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इंटरनेट पर पोर्न सामग्री प्रतिबंध के बावजूद सुलभ

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मुहम्मद जुल्कारनैन जुल्फी

नई दिल्ली। भारत सरकार द्वारा पोर्न वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि इंटरनेट पर प्रतिबंधित किए गए इन वेबसाइटों तक पहुंचना बहुत मुश्किल नहीं है।

विशेषज्ञों के अनुसार, निशुल्क प्रॉक्सी साइटें और वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) सेवाओं के जरिए प्रतिबंधित पोर्न वेबसाइटों को देखा जा सकता है। संचार एवं सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 31 जुलाई को आईटी अधिनियम-2000 की धारा 79(3) के तहत ‘अनैतिक और अश्लील’ करार देते हुए 857 वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगा दिया।

सरकारी सूत्रों ने हालांकि किसी तरह की छापेमारी से इनकार किया है। उन्होंने बताया कि दूरसंचार विभाग की वेबसाइट पर लगा प्रतिबंध अस्थायी था और जोर देकर कहा कि नियमित तौर पर एक नियामक निरीक्षण की दिशा में यह सिर्फ शुरुआत भर है। बाल अश्लीलता से भरी वेबसाइटों को प्रतिबंधित करने में गृह मंत्रालय की अक्षमता पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पिछले महीने दिए गए आदेश के बाद यह प्रतिबंध लगाए गए हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम इंटरनेट पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने या लोगों के शयनकक्ष तक पुलिस का हस्तक्षेप बनाने के लिए नहीं उठाया गया है।

सरकार के इस कदम से हालांकि कई ऐसी वेबसाइटें भी निशाने पर आ गई हैं, जिनका बाल अश्लीलता से कोई लेना-देना नहीं है। साइबर मीडिया कंपनी के मुख्य कार्यकारी होशी घासवाला ने आईएएनएस से कहा, “प्रतिबंधित वेबसाइटों तक पहुंचने का सबसे आसान तरीका है प्रॉक्सी साइटों और वीपीएन का इस्तेमाल। प्रॉक्सी और वीपीएन सेवाएं प्रतिबंधित साइटों के इस्तेमाल की सुविधा मुहैया कराती हैं, जबकि इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति की पहचान भी छिपी रहती है।”

इंटरनेट पर ‘सिर्फ वयस्कों के लिए’ जैसी सामग्री के इस्तेमाल की तरफदारी करते हुए साइबर कानून विशेषज्ञ और लेक्स साइबेरिया की अध्यक्ष कर्णिका सेठ ने कहा कि वयस्क लोगों द्वारा वयस्क सामग्री का उपयोग गैर कानूनी नहीं है, बल्कि उसका प्रसारण और प्रकाशन गैरकानूनी है। सेठ ने कहा, “सर्वोच्च न्यायालय का आदेश विभिन्न वेबसाइटों पर मुक्त रूप से उपस्थित बाल अश्लील सामग्री से संबंधित था और न्यायालय ने उन्हीं पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया था, न कि सभी पोर्न वेबसाइटों पर, क्योंकि वयस्क लोगों द्वारा वयस्क सामग्री का इस्तेमाल गैर-कानूनी नहीं है।”

सर्वोच्च न्यायालय ने आठ जुलाई को कहा था कि इस तरह की वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाना स्वतंत्रता के व्यक्तिगत अधिकार का हनन है। दूरसंचार संचालकों के अनुसार, दूरसंचार विभाग से उन्हें मिले नोटिस में सरकार ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं से सैकड़ों वयस्क सामग्री वाली वेबसाइटों को ब्लॉक करने के लिए कहा है। कुछ दूरसंचार कंपनियां जहां सरकार के निर्देशानुसार सभी वेबसाइटों को ब्लॉक कर चुकी हैं, वहीं कुछ कंपनियां अगले एक-दो दिनों में उन्हें ब्लॉक कर देंगी। एक कंपनी के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी ने पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि उन्हें शुक्रवार की देर शाम सरकार की ओर से यह आदेश मिला और कंपनी उसके अनुसार कार्यवाही करने में जुट गई है।

सरकार ने हालांकि सार्वजनिक तौर पर पोर्न वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाए जाने के संबंध में अब तक कुछ नहीं कहा है। हालांकि सरकार के इस कदम की व्यापक तौर पर आलोचना भी हो रही है।

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नेशनल

पश्चिम बंगाल में हुए रेल हादसे पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जताया दुःख, दार्जिलिंग रवाना

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कोलकाता। पश्चिम बंगाल में हुए रेल हादसे पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दुःख जताया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल X पर लिखा है, NFR जोन में दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना हुई है। बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। रेलवे, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ मिलकर काम कर रहे हैं। घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए हैं।

बता दें कि इस हादसे में आठ लोगों की मौत हो गई है। मृतकों में ट्रेन के लोको पायलट भी शामिल हैं। मृतकों का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है। कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना एनएफ रेलवे के सीपीआरओ सब्यसाची डे का कहना है कि लगभग 25 लोग घायल हो गए हैं और उन्हें पास के अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया है। बचाव अभियान युद्ध स्तर पर चल रहा है। हम बचाव अभियान को समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारी पहले ही घटनास्थल पर पहुंच चुके हैं। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार कंचनजंगा को एक मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी है। हमें 8 लोगों की मौत की जानकारी मिली है।

पश्चिम बंगाल में कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना पर पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि अभी इसके कारण के बारे में बात करना जल्दबाजी होगी लेकिन आधुनिक समय में इसकी जांच और गहन सुधार की आवश्यकता है। मैं अनुमान लगा रहा हूं कि संभवतः यह इंजन ‘कवच’ (एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली) नहीं थी। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि सरकार सुधारात्मक कार्रवाई करेगी।

 

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