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हेल्थ

रक्त संग 2,234 लोगों को मिला एचआईवी

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एचआईवी

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एचआईवीसिल्वियो ग्रोचेट्टी 

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर, 2014 से मार्च, 2016 के बीच 2,234 एचआईवी ग्रस्त ऐसे लोग पाए गए, जिन्हें इस दौरान विभिन्न अस्पतालों में रक्त चढ़ाया गया।  दूसरी ओर, सरकार ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि उसे इस तरह के संक्रमण की कोई जानकारी नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता चेतन कोठारी द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में एनएसीओ ने यह जानकारी उपलब्ध करवाई।

कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 16 अगस्त, 2016 को जब संसद में पूछा कि क्या सरकार को पता है कि देशभर में बड़ी संख्या में लोग अस्पतालों में रक्त चढ़वाने के बाद एचआईवी से ग्रस्त हो गए तो स्वास्थ्य मंत्रालय का जवाब था ‘नहीं’। मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा था, “चूंकि ब्लड बैंकों में रक्त की एचआईवी जांच की पर्याप्त सुविधाएं न होने के कारण रक्तदान से एचआईवी संक्रमण फैलने से पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता।”

इंडियास्पेंड ने तीन सितंबर को अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2015-16 में भारत में ब्लड बैंकों में रक्त की 9 फीसदी कमी थी। उसमें भी रक्त का अधिकांश भंडार बड़े नगरों में रहा। उदाहरण के लिए बिहार में रक्त का भंडार जरूरत से 84 फीसदी कम और छत्तीसगढ़ में 66 फीसदी कम पाया गया, जबकि चंडीगढ़ में जरूरत का नौ गुना और दिल्ली में तीन गुना अधिक रक्त भंडार है।

हालांकि एनएसीओ अपने ही आंकड़ों की पुष्टि नहीं करता, क्योंकि उनका कहना है कि यह आंकड़े रक्त चढ़वाने के बाद एचआईवी ग्रस्त हुए लोगों द्वारा खुद दर्ज कराई गई शिकायत पर आधारित है, तथा इस बात की पुष्टि किसी वैज्ञानिक पद्धति से नहीं हो पाई कि एचआईवी संक्रमण रक्तदान के ही कारण हुआ।

एनएसीओ की 2015 में आई रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया ही एचआईवी संक्रमण के मामले में भारत से आगे हैं। भारत में 20 लाख से भी अधिक लोग एचआईवी से संक्रमित हैं।

हालांकि भारत में 2007 के बाद से एचआईवी संक्रमण के मामलों में पांच फीसदी तक की गिरावट आई है, लेकिन अभी भी यहां हर वर्ष एचआईवी संक्रमण के 86,000 नए मामले दर्ज किए जाते हैं, जबकि 68,000 एचआईवी ग्रस्त लोगों की हर वर्ष मौत हो जाती है। लोकसभा में दिसंबर, 2015 में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, भारत में एचआईवी संक्रमण के 95 फीसदी मामलों के पीछे असुरक्षित यौन संबंध पाए गए।

लोकसभा में जहां बताया गया कि रक्त के जरिए सिर्फ 0.1 फीसदी एचआईवी संक्रमण के मामले पाए गए, वहीं एनएसीओ के आंकड़ों के मुताबिक संक्रमित रक्त से एचआईवी ग्रस्त होने वाले लोगों का प्रतिशत 1.7 फीसदी रहा।

अस्पतालों को रक्तदान करने वाले व्यक्ति और दान किए गए रक्त की एचआईवी, हेपेटाइटिस बी एवं सी और मलेरिया की जांच करना अनिवार्य कर दिया गया है। लेकिन ऐसा हमेशा हो नहीं पाता और ब्लड बैंकों में रखा सारा रक्त एचआईवी ग्रस्त नहीं है, नहीं कहा जा सकता।

कुछ राज्यों में एचआईवी जांच प्रणाली की भारी कमी है। इंडिया टुडे की 2015 में आई रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड के 24 में से 17 जिलों में एचआईवी जांच की व्यवस्था ही नहीं है।

