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स्वराज के महानायक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (जंयती विशेष)

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यह एक अद्भुत संयोग है कि तिलक 1856 के विद्रोह के वर्ष में तब उत्पन्न हुए जब देश का सामान्य वातावरण अंग्रेजी राज्य के विरुद्ध विद्रोह की भावना से पूर्ण था।

महानायक तिलक का जन्म 23 जुलाई, 1856 को शिवाजी की कर्मभूमि महाराष्ट्र के कोंकण प्रदेश के रत्नागिरि नामक स्थान पर हुआ। तिलक का वास्तविक नाम केशव था। तिलक को बचपन में बाल या बलवंत राव के नाम से पुकारा जाता था। तिलक के पिता गंगाधर राव प्रारंभ में अपने कस्बे की स्थानीय पाठशाला में एक शिक्षक थे। बाद में थाने तथा पूना जिले में सरकारी स्कूलों में सहायक इंस्पेक्टर बन गए। पिता के सहयोग के फलस्वरूप वे संस्कृत, गणित और व्याकरण जैसे विषयों में अपनी आयु के बालकों में बहुत आगे थे। मेधावी होने के कारण उन्होंने दो वर्षो में तीन कक्षाएं भी उत्तीर्ण की।

तिलक का विवाह 15 वर्ष की आयु में ही हो गया। उनके विवाह के कुछ समय बाद ही उनके पिता का देहांत हो गया। माता-पिता के निधन के बाद तिलक के पालन पोषण का भार उनके चाचा पर पड़ गया। तिलक ने सन 1872 में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। 1876 में बीए की परीक्षा पास की और 1879 में एलएबी की परीक्षा पास की।

लोकमान्य तिलक का जब राजनैतिक पदार्पण हुआ तब देश में राजनैतिक अंधकार छाया हुआ था। दमन और अत्याचारों के काले मेघों से देश आच्छादित था। जनसाधारण में इतना दासत्व उत्पन्न हो गया था कि स्वराज और स्वतंत्रता का ध्यान तक उनके मस्तिष्क में नहीं था। उस वक्त आम जनता में इतना साहस न था कि वह अपने मुंह से स्वराज का नाम निकाले। ऐसे कठिन समय में लोकमान्य तिलक ने स्वतंत्रता के युद्ध की बागडोर संभाली।

साल 1891 में उन्होंने केसरी और मराठा दोनों ही पत्रों का संपूर्ण भार स्वयं खरीदकर अब इन्हें स्वतंत्र रूप से प्रकाशित करना शुरू कर दिया। अपनी प्रतिभा, लगन और अदम्य कार्यशक्ति के बल पर शीघ्र ही जनक्षेत्र में अपना स्थान बना लिया। उनकी लौह लेखनी से ही केसरी और मराठा महाराष्ट्र के प्रतिनिधि पत्र बन गए।

केसरी के माध्यम से समाज में होने वाले अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने पर तिलक पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया। तिलक को राजद्रोही घोषित कर छह वर्ष का कालापनी और एक हजार रुपये का अर्थदंड दिया गया। इस दंड से सारे देश में क्रोध की लहर दौड़ गई। जनता द्वारा सरकार का विरोध किया गया, बाद में सरकार ने थोड़ा झुकते हुए उन्हें साधारण सजा सुनाई। उन्हें कुछ दिन बाद अहमदाबाद तथा बाद में वर्मा की मांडले जेल भेज दिया गया।

जब तिलक को सजा सुनाई जा रही थी, उस समय भी उनके मन में घबराहट नहीं हुई। उस समय भी उन्होंने यही कहा था, यद्यपि ज्यूरी ने मेरे खिलाफ राय दी है फिर भी मैं निर्दोष हूं। वस्तुत: मनुष्य की शक्ति से भी अधिक शक्तिशाली दैवी शक्ति है। वही प्रत्येक व्यक्ति और राष्ट्र के भविष्य की नियंत्रणकर्ता है। हो सकता है कि देश की यही इच्छा हो कि स्वतंत्र रहने के बजाय कारागार में रहकर कष्ट उठाने से ही मेरे अभीष्ट कार्य की सिद्धि में अधिक योग मिले।

उन्होंने एक बार कहा था, साक्षात परमेश्वर भी मोक्ष प्रदान करने लगे तो मैं उनसे कहूंगा पहले मुझे मेरे देश को परतंत्रता से मुक्त देखना है।

इसी प्रकार उन्होंने घोषित किया, ‘स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’। जब तक यह भाव मेरे दिल मंे है मुझे कौन लांघ सकता है। मेरी इस भावना को काट नहीं सकते, उसको भस्म नहीं कर सकते, मेरी आत्मा अमर है।

