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हेल्थ

गर्भवती व्रती नवरात्र में बरतें खास सावधानी

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नई दिल्ली, 21 सितंबर (आईएएनएस)| गर्भावस्था के नौ महीनों के दौरान करवा चौथ, तीज, शिवरात्रि और नवरात्रि जैसे त्योहारों का पड़ना लाजिमी है। ऐसे में जब सामान्य तौर पर अधिकांश महिलाएं व्रत रखती हैं तो क्या गर्भवती महिलाएं भी उपवास रख सकती हैं? यह बड़ा सवाल है। चिकित्सकों का कहना है कि व्रत के दौरान अच्छा-बुरा प्रभाव केवल मां पर ही नहीं, बल्कि होने वाली संतान पर भी पड़ सकता है, इसलिए सावधानी बहुत जरूरी है।

गर्भावस्था के दौरान व्रत रखना बहुत हद तक आपके शरीर पर निर्भर करता है, क्योंकि जब आप अंदर से अच्छा महसूस कर रही हैं, तब उपवास रखने में कोई परेशानी नहीं है। लेकिन कुछ मामलों जैसे शरीर में खून की कमी, कमजोरी, उच्च रक्तचाप या फिर गर्भकालीन मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) में चिकित्सक गर्भवती महिला को उपवास रखने की सलाह नहीं देते हैं, क्योंकि इससे न केवल आपको बल्कि आपके गर्भ में पल रहे शिशु को भी नुकसान हो सकता है।

कोलकाता के आनंदपुर स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में परामर्शी प्रसूति विशेषज्ञ डॉ. विकास बनर्जी ने फोन पर बताया, गर्भावस्था में पहली और तीसरी तिमाही में व्रत की सलाह नहीं दी जाती। पहले तीन महीनों में अगर लंबे समय तक भूखा रहा जाए, तो जी मिचलाना और उल्टी की समस्या हो सकती है। तीसरी तिमाही में ऐसा करने से चक्कर का खतरा रहता है। गर्भावस्था में होने वाला मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) खून की कमी (एनीमिया) या गर्भ में एक से अधिक बच्चा हो तो व्रत-उपवास करना खतरनाक भी हो सकता है।

अगर सबकुछ सामान्य है और आप व्रत रख रही हैं, तो भी ये सावधानियां बरतनी चाहिए :

* निर्जला उपवास नहीं रखना चाहिए। ऐसे में पानी मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत जरूरी है। अगर फिर भी ऐसा करती हैं तो इस बात पर हमेशा ध्यान रखिए कि कहीं डिहाइड्रेशन के लक्षण तो नहीं बन रहे हैं। निर्जला उपवास रखने पर नारियल पानी, दूध व जूस जैसे पेय पदार्थ लें। फल, सब्जी, जूस से शरीर में पानी की जरूरत भी पूरी होती है और पोषक तत्व भी मिल जाते हैं।

* उपवास में कॉफी या चाय का सेवन न करें या फिर कम से कम करें।

* अगर मौसम काफी गर्म या उमस भरा हो तो घर के अंदर ही रहें।

* उपवास के दौरान व्यायाम या कोई भारी काम मत करें।

* व्रत तोड़ने के दौरान शुरू में एक ग्लास जूस या नारियल पानी पीएं। इसके बाद कुछ हल्का खाना खाएं।

* व्रत के दौरान गर्भ में भ्रूण की हलचल पर नजर रखें और समय-समय पर चिकित्सीय जांच कराती रहें।

उपवास का गर्भवती के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? इस सवाल पर दिल्ली के इंटरनेशनल फर्टिलिटी सेंटर की चेयरपर्सन डॉ. रीता बख्शी कहती हैं, गर्भावस्था के दौरान उपवास के कई अल्पावधि या दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं। कुछ महिलाएं खतरे को नजरंदाज करते हुए उपवास रखती हैं। इसका तत्काल प्रभाव हालांकि मां पर ही पड़ता है, लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि उपवास कभी-कभी समय से पहले बच्चे के जन्म (एमेच्योर डिलीवरी) का कारण भी हो सकता है।

उन्होंने कहा, इतना ही नहीं, शरीर में पानी की कमी आपके गर्भस्थ शिशु को प्रभावित कर सकती है और उपवास भ्रूण के विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है। साथ ही जन्म के समय बच्चे का वजन कम रह सकता है।

डॉ. रीता ने कहा, अगर किसी तरह की समस्या है, फिर तो यह बेहद अहम है कि आप अपने चिकित्सक की सलाह लें और वह जैसा कहें, वैसा ही करें। अगर चिकित्सक उपवास करने से मना नहीं करते हैं तब भी खानपान का ध्यान रखें, नियमित परामर्श जैसी सामान्य चीजों का ध्यान रखकर आप व्रत में रह सकती हैं। त्योहार का मजा उठाइए, पर सेहत को सर्वोपरि रखते हुए।

पंजाब के पठानकोट स्थित अमनदीप हॉस्पिटल की प्रसूति विशेषज्ञ डॉ. रश्मि सम्मी के अनुसार, गर्भवती महिलाओं के लिए व्रत पर निर्णय लेना हमेशा उधेड़बुन भरा रहता है, जहां परंपराओं को पूरा करना होता है, वहीं स्वास्थ्य का ख्याल रखना भी महत्वपूर्ण होता है। मेरी सलाह है कि अगर आप स्वस्थ हैं, तो व्रत रखिए और सबसे जरूरी बात कि अपने चिकित्सक के ‘हां’ कहने पर ही उपवास रखें।

मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल में आहार विशेषज्ञ सलाहकार डॉ. जमुरुद्द पटेल कहते हैं, धार्मिक प्रवृत्ति की किसी भी महिला के लिए व्रत की काफी अहमियत है। कई महिलाएं गर्भधारण में भी उपवास रखने का फैसला करती हैं। करवा चौथ, तीज, शिवरात्रि जैसे त्योहार नौ महीने की गर्भावस्था के बीच पड़ते रहते हैं, ऐसे में गर्भावस्था के दौरान उपवास किया जाए या नहीं, इस सवाल का कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।

उन्होंने आगे कहा, इस बारे में कई शोध किए गए हैं। इसके बावजूद यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि उपवास करना आपके और गर्भस्थ शिशु के लिए सुरक्षित रहेगा। कुछ शोध रिपोर्ट में उपवास का बच्चे पर कोई असर न पड़ने की बात कही गई है, तो कुछ में कहा गया है कि जो मांएं उपवास करती हैं, उनके गर्भ से जन्मे बच्चे को आगे चलकर कई तरह की शारीरिक कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। कुल मिलाकर अगर गर्भावस्था में पहले से कोई मुश्किल नहीं है, तो उपवास से कोई खास असर नहीं पड़ता। बस, आपको थोड़ा अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है।

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लाइफ स्टाइल

तेजी से बढ़ रही है दिल की बीमारियों के चलते मौत, करें ये उपाय

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Death due to heart diseases increasing

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नई दिल्ली। भारत में दिल की बीमारियों के कारण होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हाई कॉलेस्ट्रॉल, धूम्रपान एवं आनुवंशिक कारणों से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ रही है। दक्षिण-पूर्वी एशियाई आबादी में आनुवंशिक रूप से दिल की बीमारियों की संभावना अधिक होती है। दिल को सुरक्षित रखने के लिए कुछ उपाय हैं, जिसे अपनाकर आप दिल की बीमारियों से दूर रह सकते हैं।

सेहतमंद आहार लें

संतुलित और सेहतमंद आहार का सेवन करने से शरीर को सही पोषण मिलता है। जंक फूड में फैट, नमक और चीनी बहुत अधिक मात्रा में होती है, जो समय के साथ हमारे दिल को बीमार बना देती है। अक्सर लोग बिना सोचे समझे प्रोसेस्ड फूड का सेवन करते हैं क्योंकि उन्हें यह बहुत आसान लगता है, लेकिन इस तरह का भोजन हमारी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। हमारे आहार में पर्याप्त मात्रा में कैलोरीज, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और लो सैचुरेटेड फैट होने चाहिए।

गतिहीन जीवनशैली से बचें

बहुत से लोग नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते। आज हममें से लाखों लोग ऐसी नौकरियां करते हैं, जिसके लिए उन्हें घंटों एक ही जगह पर बैठे रहना पड़ता है। व्यायाम की कमी व्यक्ति के लिए बेहद हानिकारक हो सकती है। यह मोटापे को जन्म देती है, जिसके कारण व्यक्ति धीरे धीरे डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियों का शिकार बन जाता है।

शारीरिक रूप से सक्रिय

व्यायाम दिल को तंदुरुस्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कार्डियो व्यायाम से दिल की पम्प करने की क्षमता बढ़ती है और दिल की मांसपेशियां तंदुरुस्त बन जाती हैं। नियमित व्यायाम करने से रक्तचाप नियन्त्रण में रहता है, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल कम होते हैं और ब्लड शुगर भी नियन्त्रित रहती है।

तनाव से बचें

तनाव आज हम सभी के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है, खासतौर पर ज्यादातर शहरी लोग अपने काम को लेकर तनाव में रहते हैं। जब आपका शरीर तनाव में रहता है, तो इसका असर शरीर के हर अंग पर पड़ता है। तनाव के समय शरीर में एड्रिनलिन हॉर्मोन ज्यादा मात्रा में बनने लगता है, अगर ऐसा नियमित रूप से होने लगे तो दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

अच्छी और गहरी नींद

समय की कमी के कारण बहुत से लोग अपनी नींद को कम कर काम करने लगते हैं। वे अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए नींद से समझौता करते हैं जो सेहत के लिए खास तौर पर दिल के लिए खतरनाक है। 7-8 घंटे से कम नींद लेने से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें

धूम्रपान और शराब का सेवन किसी भी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। आजकल विकासशील देशों में धूम्रपान का चलन तेजी से बढ़ रहा है। जो दिल के लिए नुकसानदायक है। यहां तक कि अगर आपके आस-पास कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है तो वह भी आपकी सेहत के लिए अच्छा नहीं। धूम्रपान छोड़ने के लिए परिवार और दोस्तों के सहयोग की जरूरत होती है। इसकी आदत छोड़ने के लिए निकोटीन पैच या ई-सिगरेट का इस्तेमाल किया जा सकता है।

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराकर आप दिल की बीमारियों के खतरे से बच सकते हैं। क्योंकि ऐसा करने से अगर आपको कोई समस्या है तो समय पर उसका निदान हो जाएगा और समय रहते इलाज शुरू कर बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकेगा। इसलिए नियमित रूप से अपनी जांच करवाते रहें और अपने स्वास्थ्य को मॉनिटर करते रहें।

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डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी एक सूचना मात्र है. अपनाने से पहले सम्बंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.

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