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आध्यात्म

बंगाल : सोनागाछी में इस बार बड़े पैमाने पर दुर्गापूजा

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कोलकाता, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| एशिया के सबसे बड़े रेड-लाइट एरिया माने जाने वाले सोनागाछी में सेक्स वर्कर पिछले पांच वर्षो के दौरान पहली बार बड़े पैमाने पर दुर्गापूजा का आयोजन करने जा रहीं हैं। पिछले काफी समय से इसकी मांग हो रही थी। उत्तर कोलकाता स्थित सोनागाछी की निवासी वर्ष 2016 को छोड़कर वर्ष 2013 से अपनी दुर्गापूजा मनाती आ रही हैं, लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार इन्हें अपनी पूजा को छोटे समुदायिक हॉल तक ही सीमित रखना पड़ता था।

सेक्स वर्करों के संगठन दरबार महिला समन्वय समिति (डीएमएसएस) की सचिव काजोल बोस ने आईएएनएस को बताया, पिछले वर्ष हमने उच्च न्यायालय में अपील नहीं की थी क्योंकि हम लोग पहले भी अपनी प्रतिमा और पंडाल के लिए उच्च न्यायालय में अपील करते रहते थे और हर बार एक ही जवाब मिलता था।

उन्होंने कहा इस बार हालांकि उच्च न्यायालय ने हमारे पक्ष में निर्णय दिया है और हम संपूर्ण पंडाल और प्रतिमा स्थापित कर रहें हैं।

काजल ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में हमारा बजट दोगुना, चार लाख का है। हमने डीएमएसएस क्लीनिक के बाहर 20 फीट ऊंचा और आठ फीट चौड़ा पंडाल बनाया है। पूरे कोलकाता में यहीं पर केवल सेक्स वर्कर समुदाय अपने लिए पूजा आयोजित करता है।

उन्होंने बताया, कलकत्ता उच्च न्यायालय की ओर से गठित पांच सदस्यीय दल ने स्थान और अन्य चीजों के बारे में निर्णय लिया। इस टीम में पुलिस, कोलकाता महानगर निगम, दमकल विभाग और हमारी प्रतिनिधि हैं।

उन्होंने कहा कि समुदाय के कम से कम 20,000 आगंतुकों के यहां आने की संभावना है और प्रसाद की भी व्यवस्था की गई है।

काजल ने बताया, चूंकि यह सेक्स वर्करों के लिए काफी व्यस्त समय होता है और इनमें से बहुत सारी वर्कर रात में काम करती हैं, इसलिए वे सुबह के ‘भोग’ के लिए आने में समर्थ नहीं हैं। हमने एक टीम बनाई है जो इन्हें और हमारे कर्मचारियों को प्रसाद बांटेगी।

उन्होंने कहा कि अष्टमी भोग जिसमें ‘खिचड़ी’ शामिल है, न केवल सोनागाछी की सेक्स वर्करों को दिया जाएगा बल्कि यह किद्देरपोर और अन्य रेड लाइट एरिया में रहने वाली सेक्स वर्करों को भी दिया जाएगा।

उन्होंने बताया, इस वर्ष बशीरहाट में सेक्स वर्कर पहली बार यह उत्सव मना रहीं हैं। बिशनपुर और कूच बिहार में भी समुदाय द्वारा दुर्गापूजा मनाई जा रही है।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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