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मुख्य समाचार

गतिरोध और निलंबन के बीच संसद का मॉनसून सत्र

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संसद के मानसून सत्र, ललितगेट, सकारात्‍मक विपक्ष की भूमिका, लैंड बिल, 25 कांग्रसी सदस्‍यों, पांच दिनों के लिए सदन से निलंबित, स्‍पीकर सुमित्रा महाजन

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संसद के मानसून सत्र को चलते आज दो सप्‍ताह हो गए।सिर्फ जरूरी विधायी कार्यों को निपटाने के अलावा सत्र के दौरान अभी तक जनहित में कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जा सकी है, कारण ललितगेट सहित सत्‍तारूढ़ दल के लिए मुसीबत बन चुके व्‍यापम घोटाले के लिए संबंधित भाजपा नेताओं के इस्‍तीफे पर अड़ी कांग्रेस। हालांकि कांग्रेस को सदन के अंदर संपूर्ण विपक्ष का साथ मिलता नहीं दिख रहा है फिर भी कांग्रेस इस्‍तीफे की अपनी मांग को लेकर गतिरोध बनाए हुए है।

इस बीच कांग्रेस सदस्‍यों के गलत आचरण पर स्‍पीकर सुमित्रा महाजन ने 25 कांग्रसी सदस्‍यों को पांच दिनों के लिए सदन से निलंबित कर दिया है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों का ऐसा व्‍यवहार किस जनहित के तहत आता है? कांग्रेस का कहना है कि यह परिपाटी भाजपा ने ही शुरू की है कि पहले इस्‍तीफा उसके बाद चर्चा।

काफी हद तक यह बात सही भी है क्‍योंकि यूपीए के दस साल के शासनकाल में भाजपा ने पांच बार कई दागी मंत्रियों के इस्‍तीफे को लेकर संसद बाधित किया था। हालांकि देखने वाली बात यह भी है कि उन सभी दागी नेताओं चाहे वह सुरेश कलमाडी हों, ए.राजा हों अथवा पवन बंसल या अश्विनी कुमार सभी पर किसी न किसी मामलों में या तो देश की अदालतों में मुकदमा चल रहा था या एफआईआर दर्ज हो चुकी थी।

सवाल यह है कि राजनेताओं की इस नूराकुश्‍ती में आखिर नुकसान किसका हो रहा है? करदाताओं के पैसे से चलने वाली संसद की कार्यवाही को इस तरह से बाधित कर ये राजनीतिक दल क्‍या साबित करना चाहते हैं? क्‍या वे इसे जनता के हित में की गई कार्यवाही साबित कर पाएंगे? क्‍या जनता अपने माननीयों से यह सवाल नहीं पूछेगी कि हमारी समस्‍याओं के समाधान के लिए आखिर आपने क्‍या किया?

जवाब यह है कि जनता सवाल नहीं पूछती है इसीलिए इन माननीयों का साहस बढ़ता जा रहा है। जनता के लिए, जनता की और जनता के प्रति जवाबदेह इन सरकारों को आखिर कब तक हम जवाबदेही से विरत करते रहेंगे? हमें सवाल पूछना होगा और यदि हमने सवाल नहीं पूछा तो दोषी कहीं न कहीं हम भी होंगे। इस बीच अच्‍छी खबर यह है कि लैंड बिल पर सरकार लगभग सभी महत्‍तवपूर्ण संशोधन वापस लेने को तैयार हो गई है। अच्‍छा हो कि कांग्रेस सहित संपूर्ण विपक्ष सकारात्‍मक विपक्ष की भूमिका निभाते हुए संसद के अंदर सभी विषयों पर जरूरी चर्चा में भाग ले, न कि चर्चा से भाग ले।

 

नेशनल

कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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