यह उनका संदेश था जो भारत के एक-एक भारतीय को झकझोर गया। जेल यात्रा के दौरान उन्होंने लगभग पांच सौ ग्रंथों का गहन अध्ययन किया तथा गीता रहस्य नामक गं्रथ की अमर रचना की। लोकमान्य तिलक ने कांग्रेस की लंदन शाखा का भी गठन किया।

तिलक के स्वदेश लौटते ही उन्हें एक लाख रुपये की थैली भेंट की गई। उन्होंने अपना सारा धन होमरूल आंदोलन को देकर अपने देशप्रेम का अद्भुत परिचय दिया। इसके थोड़े ही दिन बाद वे बीमार पड़ गए और 31 जुलाई, 1920 की रात को सदा के लिए अंतिम सांस ली। इस प्रकार भारतीय राजनैतिक गगन का यह सूर्य अस्त हो गया।

उनका अंतिम संदेश यही था, ‘देश व भारतीय संस्कृति के लिए जिसने अपने जीवन को बलिदान कर दिया, मेरे हृदय मंदिर में उसी के लिए स्थान है।’ जिसके हृदय में माता की सेवा के लिए भाव जाग्रत है वही माता का सच्चा सपूत है। इस नश्वर शरीर का अंत तो होना ही है। हे भारत माता के नेताओं और सपूतों मैं आप लोगों से अंत में यही कहना चाहता हूं कि मेरे इस कार्य को उत्तरोत्तर बढ़ाना।

उनका धैर्य कभी कम नहीं हुआ और निराशा उनके जीवन को छू तक न सकी। उनके अलौकिक गुणों को धारण करना ही उनका स्मरण है। ऐसे देशभक्त एवं वीर पुरुषों से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को देश तथा समाज के कल्याण में लगाना चाहिए। ताकि भारत की स्वतंत्रता, एकता व अखंडता कायम रहे। (आईएएनएस/आईपीएन)

(यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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पीएम चला रहे ऑपरेशन झाड़ू, AAP को खत्म करने के लिए बीजेपी ने बनाए 3 प्लान: केजरीवाल

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नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी मुख्यालय पर प्रदर्शन करने से पहले एक पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि पीएम ने आम आदमी पार्टी को कुचलने का इरादा बनाया है। उसके लिए इन लोगों ने एक ऑपरेशन चलाया, जिसका नाम है ‘ऑपरेशन झाड़ू’। उनसे मिलने के बाद आए लोगों ने मुझे यह बताया है।

उन्होंने कहा- पीएम ने कहा कि आम आदमी पार्टी तेजी से बढ़ रही है। आनेवाले दिनों में देश और कई राज्यों में बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती दे सकती है। इस पार्टी को अभी तुरंत खत्म कर दिया जाए। भविष्य में बीजेपी के लिए कोई चुनौती न हो, इसके लिए आप के नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है। आप के बैंक खाते सीज किए जाएंगे और पार्टी के दफ्तर खाली कराए जाएंगे। पार्टी को किसी तरह सड़क पर लाया जाएगा।

सीएम केजरीवाल ने कहा- ये पार्टी सिर्फ चंद नेताओं की पार्टी नहीं है बल्कि देश के 140 करोड़ लोगों के सपनों की पार्टी है। ये चाहते हैं कि ये आप को खत्म कर देंगे। तो ठीक है मैं आ रहा हूं आपके दफ्तर। आप हम सब को गिरफ्तार कर लो। बीजेपी वाले कह रहे हैं कि विदेश से राघव चड्ढा आए हैं, उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा। तो ठीक है, आप आतिशी जी, सौरभ भारद्वाज सभी को गिरफ्तार कर लो।

केजरीवाल ने कहा कि इस गिरफ्तारी के आह्वान में भगवंत मान भी आनेवाले थे। लेकिन मैंने उनको कहा कि आज हमलोगों को जाने दो। अगर आज ये गिरफ्तार करते हैं तो ठीक है, आप कल गिरफ्तारी देने आ जाना। हम देखते हैं कि इनमें हमें गिरफ्तार करने की हिम्मत है या नहीं? उन्होंने कहा कि ऐसा करके भी आम आदमी पार्टी को खत्म नहीं किया जा सकता। यह पार्टी देश के 140 करोड़ लोगों की सोच है। हमने जो कर दिखाया है, वो आजादी के 75 साल में कभी नहीं हुआ। लोगों को उनके सपने सच होते दिखाई देने लगे हैं। यह सब मोदी जी नहीं कर पा रहे। इसीलिए एक एक करके सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर रहे हैं।

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