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अन्तर्राष्ट्रीय

हिजबुल को आतंकवादी समूह घोषित करना दुखद : पाकिस्तान

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इस्लामाबाद, 17 अगस्त (आईएएनएस)| पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका द्वारा हिजबुल मुजाहिदीन को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी समूह घोषित करना दुखद है।

साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकरिया ने दावा किया कि अमेरिका ने हमेशा पाकिस्तान के आतंकवाद-रोधी प्रयासों का स्वागत किया है। ऐसे में यह निर्णय ‘दुखद’ है।

डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, जकरिया ने कहा कि कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए पिछले 70 सालों से संघर्ष चल रहा है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान-भारत संबंधों में प्रमुख मुद्दा कश्मीर है, ‘जिसका बातचीत से समाधान निकाला जाना चाहिए।’

डॉन ने कहा कि हिजबुल मुजाहिदीन को ब्लैकलिस्ट करके अमेरिका ने पाकिस्तान पर अपना दवाब बढ़ाया है ताकि वह कथित तौर पर उसके क्षेत्र का इस्तेमाल करने वाले आतंकवादी समूहों पर शिकंजा कसे, जो सरहद पार अफगानिस्तान और कश्मीर में हमले करते हैं।

अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार को हिजबुल मुजाहिदीन को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित कर अपने नागरिकों को इस संगठन के साथ किसी प्रकार के लेनदेन से रोक दिया।

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अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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