लाइफ स्टाइल

तेजी से बढ़ रही है दिल की बीमारियों के चलते मौत, करें ये उपाय

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Death due to heart diseases increasing

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नई दिल्ली। भारत में दिल की बीमारियों के कारण होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हाई कॉलेस्ट्रॉल, धूम्रपान एवं आनुवंशिक कारणों से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ रही है। दक्षिण-पूर्वी एशियाई आबादी में आनुवंशिक रूप से दिल की बीमारियों की संभावना अधिक होती है। दिल को सुरक्षित रखने के लिए कुछ उपाय हैं, जिसे अपनाकर आप दिल की बीमारियों से दूर रह सकते हैं।

सेहतमंद आहार लें

संतुलित और सेहतमंद आहार का सेवन करने से शरीर को सही पोषण मिलता है। जंक फूड में फैट, नमक और चीनी बहुत अधिक मात्रा में होती है, जो समय के साथ हमारे दिल को बीमार बना देती है। अक्सर लोग बिना सोचे समझे प्रोसेस्ड फूड का सेवन करते हैं क्योंकि उन्हें यह बहुत आसान लगता है, लेकिन इस तरह का भोजन हमारी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। हमारे आहार में पर्याप्त मात्रा में कैलोरीज, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और लो सैचुरेटेड फैट होने चाहिए।

गतिहीन जीवनशैली से बचें

बहुत से लोग नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते। आज हममें से लाखों लोग ऐसी नौकरियां करते हैं, जिसके लिए उन्हें घंटों एक ही जगह पर बैठे रहना पड़ता है। व्यायाम की कमी व्यक्ति के लिए बेहद हानिकारक हो सकती है। यह मोटापे को जन्म देती है, जिसके कारण व्यक्ति धीरे धीरे डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियों का शिकार बन जाता है।

शारीरिक रूप से सक्रिय

व्यायाम दिल को तंदुरुस्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कार्डियो व्यायाम से दिल की पम्प करने की क्षमता बढ़ती है और दिल की मांसपेशियां तंदुरुस्त बन जाती हैं। नियमित व्यायाम करने से रक्तचाप नियन्त्रण में रहता है, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल कम होते हैं और ब्लड शुगर भी नियन्त्रित रहती है।

तनाव से बचें

तनाव आज हम सभी के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है, खासतौर पर ज्यादातर शहरी लोग अपने काम को लेकर तनाव में रहते हैं। जब आपका शरीर तनाव में रहता है, तो इसका असर शरीर के हर अंग पर पड़ता है। तनाव के समय शरीर में एड्रिनलिन हॉर्मोन ज्यादा मात्रा में बनने लगता है, अगर ऐसा नियमित रूप से होने लगे तो दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

अच्छी और गहरी नींद

समय की कमी के कारण बहुत से लोग अपनी नींद को कम कर काम करने लगते हैं। वे अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए नींद से समझौता करते हैं जो सेहत के लिए खास तौर पर दिल के लिए खतरनाक है। 7-8 घंटे से कम नींद लेने से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें

धूम्रपान और शराब का सेवन किसी भी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। आजकल विकासशील देशों में धूम्रपान का चलन तेजी से बढ़ रहा है। जो दिल के लिए नुकसानदायक है। यहां तक कि अगर आपके आस-पास कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है तो वह भी आपकी सेहत के लिए अच्छा नहीं। धूम्रपान छोड़ने के लिए परिवार और दोस्तों के सहयोग की जरूरत होती है। इसकी आदत छोड़ने के लिए निकोटीन पैच या ई-सिगरेट का इस्तेमाल किया जा सकता है।

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराकर आप दिल की बीमारियों के खतरे से बच सकते हैं। क्योंकि ऐसा करने से अगर आपको कोई समस्या है तो समय पर उसका निदान हो जाएगा और समय रहते इलाज शुरू कर बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकेगा। इसलिए नियमित रूप से अपनी जांच करवाते रहें और अपने स्वास्थ्य को मॉनिटर करते रहें।

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डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी एक सूचना मात्र है. अपनाने से पहले सम्बंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.

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