर हो गया था।
नितिन के परिजनों के मुताबिक, नामी गिरामी चिकित्सकों से इसका इलाज कराने में उनका होटल व घर के अन्य सामान एक-एक कर बिक गए। यहां तक कि उसके भाइयों को ठेला व रेहड़ी लगा कर किसी तरह जीवन जीने को मजबूर होना पड़ा। लेकिन उसे कोई राहत नहीं मिल पाई।
पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक, लखनऊ में नितिन स्टेमसेल प्रत्यारोपण भी कराया गया था। परिजन अब टूट चुके थे और सारी आशाएं मिट चुकी थी कि इसी बीच डॉ राव से संपर्क करने पर उन्हें आशा की किरण दिखाई दी। उन्होंने सितंबर, 2013 में जिला अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में पहला स्टेमसेल प्रत्यारोपण करके लोगों को अचंभित कर दिया था। यह ऑपरेशन इतना कारगर होगा, यह किसी को सहज विश्वास नहीं हो रहा था।
नितिन ने बताया कि जिस दिन से आपरेशन हुआ, तभी से शरीर में चेतना आने लगी और अंगों ने कार्य करना शुरू कर दिया। उसे नित्य क्रियाओं का एहसास भी होने लगा।
इस बावत डॉ. राव ने बताया कि लगभग एक वर्ष पूर्व किए गए आपरेशन का स्टेमसेल बोनमैरो जिला अस्पताल में तैयार किया गया था, लेकिन इस बार एक महीने पहले मरीज के रक्त का नमूना बेंगलुरू की स्टेमसेल लैब में भेजा गया था। वहां से एक माह बाद स्टेमसेल तैयार होकर आया। उसी के बलबूते ऑपरेशन किया गया और सफलता हासिल हुई।
डॉ. राव ने बताया कि इस ऑपरेशन में एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. वी.पी. सिंह एवं पूर्व सीएमएस डॉ. वी.पी. श्रीवास्तव तथा आशुतोष गुप्ता का विशेष सहयोग रहा।
प्रादेशिक
कोटा में बिहार के छात्र ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, कर रहा था JEE की तैयारी
कोटा। राजस्थान के कोटा में बिहार के एक छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक छात्र का नाम आयुष है। वो कोटा में रहकर jEE की तैयारी कर रहा था। मृतक के परिजनों के कोटा पहुंचने के बाद पुलिस ने छात्र के शव का पोस्टमार्टम कराया।
जांच अधिकारी कमल किशोर ने बताया कि रविवार की रात बिहार के मोतिहारी निवासी कोचिंग छात्र आयुष जायसवाल ने रोशनदान में फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। जब छात्र अपने कमरे से बाहर नहीं आया तो उसके दोस्तों ने दरवाजा खटखटाया। अंदर से कोई जवाब नहीं आने पर पुलिस को सूचना दी गई। इसके बाद छात्र की खुदकुशी का मामला सामने आया। इस मामले की महावीर नगर थाना पुलिस जांच कर रही है।
पुलिस का कहना है कि छात्र के कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। बता दें कि कोटा में लगातार कोचिंग स्टूडेंट्स खुदकुशी कर रहे हैं। इसको लेकर पुलिस जागरूकता फैलाने में जुटी है। कोचिंग संस्थानों को भी आवश्यक दिशानिर्देश दिए गए हैं।
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